जानकारी के मुताबिक, एसएफसी ने साल 2013 में रामगढ़ थाने में गबन को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई है. यह मामला रामगढ़ थाने में कांड संख्या 184/13 के तौर पर दर्ज है
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पटनाः बिहार सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की बात करती है, लेकिन हकीकत में ऐसा नजर नहीं आता. इधर महागठबंधन की सरकार बनते ही एक बार फिर नीतीश सरकार दागी मंत्रियों को लेकर सवालों के घेरे में हैं. जहां कानून मंत्री बिहार पुलिस की नजर में फरार चल रहे हैं तो वहीं बिहार सरकार के नए कृषि मंत्री सुधाकर सिंह पर भी गबन का आरोप है. सुधाकर सिंह राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र हैं. इनके ऊपर एसएफसी के करोड़ों रुपये के चावल गबन का आरोप है.
2013 में दर्ज हुई प्राथमिकी
जानकारी के मुताबिक, एसएफसी ने साल 2013 में रामगढ़ थाने में गबन को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई है. यह मामला रामगढ़ थाने में कांड संख्या 184/13 के तौर पर दर्ज है. रामगढ़ सुधाकर सिंह द्वारा धान मिलिंग के लिए जो मिल रजिस्टर्ड कराया गया था ऊसमें सोन वैली राइस मिल और सुधाकर राइस मिल शामिल हैं. एसएफसी कैमूर से मिले दस्तावेज के मुताबिक सुधाकर राइस मिल सहूका में 365.30 मीट्रिक टन सीएमआर बकाया था, जिसकी कीमत 69,52133 रुपये थी, जिसमें विभाग द्वारा 10,50000 रुपये की रिकवरी की गई और अभी भी उनके ऊपर 59 लाख 02 हजार 133 रुपये सरकार के बकाया हैं. इसको लेकर एसएफसी द्वारा 35/2012-13 में नीलाम वाद दायर किया गया था, जिसके बाद रामगढ़ थाने में 184/13 कांड संख्या अंकित किया गया था.
दूसरे फर्म से भी है बकाया
उसी तरह से उनके द्वारा दूसरा फॉर्म रजिस्टर्ड कराया गया जो सोन वैली राइस मिल सहूका के नाम से था. इसमें सीएमआर 2424.91 मीट्रिक टन लौटाना था. जिसकी कीमत चार करोड़ 61 लाख 49 हजार 132 रुपये थी. जिसमें प्रशासन 50 लाख 50 हजार रुपये ही रिकवर कर पाई और इसमें भी सरकार का सुधाकर सिंह के सोन वैली राइस मिल सहुका के ऊपर चार करोड़ 10 लाख 99 हजार 132 बकाया है. जिसको लेकर 36/2012-13 में नीलाम पत्र वाद किया गया था और इस मामले में भी रामगढ़ थाने में 184/13 कांड अंकित किया गया था.
विपक्ष ने खोला है मोर्चा
अब इसे लेकर विपक्ष लगातार मोर्चा खोले हुए है. चावल गबन के आरोपी सुधाकर सिंह जो सोन वैसी राइस मिल सहूका और सुधाकर राइस मिल सहूका के प्रोपराइटर हैं. उनको एक बार राजद कोटे से कृषि मंत्री बना देने से सियासी गलियारे में चर्चा तेज है. एसएफसी के कैमूर डीएम बताते हैं कि सत्र 11-12 में कुल 68 प्राथमिकी चावल घोटाले को लेकर जिले के विभिन्न थानों में अलग-अलग लोगों पर दर्ज कराया गया था, जिसमें सरकार का 76 करोड़ रुपये लगभग बकाया है.