जहानाबाद सदर अस्पताल भी इस बीमारी से अछूता नहीं है. आम मरीजों की चिंता की किसी को फिक्र नहीं है, लेकिन एक बहुचर्चित व विवादित कर्मी को लेकर स्वास्थ्य विभाग के दो आलाधिकारी आमने सामने आ गए हैं.
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जहानाबाद: बिहार में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का हाल क्या है यह बताने की जरूरत नहीं है. जहानाबाद सदर अस्पताल भी इस बीमारी से अछूता नहीं है. आम मरीजों की चिंता की किसी को फिक्र नहीं है, लेकिन एक बहुचर्चित व विवादित कर्मी को लेकर स्वास्थ्य विभाग के दो आलाधिकारी आमने सामने आ गए हैं. दरअसल विभाग के एक बहुचर्चित कर्मी रमेश कुमार शर्मा को लेकर सिवल सर्जन डॉ. अशोक कुमार चौधरी और सदर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. देवदास चौधरी के बीच ठन गई है. विभाग के दोनो समकक्ष अधिकारी जिस तरह से एक कर्मी को लेकर खुलकर आमने सामने आ गए हैं. इससे स्वास्थ्य विभाग की पूरी कार्य संस्कृति को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
पक्ष-विपक्ष में लिखें गए पत्र
मिली जानकारी के मुताबिक दोनों ओर से उक्त कर्मी के पक्ष विपक्ष में पत्र लिखे जा रहे हैं. अधीक्षक उक्त कर्मी के रवैये से खास नाराज दिख रहे हैं, तो सिविल सर्जन उक्त कर्मी के पक्ष में खड़े दिख रहे हैं. आलाधिकारियों के पत्र से स्पष्ट हो रहा है कि कैसे विभाग में एक डॉ को विवादित माना जा रहा है. कर्मी अपनी धाक से दो बड़े अधिकारियों के बीच विवाद की बड़ी वजह बना हुआ है. जिस तरह से पत्र में उक्त कर्मी के पक्ष और विपक्ष में अधिकारी खुलकर आपस में तनातनी करते दिख रहे हैं, हर कोई इससे हैरत में हैं.
दो अधिकारी आपस में भिड़ने को तैयार
आखिर हर किसी के मन में एक सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर उक्त कर्मी में कौन सी ऐसी खूबी है, जिसके लिए दो बड़े अधिकारी आपस में ही भिड़ने को तैयार दिख रहे हैं. उनके पत्र से सारी स्थिति खुलकर सामने आ रही है. दरअसल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ओकरी में कर्मचारियों के जीपीएस खाते से रमेश शर्मा अवैध निकासी कर ली गई थी, जिसमें उनके ऊपर कार्रवाई हुई. रमेश शर्मा को दो बार निलंबित किया गया है, तो एक बार बर्खास्तगी भी हुई है. जिसे लेकर मखदुमपुर विधायक ने विधानसभा में उनको लेकर सवाल उठाया था.
सिविल सर्जन और अस्पताल पर टालमटोल करने का आरोप
वहीं मामले को लेकर आरडीडी खुद जहानाबाद पहुंची उन्होंने मामले को लेकर सिविल सर्जन और अस्पताल पर टालमटोल करने का आरोप लगाया. सिविल सर्जन अस्पताल अधीक्षक से अपनी राय रखते हैं. मामले से पल्ला झाड़ते हुए सिविल सर्जन उन्होंने कोई पत्रचार नहीं किया. स्वास्थ्य कर्मी के बारे में जो बातें अस्पताल अधीक्षक ने लिखी है वह सत्य से परे लगता है. उनके कार्यकाल में उस व्यक्ति के बारे में कोई शिकायत नहीं आई है.
मिली जानकारी के मुताबिक कर्मचारी रमेश शर्मा को आरडीडी ने धृष्ट की उपाधि से नवाजा था. अब अधीक्षक योगदान नहीं दिलाना चाहते तो सिविल सर्जन उसके पक्ष में खड़े दिखते हैं. अब देखना है कि मामले का पटाक्षेप आखिर कैसे होता है.
(रिपोर्ट-मुकेश कुमार)
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