Janmashtami 2022: छपरा के अंबिका भवानी मंदिर में होती है जन्माष्टमी पूजा, जानिए क्या है श्रीकृष्ण से संबंध
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar1310311

Janmashtami 2022: छपरा के अंबिका भवानी मंदिर में होती है जन्माष्टमी पूजा, जानिए क्या है श्रीकृष्ण से संबंध

Janmashtami 2022: इस मंदिर को योगमाया का केंद्र भी माना जाता है. श्रीकृष्ण के जन्म में योगमाया ने भी सहयोग दिया था. उन्होंने ही कंस को चेतावनी दी थी कि तेरा नाश करने वाला गोकुल में जन्म ले चुका है. इसके बाद यह देवी विन्ध्याचल में माता के रूप में स्थापित हो गईं.

Janmashtami 2022: छपरा के अंबिका भवानी मंदिर में होती है जन्माष्टमी पूजा, जानिए क्या है श्रीकृष्ण से संबंध

छपराः कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर शक्ति पीठ मां अंबिका भवानी मंदिर में तैयारी जोर-शोर से की गई है. यहां के पुजारी नीलू बाबा ने बताया कि यह शक्ति पीठ मां अंबिका भवानी जी का है. यह मां का सती स्थान है, इसे लेकर भी इस स्थान की मान्यता काफी अधिक है. नवरात्र के अलावा जन्माष्टमी पर भी यहां भक्तों की भीड़ काफी ज्यादा होती है. शाम से रात्रि तक यहां झूलन महोत्सव कार्यकर्म होगा, जिसके लिए तैयारी की गई है. शाम होते ही लोग कृष्ण के जन्मोत्सव के लिए काफी संख्या में लोग जुटते हैं. पूरे मंदिर को रौशनी सा सजाया जा था है भगवान कृष्ण के झूले लगाए जा रहे हैं, जो कि भजन कीर्तन के बाद रात्रि में प्रसाद वितरण का कार्यक्रम कर आयोजन समाप्त होगा.

मार्कंडेय पुराण में है वर्णन
छपरा सोनपुर मध्य रेलवे व एनएच 19 के दिघवारा स्टेशन व अंबिका भवानी हाल्ट स्टेशन से 5 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम सारण गजेटियर द्वारा घोषित दक्ष प्रजापति क्षेत्र औैर क्षेत्र के बीच गंगा तट पर स्थित मॉं अंबिका भवानी मंदिर शक्ति साधकों के लिए विशेष महत्व का स्थान है. मांर्कडेय पुराण में वर्णित राजा दक्ष की कर्मस्थली आमी में अवस्थित इस मंदिर का पौराणिक इतिहास रहा है. बताया जाता है कि यह स्थल प्रजापति राजा दक्ष का यज्ञ स्थल एवं राजा सुरथ की तपस्या स्थली रही है.

सती ने किया था आत्मदाह
कहते हैं प्रजापति राजा दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में महादेव को आमंत्रित नहीं किया गया था. लिहाजा सती ने पिता द्वारा अपमानित किये जाने पर हवन कुंड में कूद कर आत्म हत्या कर ली थी. इससे आक्रोशित होकर भगवान शिव सती के शव को लेकर तांडव नृत्य करने लगें. उनके तांडव नृत्य को शांत कराने के लिए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के शव को टुकड़े-टुकड़े कर दिये. उनके शव के टुकड़े जहॅा-जहॅा गिरे वही शक्ति पीठ के रूप में जाना गया. लोग बताते हैं कि आमी में जब से मां अंबिका भवानी की पिंडी स्थापित हुआ. उस समय से ही यहां मॉं दुर्गा की प्रतिमाएं स्थापित नहीं की जाती हैं. लोगों का भीड़ मंदिर में नवरात्र में लाखों की संख्या में जुटती है. मंदिर परिसर भक्तों से गुलजार रहता है. 

इसके अलावा इस मंदिर को योगमाया का केंद्र भी माना जाता है. श्रीकृष्ण के जन्म में योगमाया ने भी सहयोग दिया था. उन्होंने ही कंस को चेतावनी दी थी कि तेरा नाश करने वाला गोकुल में जन्म ले चुका है. इसके बाद यह देवी विन्ध्याचल में माता के रूप में स्थापित हो गईं. देवी को योगमाया का स्वरूप भी माना जाता है, इसलिए जन्माष्टमी पर यहां भक्तों की भीड़ लगती है. 

 

Trending news