झारखंड में 'भाषा' की लड़ाई, सरकार की साख पर आई
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झारखंड में 'भाषा' की लड़ाई, सरकार की साख पर आई

अब आंदोलनकारी सरकार और विपक्ष पर दबाव बनाने के लिए मंत्री, विधायक, सांसद समेत तमाम जनप्रतिनिधियों के आवास का घेराव करने और झारखंड के हित में भोजपुरी, मगही और अंगिका के विरोध की बात कर रहे हैं. सोमवार को भी आंदोलनकारियों ने बाघमारा विधायक ढ़ुल्लु महतो के आवास का घेराव किया.

झारखंड में 'भाषा' की लड़ाई, सरकार की साख पर आई

रांची: झारखंड के कई जिलों में भोजपुरी, मगही और अंगिका को क्षेत्रीय भाषा के दर्जे की घोषणा को लेकर हेमंत सरकार का विरोध निरंतर जारी है. इस विरोध को प्रदेश भर में झारखंडी भाषा बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले आंदोलन का शक्ल दे दिया गया है. वहीं झारखंड सरकार के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो भी कई सभाओं में सरकार के इस फैसले को वापस लेने और जिला स्तरीय नियुक्तियों में अंगिका, भोजपुरी, मगही और उर्दू को शामिल किए जाने का विरोध कर रहे हैं. 

आंदोलनकारी कर रहे जनप्रतिनिधियों के आवास का घेराव
अब आंदोलनकारी सरकार और विपक्ष पर दबाव बनाने के लिए मंत्री, विधायक, सांसद समेत तमाम जनप्रतिनिधियों के आवास का घेराव करने और झारखंड के हित में भोजपुरी, मगही और अंगिका के विरोध की बात कर रहे हैं. सोमवार को भी आंदोलनकारियों ने बाघमारा विधायक ढ़ुल्लु महतो के आवास का घेराव किया. लेकिन जिस वक्त ये आंदोलनकारी बाघमारा के बीजेपी विधायक ढ़ुल्लु महतो के आवास का घेराव कर रहे थे उसी वक्त धनबाद पहुंचे झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री और जमशेदपुर पश्चिमी से कांग्रेस विधायक बन्ना गुप्ता ने सवालों का जवाब भोजपुरी में देकर ये जाहिर कर दिया की सरकार भोजपुरी समेत तीनों बिहारी भाषाओं पर लिए गए अपने फैसले पर अडिग है.  

मंत्री बन्ना गुप्ता के भोजपुरी में बयान के क्या हैं मायने? 
झारखंड सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता ने ऐसे समय में भोजपुरी में बयान दिया है जब भाषा विवाद को लेकर आंदोलन चरम पर है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या राष्ट्रीय पार्टियों के सरोकार क्षेत्रीय दलों से अलग हैं. क्योंकि कांग्रेस जानती है कि झारखंड में भोजपुरी समेत बिहार की तीनों भाषाओं का विरोध उसे बिहार की राजनीति से दूर कर सकता है. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता धनबाद जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं और धनबाद में क्षेत्रीय भाषा को लेकर आंदोलन का असर सबसे ज्यादा है. बन्ना गुप्ता ने धनबाद सर्किट हाउस में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की और फिर धनबाद में चल रहे भाषा विवाद को लेकर भोजपुरी भाषा में बोलते हुए कहा कि हम सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं, लेकिन मातृभाषा की भी हमें चिंता है. मतलब साफ है, कांग्रेस न तो झारखंडी भाषा बचाओ संघर्ष समिति की मांगों के साथ है और न ही उसकी मंशा भोजपुरी, मगही और अंगिका को झारखंड की प्रतियोगी परीक्षाओं के सिलेबस से हटाने की है.  

अपनी ही सरकार के फैसले को क्यों पलटना चाहते हैं शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो?
अब जबकी सरकार में शामिल एक घटक दल कांग्रेस सरकार के फैसले के साथ है, तब सरकार में जेएमएम कोटे के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो अपनी ही सरकार के फैसले का विरोध क्यों कर रहे हैं ये समझना मुश्किल तो है नामुमकीन नहीं. क्योंकि मंत्री जगरनाथ महतो जिस वोट बैंक के सहारे सियासत करते हैं, उसे साधे रखना उनकी मजबूरी है. अगर वो बिहार से जुड़ी हुई क्षेत्रीय भाषाओं का विरोध नहीं करेंगे तो आजसू इन भाषाओं का विरोध कर जनता की सहानुभूति अपने पक्ष में ले जाएगा. यही वजह है कि भाषा विवाद को जगरनाथ महतो अपनी साख की लड़ाई बना चुके हैं, जबकी सरकार में शामिल कांग्रेस को इसके विरोध से कोई लेना-देना नहीं है. 

भाषा विवाद में कौन किसके साथ?
झारखंड में जिला स्तरीय नियुक्तियों में जिन क्षेत्रीय भाषाओं को सरकार ने हटा दिया था, उसे अभ्यर्थियों के आंदोलन के बाद सरकार फिर से सिलेबस में शामिल कर ली. लेकिन सरकार के इस फैसले के बाद झारखंड के कई राजनीतिक और सामाजिक संगठन नाराज हो गए और झारखंडी युवाओं के हक में इस फैसले को वापस लेने का दबाव बना रहे हैं. एक ओर जहां आजसू खुल कर झारखंडी भाषा के समर्थन में है तो वहीं जेएमएम के कुछ प्रमुख नेता अंगिका, भोजपुरी और मगही को हटाने के लिए चलाए जा रहे आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं. वहीं दोनों राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस और बीजेपी अपना स्टैंड साफ नहीं कर पा रही है.

(इनपुट-नीतेश)

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