प्रिशा के मुताबिक, उसे ड्रॉइंग में दिलचस्पी थी, अपने दादा से प्रेरणा लेते हुए उसके मन में टैटू बनाने का ख्याल आया. फिर क्या था यहां से टैटू बनाने का सफर शुरू हो गया. उसके दादा ने टैटू बनाने की मशीन दे दी और फिर प्रिशा के हाथों का जादू चलने लगा.
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Katihar: टैटू, आज के दौर में शायद ही ऐसा कोई शख्स हो जो इस नाम से वाकीफ ना हो. युवा वर्ग में टैटू का जबरदस्त क्रेज है. फिल्मी अभिनेता हों या स्टार क्रिकेटर या जानी-मानी हस्ती, टैटू सबका स्टाइल सिंबल बन चुका है. प्राचीन समय में इसे आदिवासी संस्कृति का अंग माना जाता था लेकिन आज के दौर में ये शहरी गलैमर का अभिन्न हिस्सा बन चुका है.
छोटे शहरों में इसकी चकाचौंध कम है लेकिन कटिहार की 9वीं क्लास की छात्रा इस प्राचीन कला जिसे गोदना के नाम से भी जाना जाता है, को जिंदा करने में जुटी है. कटिहार के लालकोठी की रहने वाली छात्रा प्रिशा के टैटू बनाने के हुनर को जो भी देखता है वाहवाही किए बिना नहीं रहता. शरीर के विभिन्न अंगों पर प्रिशा खूबसूरत टैटू बनाती है. उसके बनाए हुए टैटू की चर्चा कटिहार में दूर-दूर तक हो रही है.
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प्रिशा के मुताबिक, उसे ड्रॉइंग में दिलचस्पी थी, अपने दादा से प्रेरणा लेते हुए उसके मन में टैटू बनाने का ख्याल आया. फिर क्या था यहां से टैटू बनाने का सफर शुरू हो गया. उसके दादा ने टैटू बनाने की मशीन दे दी और फिर प्रिशा के हाथों का जादू चलने लगा. अपनी कला को निखारने के लिए उसने कहीं से ट्रेनिंग भी नहीं ली है. कलाकारी के अपने हुनर और यूट्यूब पर वीडियो देख-देखकर आज वो एक से बढ़कर एक टैटू बना लेती है, जिसे देखकर हर कोई हैरान रह जाता है.
प्रिशा की मां सविता के मुताबिक, बच्चों को बचपन में खिलौने से खेलने का शौक होता है लेकिन उसकी बेटी को पेंसिल से अलग-अलग चित्र बनाने का शौक था. पढ़ाई के साथ-साथ वो चित्रकला में भी आगे थी. महज 12 साल की उम्र में प्रिशा ने अपने शौक को प्रोफेशन बना लिया और आज वो हर तरह के टैटू बना रही है. प्रिशा के टीचर ऋषि आनंद भी उसकी तारीफ किए बिना नहीं रहते.
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ऋषि आनंद के मुताबिक, 9वीं की छात्रा में इस तरह की काबलियत होना बड़ी बात है. ये मॉडर्न कल्चर, मॉडर्न आर्ट का हिस्सा है और छोटे शहर में इसे बढ़ावा मिलना गर्व की बात है. वहीं, प्रिशा का कहना है कि अगर इस हुनर को सरकार की तरफ से प्रोत्साहन मिले तो इस कला को बिहार में आगे लाया जा सकता है.
(इनपुट- राजीव रंजन)