भारत में संविधान सभा के गठन का विचार पहली बार 1934 में एम एन रॉय ने रखा था, वे वामपंथी आंदोलन के प्रखर नेता था. इसके बाद 1935 में पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से संविधान सभा के गठन की मांग की.
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Patna: 26 जनवरी का दिन भारत का राष्ट्रीय पर्व है, क्योंकि इसी दिन भारत का संविधान (26th November Constitution Day) लागू हुआ था और भारत दुनिया में एक गणराज्य के रूप में स्थापित हुआ था. लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि 26 नवंबर का दिन भी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि इसी दिन 1949 को संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकार किया था. तब से इस दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है.
संविधान सभा के गठन का विचार एम एन रॉय ने रखा था
भारत में संविधान सभा के गठन का विचार पहली बार 1934 में एम एन रॉय ने रखा था, वे वामपंथी आंदोलन के प्रखर नेता था. इसके बाद 1935 में पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से संविधान सभा के गठन की मांग की. 1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की तरफ से पंडित जवाहरलाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) ने ये घोषणा की कि स्वतंत्र भारत (Independent India) के संविधान का निर्माण व्यस्क मताधिकार के आधार पर चुनी गई संविधान सभा के जरिए किया जाएगा.
इसके बाद 1942 में ब्रिटिश सरकार के कैबिनेट मंत्री सर स्टाफोर्ड क्रिप्स संविधान निर्माण के लिए ब्रिटिश सरकार के एक प्रस्ताव के साथ भारत आए. इसके बाद 1946 में संविधान सभा का गठन हो गया.
संविधान सभा के लिए चुनाव जुलाई-अगस्त 1946 में हुआ. चुनाव में ब्रिटिश भारत को 294 सीटें आवंटित की गई थीं. इस चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) को 208, मुस्लिम लीग (Muslim League) को 73 साथ ही छोटे समूह और स्वतंत्र लोगों को 15 सीटें मिलीं. देशी रियासतों को मिली 93 सीटें भर नहीं पाईं क्योंकि उन्होंने खुद को संविधान सभा से अलग रखने का फैसला किया था.
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9 दिसंबर 1946 को हुई संविधान सभा की पहली बैठक
संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई, मुस्लिम लीग ने इस बैठक का बहिष्कार किया. यही वजह है कि पहली बैठक में 211 सदस्यों ने ही भाग लिया. इस सभा में बिहार से आनेवाले सबसे वरिष्ठ सदस्य डॉ सच्चिदानंद सिन्हा (Dr. Sachchidanand Sinha) संविधान सभा के पहले और अंतरिम अध्यक्ष बने.
9 दिसंबर 1946 को हुई संविधान सभा की पहली बैठक की अध्यक्षता की
इसके बाद इन्होंने 9 दिसंबर 1946 को हुई संविधान सभा की पहली बैठक की अध्यक्षता की. डॉ. सच्चिदानन्द सिन्हा का जन्म 10 नवंबर 1871 को बिहार के आरा में एक कायस्थ परिवार में हुआ था. वह राजनेता के साथ शिक्षाविद, अधिवक्ता तथा पत्रकार थे. बिहार को बंगाल से पृथक राज्य के रूप में स्थापित करने वाले लोगों में उनका नाम सबसे प्रमुख है.
डॉ राजेंद्र प्रसाद को चुना गया अध्यक्ष
इसके बाद 11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद और एच सी मुखर्जी को संविधान सभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुना गया. डॉ राजेंद्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) की अध्यक्षता में संविधान समिति की बैठकों में इस लोकतांत्रिक संविधान की पूरी परिकल्पना को साकार रूप दिया गया. भारत के संविधान लिखने वाली सभा में 299 सदस्य थे, जिसकी अध्यक्षता डॉ. राजेन्द्र प्रसाद कर रहे थे.
26 नवंबर 1949 को पारित हुआ संविधान
संविधान सभा के ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन बने डॉ भीम राव अंबेडकर (Dr. Bhim Rao Ambedkar) ने 4 नवंबर 1948 को संविधान का अंतिम प्रारूप पेश किया. अगले 5 दिन यानी 9 नवंबर तक सभा में इसपर चर्चा हुई. इसके बाद 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने संविधान को पारित कर दिया. ये वही दिन है जिस दिन भारत के लोगों ने भारत के संविधान को अंगीकार किया. इसलिए ये दिन भारत के संविधान का दिन है. यानी ये देश हर आदमी को बराबरी का हक देता है अपनी बात कहने का, अपना काम करने का.
22 जुलाई 1947 को राष्ट्रीय ध्वज अपनाया गया
संविधान सभा ने जब काम करना शुरू किया तो कई ऐतिहासिक फैसले लिए गए. इसने 1949 में राष्ट्रमंडल में भारत की सदस्यता का सत्यापन किया. संविधान सभा ने 22 जुलाई 1947 को राष्ट्रीय ध्वज अपनाया. 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय गीत को अपनाने का फैसला किया. संविधान सभा ने ही 24 जनवरी 1950 को अपने अंतिम बैठक में डॉ राजेंद्र प्रसाद को भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुना.
24 जनवरी 1950 को संविधान सभा की अंतिम बैठक हुई
2 साल 11 महीने और 18 दिनों में संविधान सभा की कुल 11 बैठकें हुईं. संविधान निर्माताओं ने लगभग 60 देशों के संविधान का अवलोकन किया, इसके प्रारूप पर 114 दिनों तक विचार किया गया. 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा की अंतिम बैठक हुई थी.