Motihari News: बिहार के मोतिहारी के लोगों को सफाई का सपना दिखाया और साल 2023 में करोड़ों रुपये के उपकरण जैसे ठेला और रिक्शा खरीदे गए थे. लेकिन ऐसा हो ना सका, रक्सौल नगर वासियों के सपने ने सिस्टम के आगे दम तोड़ दिया.
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मोतिहारीः Motihari News: एक तरफ बिहार सरकार पूरे प्रदेश में स्वक्षता एवं सफाई के लिए लोहिया स्वक्षता अभियान चला रही है, ताकि शहर एवं गांव सुंदर दिखे. लेकिन मोतिहारी में तो अधिकारियों ने कमाल ही कर दिया है. शव को दफन करते हुए आपने देखा और सुना होगा, लेकिन रक्सौल का नगर परिषद सफाई के नाम पर सरकारी खजाने को ही गड्ढे में दफन कर दिया है. ये सराहनीय कार्य हमारे कथित ईमानदार अधिकारी और कर्मठ जनप्रतिनिधियों के प्रयास से मुमकिन हुआ है.
दरअसल रक्सौल शहर को साफ, सुंदर और स्वक्ष बनाने के लिए वर्ष 2023 में कई तरह के सैकड़ों सफाई उपस्कर, ठेला और रिक्शा खरीदे गए थे. ताकि अंतरराष्ट्रीय महत्व के रक्सौल शहर की गन्दी तस्वीर को स्विट्जरलैंड जैसे सफाई करके चमकाया जा सकें. करोड़ों के उपकरण की खरीदारी से पहले तब रक्सौल नगर परिषद ने यह दावा किया था कि रक्सौल को स्विट्जरलैंड की तरह साफ सफाई कर सुंदर बनाना है. सपना सीधा स्विट्जरलैंड का दिखाया गया था. लिहाजा स्विट्जरलैंड नहीं तो कम से कम आज से बेहतर सफाई होने की लोगों ने उम्मीद जरूर पाल ली थी. रक्सौल नगर वासियों को यह यकीन था कि चलो अब तो रक्सौल को कचड़े से मुक्ति मिलेगी, पर ऐसा हो ना सका, रक्सौल नगर वासियों के सपने ने सिस्टम के आगे दम तोड़ दिया.
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रक्सौल में साफ सफाई के लिए खरीदे गए हजारों उपस्करों को उपयोग के बजाए शहर में जगह-जगह बने गड्ढे में फेंक दिए गए है. स्थित ऐसी है कि सभी उपस्कर पानी में जंग खा कर खराब हो गए है. तो कुछ ई रिक्शा के पार्ट्स गायब है. पानी मे डूबे नए-नए ठेले रक्सौल की जनता की स्वक्षता की सपना है जो गड्ढे में डूबे नजर आ रहे है. रक्सौल शहर की मेन रोड सफाई के अभाव में कूड़ा बाजार बना हुआ है. टूटे डस्टबिन में आवारा पशु जहा तहां खाते नजर आ जाते है. जिस डिवाइडर में रंग बिरंगे फूल और पेड़ होने चाहिए वहॉ पर कूड़े नजर आते है. शहर की कई गलियों में साफ सफाई के अभाव में बदबू से लोग आना जाना नहीं चाहते. लोग अब इस कारनामे को सफाई के नाम पर सरकारी खजाने को खाली करने का भरपूर प्रयास बता रहे हैं.
रक्सौल शहर के समाजसेवी नुरुल्लाह खान का आरोप है कि रक्सौल नगर परिषद में सरकारी खजाने में लूट मची है. तय दामो से तीन गुणा अधिक मूल्य पर सैकड़ों उपस्कर की खरीदारी हुई हैं. जनता के पैसे को नगर परिषद जंग खिला रहा है. रक्सौल नगरपरिषद के 26 करोड़ के फंड का बंदरबांट हुआ है. आरोप है कि इसमे मुख्य रूप से चेयरमैन और पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी अनुभूति श्रीवास्तव शामिल रहे है. अनुभूति श्रीवास्तव पर पूर्व में भी आय से अधिक संपति के आरोप लग चुके है और आर्थिक अपराध इकाई की छापेमारी भी हो चुकी हैं.
जबकी इस संबंध में रक्सौल नगर परिषद के वर्तमान कार्यपालक पदाधिकारी मनीष कुमार से जब हमने सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि सभी उपकरण को वार्डो में वितरीत किया जाएगा. यानी जो अब किसी काम का नहीं उसे अब काम में लाया जाएगा. कार्यपालक पदाधिकारी ने खरीदारी पर अनभिज्ञता प्रगट करते हुए बताया कि कितने का उपस्कर खरीदा गया है और किस मूल्य पर खरीदा गया ये संचिका में है. जाहिर सी बात है कि संचिका में ही अधिकारी मामला को रखना चाह रहे है. क्योंकि उन्हें मालूम है कि अगर एक बार संचिका खुल गया तो कईयों की कलई भी खुल सकती है. अब सवाल यह उठता यह है कि बिहार सरकार की सबसे ड्रीम प्रोजेक्ट लोहिया स्वक्षता मिशन के नाम पर सरकारी खाजने की लूट की खुली छूट पर जांच कर दोषियों पर करवाई कब होंगी?
इनपुट- पंकज कुमार
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