Munger Flood: बिहार के मुंगेर जिले के छह प्रखंड के दर्जनों पंचायत के लोग बाढ़ की आपदा झेल रहे हैं. लोग गांव में नाक तक पानी से निकल कर जान बचाने सरकारी शिविर में आए, लेकिन यहां की व्यवस्था और लोगों की जान लेने पर तुली है. सरकारी शिविर में न तो रहने बैठने की व्यवस्था है और न ही यहां सरकार द्वारा बाढ़ पीड़ित लोगों के लिए खाने को कुछ भी भिजवाया जा रहा है. लोग सत्तू पिकर किसी तरह दो दिनों से अपना और अपने बच्चों का जान बचाए हुए हैं.
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Munger Flood: हर साल की तरह इस साल भी राज्य बिहार में बाढ़ का कहर जारी है. बिहार के अलग-अलग जिलों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. जिससे लोगों का रहना दुश्वार हो गया है. बिहार के मुंगेर में बाढ़ का दंश झेल रहे लोग अब जिला प्रशासन द्वारा संचालित सरकारी शिविर में आने लगे हैं. जिला प्रशासन का दावा है कि बाढ़ पीड़ितों के लिए जिला प्रशासन ने मुकम्मल व्यवस्था की है, लेकिन शिविर में मीडिया के पहुंचते ही प्रशासन के दावों की हकीकत खोखला साबित होता दिख रहा है.
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सरकारी शिविर में लोगों को आते देख बाढ़ पीड़ित उत्साहित होकर दौरे-दौरे ये सोच कर आते हैं कि कोई आया है तो शायद कुछ खाने का सामान हम लोगों के लिए लेकर आया होगा. वहीं, जब मीडिया की टीम सदर प्रखंड के नवागढ़ी हाई स्कूल शिविर पहुंची और 50 से अधिक तारापुर दियारा पंचायत के मनियारचक गांव के बाढ़ पीड़ितों का हाल जाना.
वहीं, शिविर का निरीक्षण करने पहुंची सदर की बीपीआरओ एकता कुमारी मीडिया के कैमरे को देखते ही भड़क गई और प्रशासन की कुव्यवस्था ना दिखे इसके लिए फोटो वीडियो बनाने से मना करने लगी.
शिविर में खाने की कोई व्यवस्था नहीं
वहीं, जब उनसे सवाल पूछा गया तो वो वहां से निकल गई. बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि कुछ बाढ़ पीड़ित लोग गुरुवार को तो कुछ शुक्रवार को शिविर में आए हैं. यहां आने के बाद सुखा जगह रहने को तो मिल गया, लेकिन ना तो पॉलिथीन मिला है और ना ही कुछ खाने की व्यवस्था है.
लोग दो दिनों से सत्तू-नमक पीकर जिंदा
दो दिनों से बच्चे और खुद को सत्तू और नमक पिलाकर जिंदा रख और खुद रह रहे हैं, लेकिन अब बच्चे भी अन्न के बिना भूख से व्याकुल हो रहे हैं. जिला प्रशासन ने शिविर में बैठने तक की व्यवस्था नहीं की गई है. बच्चे लोगों को स्कूल बेंच पर सुला रहे हैं, जहां मच्छर परेशान कर रहा है.
सरकारी शिविर की व्यवस्था जान लेने पर तुली
बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि गांव में नाक तक पानी में से निकल कर जान बचाने सरकारी शिविर में आए, लेकिन यहां की व्यवस्था तो और लोगों की जान लेने पर तुली है. वहीं महिलाओं ने बताया कि हम लोग यहां पहुंचे हैं, लेकिन किसी प्रकार का कोई व्यवस्था नहीं है.
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सरकार कम से कम सूखा भोजन की व्यवस्था कर दें
हमलोग चूल्हा भी लेकर आए हैं, लेकिन अनाज नहीं रहने की वजह से बच्चों को कुछ बना कर नहीं खिला पा रहे हैं. बच्चे भी सत्तू पी पीकर परेशान हो गए हैं. सरकार कम से कम तत्काल रूखा सूखा भोजन का भी व्यवस्था कर देती तो दिन कट जाता.
मुंगेर के छह प्रखंड के दर्जनों पंचायत में बाढ़ की आपदा
आपको बता दें कि मुंगेर के छह प्रखंड के दर्जनों पंचायत के लोग बाढ़ की आपदा झेल रहे हैं. वहीं, जिला प्रशासन का दावा हवा हवाई होते नजर आ रहा है. बाढ़ पीड़ितों को आस है की मीडिया हमारी विपदा को सरकार और प्रशासन को दिखाएगी, तभी हम लोगों को कुछ सहायता सरकार से मिल सकेगा.
इनपुट- प्रशांत कुमार
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