नगर निकाय चुनाव के लिए तारीखों के ऐलान के साथ शुरू हुआ सियासी घमासान
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नगर निकाय चुनाव के लिए तारीखों के ऐलान के साथ शुरू हुआ सियासी घमासान

बिहार में नगर निकाय चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया गया हो. इससे पहले ही इस चुनाव को लेकर खूब सियासी घमासान रहा है. पहले जातिगत जनगणना और आरक्षण के मुद्दे की वजह से इस चुनाव का लगातार टलना सुर्खियों में रहा.

(फाइल फोटो)

पटना : बिहार में नगर निकाय चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया गया हो. इससे पहले ही इस चुनाव को लेकर खूब सियासी घमासान रहा है. पहले जातिगत जनगणना और आरक्षण के मुद्दे की वजह से इस चुनाव का लगातार टलना सुर्खियों में रहा. लेकिन अब जब इस चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान हो गया है तो भी इस पर ना तो राजनीति थम रही है ना ही इसको लेकर संशय के बादल ही थमते हुए नजर आ रहे हैं. 

चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद से ही इसपर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप जारी है. महागठबंधन की विरोधी बीजेपी जेडीयू पर आरोप लगा रही है कि वह आरक्षण विरोधी है तो जेडीयू का कहना है कि बीजेपी की मंशा ही आरक्षण विरोध है. 

नगर निकाय चुनाव पर प्रतिक्रिया देते हुए सूबे के पूर्व पर्यटन मंत्री नारायण प्रसाद ने कहा कि नीतीश सरकार कोर्ट के फैसले के बावजूद आनन-फानन में नगर निकाय चुनाव निपटाने में लगी हुई है. बीजेपी आरक्षण विरोधी नहीं है बल्कि हम यह चाहते हैं कि सारी चीजें पारदर्शिता के साथ संपन्न हो. नीतीश सरकार की मंशा उजागर हो चुकी है. असल में नीतीश कुमार ही पिछड़ा विरोधी हैं. 

वहीं पूरे मसले पर प्रतिक्रिया देते हुए जेडीयू एमएलसी खालिद अनवर ने कहा कि सुशील कुमार मोदी के बयान ने हीं बता दिया है कि बीजेपी अति पिछड़ों की कितनी हितैषी है. बीजेपी अति पिछड़ों की सबसे बड़ी विरोधी है और उसका चेहरा उजागर हो गया है. 

इस मसले पर प्रतिक्रिया देते हुए आरजेडी प्रवक्ता शक्तिसिंह यादव ने कहा कि बीजेपी का असली चेहरा बेनकाब हो चुका है. अति पिछड़ों के असली नेता सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव हैं. हमारी सरकार हमेशा अति पिछड़ों की लड़ाई लड़ती रहती है. 
(रिपोर्ट- रीतेश भारती)

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