Shri Krishna Chhatti: क्यों होती है कृष्ण जी की छठी पूजा, जानिए क्या है इसकी कहानी
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Shri Krishna Chhatti: क्यों होती है कृष्ण जी की छठी पूजा, जानिए क्या है इसकी कहानी

Shri Krishna Chhatti; कृत्तिका माता ने भले ही भगवान के आदेश पर उनकी रक्षा नहीं की और राक्षसों का उद्धार होने दिया, लेकिन यशोदा माता का छठी पूजा व्यर्थ नहीं गई. उनके ही बाद से आज भी बच्चों के जन्म के बाद छठी पूजन की परंपरा जारी है.

Shri Krishna Chhatti: क्यों होती है कृष्ण जी की छठी पूजा, जानिए क्या है इसकी कहानी

पटनाः Shri Krishna Chhatti: सनातन परंपरा में हर दिन और हर तिथि का खास महत्व है. इसी तरह जन्माष्टमी के बाद कृष्ण जी की छठी का भी बहुत महत्व है. श्री कृष्ण जन्म उत्सव यानि कृष्ण जन्माष्टमी के छह दिन बाद भगवान श्री कृष्ण की छठी मनाई जाती है. इस दिन लोग भक्ति-भाव से लड्डू गोपाल की पूजा  करते हैं और उनका नामकरण किया जाता है. जैसे बच्चे की छठी पर कढ़ी-चावल बनाने का रिवाज होता है, उसी तरह कृष्ण छठी के दिन भी लोग अपने घर में कढ़ी चावल बनाते हैं .इस साल कृष्ण छठी 24 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी. जानिए क्या है छठी का महत्व.

ये है छठी की कथा
श्रीकृष्ण का जन्म कंस के कारागार में हुआ था. आधी रात का समय था. तेज  बारिश हो रही थी. मोहमाया के प्रताप से कारागार के समस्त प्रहरी सो गए. आकाशवाणी हुई और वासुदेव ने रातोंरात उनको गोकुल में नंद के घर पहुंचा दिया. कंस जब कारागार में आया तो उसको बताया गया कि लड़की का जन्म हुआ है. कंस ने उसको मारने की कोशिश की लेकिन वह यह कहते हुए आकाश में बिजली बन गई कि तुझे मारने वाला तो जन्म ले चुका है. कंस ने पूतना को आदेश दिया कि जितने भी छह दिन के बच्चे हैं, उनको मार दिया जाए. पूतना जब गोकुल पहुंची तो यशोदा ने बालकृष्ण को छिपा दिया. बालकृष्ण को छह दिन हो गए थे. लेकिन उनकी छठी नहीं हुई. न नामकरण हुआ. कृष्ण के छह दिन पूरे हो जाने के बाद जब यशोदा ने छह दिन के बच्चों के मरने की सूचना सुनी तो वह घबरा गईं. 

यशोदा माता ने की छठी पूजा
इसके बाद यशोदा जी ने माता पार्वती का ध्यान किया और उनसे कान्हा की सुरक्षा की प्रार्थना की. माता पार्वती की एक शक्ति कृत्तिका सूर्य की किरण हैं. उन्होंने कार्तिकेय भगवान का पालन-पोषण किया था. कृत्तिका माता ही छठी माता हैं. उन्होंने देवी पार्वती के आदेश पर भगवान का ध्यान रखा. इससे कोई भी राक्षस यशोदा के घर पर प्रवेश नहीं कर सकते थे. तब भगवान ने उन्हें सूक्ष्म रूप से दर्शन देकर कहा, अब से जो भी तुम्हारी पूजा करेगा, तुम उनके बच्चों की सुरक्षा के लिए अभय वर देना, लेकिन मुझे इस रूप में राक्षसों का उद्धार भी करना है. इसलिए अपनी छत्र छाया मुझसे हटा लो. कालांतर में यशोदा माता ने कान्हा के जन्म से 364 दिन बाद सप्तमी को छठी पूजन किया. तभी से श्रीकृष्ण की छठी मनाई जाने लगी. तभी से बच्चों की छठी करने की भी परंपरा पड़ी.

आज भी जारी है परंपरा
कृत्तिका माता ने भले ही भगवान के आदेश पर उनकी रक्षा नहीं की और राक्षसों का उद्धार होने दिया, लेकिन यशोदा माता का छठी पूजा व्यर्थ नहीं गई. उनके ही बाद से आज भी बच्चों के जन्म के बाद छठी पूजन की परंपरा जारी है. बच्चों के जन्म के छह दिन बाद छठी पूजन उनकी सुरक्षा और आरोग्य के लिए किया जाता है.

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