6 दिसंबर 1992: 1992 वाली कहानी से पहले 2 साल में चलते हैं. साल था 1990. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा जोर पकड़ रहा था. इसी बीच लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक 'रथयात्रा' निकालने की घोषणा कर दी थी.
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पटनाः 6 दिसंबर 1992. कैलेंडर के बीते पन्नों में इस दिन का जो भी और जैसा भी इतिहास दर्ज है, इस इतिहास की दास्तां का एक सिरा बिहार से होकर गुजरता है. दास्तानों के इस हिस्से में कई किरदार हैं. इनमें खास तौर पर शामिल है एक रथ, एक रथी और एक है रथ को रोकने वाला.
राजनीति के पन्नों को जब भी बिहार में पलटा जाएगा तो लालू प्रसाद यादव का जिक्र जरूर आएगा और इस जिक्र में शामिल होगी ये किस्सागोई कि सोमनाथ मंदिर से अयोध्या के लिए निकला आडवाणी का रथ, लालू ने बिहार में रोक लिया था.
क्या थी ये कहानी, सिलसिलेवार डालते हैं एक नजर.
1992 वाली कहानी से पहले 2 साल में चलते हैं. साल था 1990. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा जोर पकड़ रहा था. इसी बीच लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक 'रथयात्रा' निकालने की घोषणा कर दी थी. इस रथयात्रा के प्रबंधन की जिम्मेदारी मिली थी देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को.
इसके पीछे दो वजहें थीं. एक तो नरेंद्र मोदी नेशनल मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत थे और दूसरा उनका प्रबंधन कौशल. यहां तक कि उन्होंने वीपी सिंह से लेकर यूपी सरकार तक को रथयात्रा रोकने की चुनौती दे डाली थी.
समस्तीपुर में गिरफ्तारी की बनी योजना
देशभर में चलते हुए रथयात्रा बिहार पहुंची. बिहार में सीएम थे लालू प्रसाद यादव. उन्होंने नरेंद्र मोदी की चेतावनी को सीरियसली लिया और बिहार में लालकृष्ण आडवाणी का रथ रोकने की ठान ली. आडवाणी की रथयात्रा धनबाद से शुरू होने वाली थी और उन्हें सासाराम के नजदीक गिरफ्तार करने की योजना थी.
ये योजना सबके सामने आ गई. धनबाद में गिरफ्तारी का प्लान बना, लेकिन अफसरों के बीच बात नहीं बनीं. अब बचा था एक और पड़ाव समस्तीपुर. लालू यादव उन्हें यहां हर हाल में गिरफ्तार करना चाहते थे. लालकृष्ण आडवाणी समस्तीपुर के सर्किट हाउस में रुके थे और लालू यादव ने अफसरों को निर्देश दिया कि उन्हें कहीं न जाने दिया जाए.
23 अक्टूबर को लालू हुए थे गिरफ्तार
कहते हैं कि लालू यादव सही मौके के इंतजार में थे. देर रात करीब दो बजे लालू यादव ने पत्रकार बनकर सर्किट हाउस में फोन किया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि आडवाणी के साथ कौन-कौन है. फोन आडवाणी के एक सहयोगी ने उठाया. उन्होंने बताया कि वो सो रहे हैं और सारे समर्थक जा चुके हैं.
लालू को यही मौका सबसे सही लगा. 25 सितंबर को सोमनाथ से शुरू हुई आडवाणी की रथयात्रा 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचनी थी, लेकिन 23 अक्टूबर को आडवाणी को बिहार में गिरफ्तार कर लिया गया. आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद केंद्र की सियासत में भूचाल मच गया. BJP ने केंद्र में सत्तासीन वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिसमें लालू प्रसाद यादव भी साझीदार थे, और सरकार गिर गई थी.