Karwachauth Vrat: करवाचौथ पर बन रहे हैं ये खास योग, इस समय पूजा का मिलेगा पूरा फल
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Karwachauth Vrat: करवाचौथ पर बन रहे हैं ये खास योग, इस समय पूजा का मिलेगा पूरा फल

करवाचौथ पर इस बार बेहद ही शुभ संयोग बन रहा है. करवाचौथ का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह शृंगार कर अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं. 

Karwachauth Vrat: करवाचौथ पर बन रहे हैं ये खास योग, इस समय पूजा का मिलेगा पूरा फल

पटना: Karwachauth Vrat : करवाचौथ कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. इस साल करवाचौथ का व्रत 13 अक्टूबर दिन गुरुवार को रखा जाएगा. करवाचौथ पर इस बार बेहद ही शुभ संयोग बन रहा है. करवाचौथ का हिंदू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह शृंगार कर अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं. इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर शिव परिवार के साथ साथ करवा माता की पूजा उपासना करती हैं और उनसे अपनी पति की लंबी आयु की कामना करती हैं.

इस बार ये है चंद्रोदय का समय
कार्तिक मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि आरंभ- 13 अक्टूबर 2022 को सुबह 01 बजकर 59 मिनट से
कार्तिक मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि समाप्त- 14 अक्टूबर 2022  को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर
13 अक्टूबर को चंद्रोदय का समय- रात को 08 बजकर 19 मिनट पर

बन रहे हैं ये योग
इस बार का करवा चौथ बेहद शुभ संयोग में मनाया जाएगा. इस दिन सिद्धि योग बना रहा है, जो 12 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 21 मिनट से शुरू होगा और 13 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 35 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा करवा चौथ के दिन रोहिणी नक्षत्र और कृतिका नक्षत्र रहेगा. ये दोनों ही शुभ माने गए हैं. रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा की पूजा करना बेहद शुभ फलदायी माना जाता है. करवाचौथ के दिन शाम में रोहिणी नक्षत्र 6 बजकर 41 मिनट पर लग रहा है तो ऐसे में इस समय के बाद पूजा करना लाभकारी रहेगा. दरअसल, रोहिणी चंद्रमा की सबसे प्रिय पत्नी हैं. चौथ तिथि का आरंभ 12 अक्टूबर को रात में 2 बजे से चतुर्थी तिथि का आरंभ होगा और 13 तारीख में मध्य रात्रि 3 बजकर 09 मिनट पर समाप्त होगी.

करवा चौथ पर ये कार्य करना रहता है बेहद शुभ
करवा चौथ के दिन सुहागिनों के लिए श्री सूक्त का पाठ करना बेहद शुभ फलदायक रहता है और पुरुषों को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए. इससे पति पत्नी के बीच सौहार्द और प्रेम बना रहता है. इसके अलावा मां गौरी को श्रृंगार का सामान अर्पित करना चाहिए.

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