डॉ. झा का कहना है, 'शोध के दौरान अलग-अलग फ्रीक्वेंसी का म्यूजिक सुनाया गया. किसी भी म्यूजिक पर कोई असर नहीं पड़ा, लेकिन जब 432 हर्ट्ज का म्यूजिक सुनाया गया तो चमत्कार जैसा था. इस म्यूजिक को एम्स ने पहले से अपने हिसाब से तैयार कराकर रखा था.'
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Patna: नींद नहीं आने से परेशान लोगों के लिए राहत भरी खबर है. पटना AIIMS ने शोध कर दावा किया है कि अगर सोते वक्त म्यूजिक सुना जाए तो गहरी और अच्छी नींद आती है. शोध में ये भी पाया गया है कि 432 हर्ट्ज की फ्रीक्वेंसी पर सुना गया संगीत अच्छी नींद लाने में सबसे ज्यादा लाभकारी है. यह रिसर्च 30 से 40 आयु वर्ग के 50 से अधिक हेल्दी लोगों पर की गई है.
फिजियोलॉजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. कमलेश झा ने कहा, 'पटना AIIMS में लगातार नींद पर प्रयोग किया जा रहा है. इसी कड़ी में बड़ा प्रयोग म्यूजिक पर किया गया. इसमें उन लोगों को शामिल किया गया, जिन्हें कोई परेशानी या बीमारी नहीं थी, लेकिन उन्हें नींद नहीं आ रही थी. देर से नींद आना और नींद पूरी नहीं होना, उनके लिए बड़ा मामला है.'
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रैंडम किया गया संगीत का प्रयोग
उनका कहना है कि 50 से अधिक लोगों को अलग-अलग दिन रैंडम म्यूजिक सुनाकर सुलाया गया. शोध में हर वर्ग के लोगों को शामिल किया गया था. इसमें डॉक्टर और सोशल वर्कर के साथ बिजनेसमैन को लगाया गया था. एक दिन पहले ग्रुप को म्यूजिक के साथ सुलाया गया और दूसरे दिन दूसरे ग्रुप को. रैंडम ग्रुप के सदस्यों की अदला-बदली भी की गई. पाया गया कि एक खास फ्रीक्वेंसी की धुन सुनने वालों को नींद पहले आई और उनकी नींद भी पूरी हो गई.
432 हर्ट्ज के म्यूजिक ने किया कमाल
डॉ. झा का कहना है, 'शोध के दौरान अलग-अलग फ्रीक्वेंसी का म्यूजिक सुनाया गया. किसी भी म्यूजिक पर कोई असर नहीं पड़ा, लेकिन जब 432 हर्ट्ज का म्यूजिक सुनाया गया तो चमत्कार जैसा था. इस म्यूजिक को एम्स ने पहले से अपने हिसाब से तैयार कराकर रखा था.' AIIMS ने सितार और बांसुरी के साथ अन्य वाद्य यंत्रों की धुन को 432 हर्ट्ज पर तैयार किया है. डॉक्टरों का कहना है कि यह ध्वनि की एक ऑडियल फ्रीक्वेंसी है, जिससे मस्तिष्क को सुकून मिलता है.
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छोटे पैमाने पर हुआ शोध, अब बड़े की तैयारी
उन्होंने कहा, 'म्यूजिक से नींद की समस्या का समाधान ढूंढ़ने वाले शोध में अभी 50 लोगों को शामिल किया गया, लेकिन अब इसका बड़े स्तर पर प्रयोग किया जाएगा. शोध का दायरा बढ़ाने के साथ इसमें अलग- अलग स्टेज में हर आयु वर्ग के लोगों को शामिल कर अलग-अलग फ्रीक्वेंसी की म्यूजिक देकर प्रयोग किया जाएगा. एक निश्चित फ्रीक्वेंसी की म्यूजिक से शोध कर यह पता लगाया जाएगा कि अलग-अलग उम्र के लोगों पर क्या प्रभाव है. अब तक के शोध में काफी पॉजिटिव परिणाम आए हैं. नींद कम या देर से आने की समस्या का समाधान म्यूजिक से आसानी से किया जा सकता है.'