Navratri 2022: नवरात्र में हर साल बदल जाता है देवी का वाहन, जानिए कैसे तय होती है मां की सवारी
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Navratri 2022: नवरात्र में हर साल बदल जाता है देवी का वाहन, जानिए कैसे तय होती है मां की सवारी

Navratri 2022: मां दुर्गा को हम सभी शेरों वाली मां के तौर पर जानते हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि देवी मां की सवारी शेर है. कई प्रतिमाओं और चित्रों और तस्वीरों में वाहन के तौर पर सिंह ही दिखाया जाता है. 

Navratri 2022: नवरात्र में हर साल बदल जाता है देवी का वाहन, जानिए कैसे तय होती है मां की सवारी

Navratri 2022: मां दुर्गा को हम सभी शेरों वाली मां के तौर पर जानते हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि देवी मां की सवारी शेर है. कई प्रतिमाओं और चित्रों और तस्वीरों में वाहन के तौर पर सिंह ही दिखाया जाता है. लेकिन नवरात्र के दिनों में जब मां दुर्गा का आगमन हमारे घरों में होता है तो हर साल उनके वाहन बदल जाते हैं. देवी भागवत ग्रंथ के अनुसार भी मां दुर्गा का वाहन शेर ही है, लेकिन इसी ग्रंथ में बताया गया है कि हर साल नवरात्र पर देवी अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं. देवी के अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आने से देश, काल और परिस्थिति पर भी इसका असर अलग-अलग होता है. 

ऐसे तय तय होता है माता का वाहन
देवी का आगमन किस वाहन पर हो रहा है, यह दिनों के आधार पर तय होता है. सोमवार या रविवार को घट स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं. शनिवार या मंगलवार को नवरात्रि की शुरुआत होने पर देवी का वाहन घोड़ा माना जाता है. गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र शुरू होने पर देवी डोली में बैठकर आती हैं. बुधवार से नवरात्र शुरू होने पर मां दुर्गा नाव पर सवार होकर आती हैं. इस बार 26 सितंबर को देवी मां हाथी पर सवार होकर आ रही हैं.
इन तथ्यों को देवी भागवत के इस श्लोक में वर्णन किया गया है.   
शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकी‌र्त्तिता ।।

वाहनों का यह होता है शुभ-अशुभ असर
माता दुर्गा जिस वाहन से पृथ्वी पर आती हैं, उसके अनुसार सालभर होने वाली घटनाओं का भी अनुमान किया जाता है. इनमें कुछ वाहन शुभ फल देने वाले और कुछ अशुभ फल देने वाले होते हैं. देवी जब हाथी पर सवार होकर आती हैं तो पानी ज्यादा बरसता है. घोड़े पर आती हैं तो युद्ध की आशंका बढ़ जाती है. देवी नौका पर आती हैं तो सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और डोली पर आती हैं तो महामारी का भय बना रहता हैं. इसका भी वर्णन देवी भागवत में किया गया है. 
गजे च जलदा देवी क्षत्र भंग स्तुरंगमे।
नोकायां सर्वसिद्धि स्या ढोलायां मरणंधुवम्।।

मां के जाने का वाहन भी होता है अलग
देवी मां दुर्गा का आगमन भी अलग वाहन से होता है और उनकी विदाई भी अलग वाहन से होती है. यानी सप्ताह के जिस दिन नवरात्र का अंतिम दिन होता है, उसी के अनुसार देवी का वाहन भी तय होता है. इसी के अनुसार जाने के दिन व वाहन का भी शुभ अशुभ फल होता है. रविवार या सोमवार को देवी भैंसे की सवारी से जाती हैं तो देश में रोग और शोक बढ़ता है. शनिवार या मंगलवार को देवी मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं, जिससे दुख और कष्ट की वृद्धि होती है. बुधवार या शुक्रवार को देवी हाथी पर जाती हैं. इससे बारिश ज्यादा होती है. गुरुवार को मां दुर्गा मनुष्य की सवारी से जाती हैं. इससे सुख और शांति की वृद्धि होती है.

शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा।
शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।।
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा।
सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥

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