Basant Panchami 2023: जनवरी में ही है बसंत पंचमी, सरस्वती पूजा के ही दिन होगा ये काम
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Basant Panchami 2023: जनवरी में ही है बसंत पंचमी, सरस्वती पूजा के ही दिन होगा ये काम

Basant Panchmi 2023: बसंत पंचमी को मां सरस्वती के लिए पीले मिष्ठान्न और सफेद मिष्ठान्न का भोग लगाना चाहिए.इस दिन आप मीठे में बूंदी का भोग चढ़ाएं. इसके साथ ही खिचड़ी का भोग लगाकर भी प्रसाद बांट सकते हैं. माघ मास में खिचड़ी खाना बहुत लाभदायक माना जाता है.

Basant Panchami 2023: जनवरी में ही है बसंत पंचमी, सरस्वती पूजा के ही दिन होगा ये काम

पटनाः Magh Mas Basant Panchmi 2023: माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. इस साल यह पर्व देशभर में 05 फरवरी 2022 को मनाया जाने वाला है. इस दिन ज्ञान और सुर की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है. इस बार बसंत पंचमी गणतंत्र दिवस के दिन यानी कि 26 जनवरी 2023 को है. बसंत पंचमी का दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती (Maa Saraswati) को समर्पित होता है. सरस्वती मां को ज्ञान, कला और संगीत की देवी कहा जाता है. बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा का विधान है. 

बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त 
साल 2023 में बसंत पंचमी 26 जनवरी, दिन गुरुवार को मनाया जाएगा. 
पंचमी तिथि की शुरुआत: 25 जनवरी, 2023 दोपहर 12:34 बजे
पंचमी तिथि की समाप्ति: 26 जनवरी, 2023 को सुबह 10:28 बजे

ऐसा बनाएं मां का भोग
बसंत पंचमी को मां सरस्वती के लिए पीले मिष्ठान्न और सफेद मिष्ठान्न का भोग लगाना चाहिए.इस दिन आप मीठे में बूंदी का भोग चढ़ाएं. इसके साथ ही खिचड़ी का भोग लगाकर भी प्रसाद बांट सकते हैं. माघ मास में खिचड़ी खाना बहुत लाभदायक माना जाता है. यह देवताओं का आहार भी है. सफेद भोग में खीर का प्रसाद चढ़ाएं. इसके बाद उसे श्रद्धालुओं में बांट दें. इसके अलावा आप राज भोग, बूंदी के लड्डू और मिक्स सब्जियां भी भोग के तौर पर मां सरस्वती को अर्पित कर सकते हैं.

बसंत पंचमी को रखी जाती है सम्मत
बसंत पंचमी से ही होली की शुरुआत भी मानी जाती है. इसी दिन होलिका दहन के लिए सम्मत रखी जाती है. सम्मत वह व्यवस्था होती है, जिसमें रोज लकड़ियां आदि शामिल कर उसे होलिका का रूप दिया जाता है. इसे बुराई का, बीते समय और शोक का प्रतीक माना जाता है. सम्मत का एक अर्थ संवत भी होता है. इसका तात्पर्य यह होता है कि सम्मत रखकर आज से दुख-दारिद्र की उल्टी गिनती शुरू और नए वर्ष का इंतजार होगा. बसंत पंचमी सुख के दिनों का आगमन का भी प्रतीक है.

 

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