भारत का राष्ट्रीय चिह्न तो सारनाथ के अशोक स्तंभ से लिया गया है, उसकी कॉपी है, लेकिन ये सेंगोल रूपी राजदंड कहां से लिया गया है, कहां से कॉपी की गई है. ऐसा सेंगोल रूपी राजदंड कहां की खुदाई में मिला है.
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पटना: बिहार में सेंगोल और अशोक स्तंभ को लेकर राजनीति चर्चाएं गर्म हो गई है. भाजपा ने कहा कि आरजेडी वाले अनपढ़ हैं इन्हें इतिहास की जानकारी नहीं है, तो वहीं कांग्रेस ने कहा कि किसी जन्म में मोदी नेहरू नहीं हो सकते है. इधर, आरजेडी ने ट्वीट में लिखा कि अंग्रेजों के गुलाम देशद्रोही संघियों द्वारा भारतीय इतिहास को धूमिल कर मनुस्मृति थोपने की गहरी साजिश रची जा रही है.
भारत का राष्ट्रीय चिह्न तो सारनाथ के अशोक स्तंभ से लिया गया है, उसकी कॉपी है, लेकिन ये सेंगोल रूपी राजदंड कहां से लिया गया है, कहां से कॉपी की गई है. ऐसा सेंगोल रूपी राजदंड कहां की खुदाई में मिला है. भारत का कौनसा राजवंश ठीक ऐसा राजदंड का प्रयोग करता था. यदि कोई प्राचीन या मध्यकालीन राजवंश ठीक ऐसे सेंगोल का प्रयोग सत्ता-हस्तांतरण के लिए करता था तो उसकी मूल कॉपी कहां है. किस पुरातत्ववेत्ता ने किस स्थान से खोजा है.
फ्रेडरिक ऑस्कर ओरटेल ने भारत के राष्ट्रीय चिह्न को 1905 ई. में खोजा था, लेकिन सेंगोल की मूल कॉपी को किसने और कब खोजा था. भारत के किस म्यूजियम में वो ऑरिजनल सिंगोल रखा है, जिसकी कॉपी कर आधुनिक भारत में इसे बनाया गया है.
आरजेडी प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा कि यह ट्वीट आरजेडी के टि्वटर हैंडल से था और आरजेडी के नेता इस बार बयान देने लगे. आरजेडी के प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा सारनाथ से अशोक स्तंभ के प्रतीक चिन्ह को लिया गया है बीजेपी के लोग बताएं कि सेंगोल रूपी राज्यदंड यह कहां से लाया गया है. संघों ने इस देश में अंग्रेजों से मिलकर मुखबिरी का काम किया अब बीजेपी वाले चाहते हैं कि देश का इतिहास बदल दें मनुस्मृति सेंगोल कहा से लाये है इसका जवाब बीजेपी दें.
बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि आरजेडी के लोगों को पूरी जानकारी नहीं हैं यह सभी लोग चरवाहा विद्यालय से निकले हुए हैं. चारा चोर वाले लोग हैं और यह लोग अनपढ़ हैं इनको इतिहास की जानकारी कहां से मिलेगी. इसलिए यह लोग कुछ भी बोल देते हैं चोल वंश के राजाओं के द्वारा सत्ता के हस्तांतरण के लिए राजदंड इसे तमिल में सेंगोल कहा जाता है. उसका प्रयोग होता है जब अंग्रेजों का शासन समाप्त हो रहा था भारत के जो गवर्नर थे उनके कहने के अनुसार ब्रिटिश शासकों ने सत्ता का हस्तांतरण सेंगोल को प्रतीक के रूप में देखा नेहरू को सत्ता सौंपने का काम किया था.
सिंघौल जो ग्रहण करता है वह आजीवन सत्ता के केंद्र बिंदु में बना रहता है आज उसी का प्रतीक फिर से अपनाया जा रहा है जब नए संसद भवन का लोकार्पण होगा उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सेंगोल को ग्रहण करेंगे. लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास उसको स्थापित किया जाएगा. इसीलिए विपक्ष के लोग बेचैन है कि नरेंद्र मोदी आजीवन प्रधानमंत्री बने रहेंगे.
वही JDU के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा केंद्र में बैठे हुए मोदी की सरकार है और इन लोगों के द्वारा इतिहास को बदलने का प्रयास किया जा रहा है. अशोक स्तंभ हमारा गौरव है और न्यायपालिका दंड देती है यह राज्य दंड क्या होता है सामंती मनोवृति का प्रगति करण हो रहा है. दंड देने का प्रधान डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने न्यायपालिका को तय किया है बीजेपी के लोग इतिहास को बदलना कहते इतिहास में केवल अपना नाम दर्ज कराना चाहते है.
कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा कि बीजेपी इसको लेकर पॉलिटिक्स कर रही है नरेंद्र मोदी जी को अशोक स्तंभ से ऐतराज क्यों हुआ है अशोक स्तंभ से दूरी क्यों बना रहे हैं. अशोका स्तंभ के बदलेप सेंगोल को प्राथमिकता क्यों दे रहे हैं उनको राजतंत्र जैसे राज करने पर भरोसा है लोकतंत्र पर भरोसा नहीं है. पाली उन्होंने संविधान की धज्जियां उड़ाई अब अशोक स्तंभ से किनारा जैसा कर रहे हैं. सेंगोल पर राजनीतिक बीजेपी कर रही है और जनता आश्चर्यचकित है बीजेपी नेहरू की तुलना नरेंद्र मोदी जी के कर रही है. नेहरू कट बंडी और पैजामा पहनने से नेहरू कट कुर्ता पहने से नेहरू वाला डिग्री कहां से आएगा नेहरू गुलाम भारत को आजाद भारत के तरफ से ले गये अब भारत गुलाम है. क्या नरेंद्र मोदी आज की जनता को गुलाम समझते हैं किसी जन्म में मोदी नेहरू नहीं हो सकते.
इनपुट- रूपेंद्र श्रीवास्तव
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