Bihar Board Exam 2023: हाथों से दिव्यांग पैरों से लिखकर दे रहा परीक्षा, कहानी जान दिल खुश हो जाएगा आपका
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Bihar Board Exam 2023: हाथों से दिव्यांग पैरों से लिखकर दे रहा परीक्षा, कहानी जान दिल खुश हो जाएगा आपका

जिनके हौसलों में दम हो मंजिल उसी को मिलती है. प्रतिभा कभी किसी सीमा को नहीं मानती. सपनों में जान हो तो मंजिल जरूर मिलती है. ऐसे में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की तरफ से आयोजित मैट्रिक की परीक्षा में एक दिव्यांग छात्र ने वह किया जिसे सुनकर हर कोई उसकी तारीफ कर रहा है.

Bihar Board Exam 2023: हाथों से दिव्यांग पैरों से लिखकर दे रहा परीक्षा, कहानी जान दिल खुश हो जाएगा आपका

बेतिया : जिनके हौसलों में दम हो मंजिल उसी को मिलती है. प्रतिभा कभी किसी सीमा को नहीं मानती. सपनों में जान हो तो मंजिल जरूर मिलती है. ऐसे में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की तरफ से आयोजित मैट्रिक की परीक्षा में एक दिव्यांग छात्र ने वह किया जिसे सुनकर हर कोई उसकी तारीफ कर रहा है. उस छात्र की दिव्यांगता भी उसकी प्रतिभा के आड़े नहीं आई और आज उस छात्र को हर तरफ सम्मान मिल रहा है. 

दरअसल बिहार के बेतिया जिले के बगहा दो प्रखंड के देउरा तरुअनवा निवासी गोपालदिव्यांग गोपाल कुमार न यह कारनामा किया है. गोपाल जन्म से ही दोनों हाथों से दिव्यांग है उसके पास काम करने के लिए हाथ भले ना हों लेकिन उसके हौसले बड़े हैं. उसने अपने हौसलों की बदौलत हार नहीं मानी. वह पढ़ता रहा और आगे बढ़ता रहा. हाथ नहीं थे तो क्या हुआ उसनें अपने पैरों को कलम थमा दी. फिर क्या था उसके अक्षर पन्नों पर कलम और पांव मिलकर उकेरने लगे. वह अब 10वीं का छात्र था. परीक्षा की तिथि घोषित हुई तो वह कलम पैरों में लगाए सेंटर पर अपने प्रशनपत्र के जवाब कॉपी पर लिखता रहा. 

गोपाल जब पैदा हुआ तो उसके हाथों ने काम करना बंद कर दिया, उसका शरीर तो बढ़ा लेकिन हाथों का विकास वहीं रूक गया. प्रतिभा कहां इन सब अड़चनों को मानती है. वह पढ़ाई का शौक रखता था तो अपने हौसले कौ हथियार बनाया और हौसले के दम पर पैर से कलम पकड़ना शुरू कर दिया. आज वह पैरों से मैट्रिक की परीक्षा दे रहा है. गोपाल को पढ़ाने वाले अध्यापक और प्राध्यापक सभी मानते हैं कि उसकी प्रतिभा को रोका नहीं जा सकता है. वह एक दिन जरूर इसकी बदौलत जिले के साथ राज्य और देश का नाम रौशन करेगा. 

वह परीक्षा केंद्र पर थो लोग आश्चर्य से देख रहे थे कि आखिर बिना हाथों के वह पेपर कैसे देगा लेकिन जब गोपाल कुमार ने पैरों के सहारे परीक्षा की कॉपियों पर अक्षर उकेरने शुरू किए तो सभी दंग रह गए. गोपाल दो भाई है और वह बड़ा है. उसके पिता श्याम लाल महतो किसान हैं, जबकि मां चंद्रकला देवी गृहिणी लेकिन दोनों ने मिलकर अपने बच्चे का हौसला बढ़ाया और आज वह इसी की बदौलत इस मुकाम तक पहुंचा. 

गोपाल उन हजारों दिव्यांगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो अपनी दिव्यांगता के आगे हार मान जाते हैं. गोपाल की रूची साहित्य में है और वह हिंदी विषय का शिक्षक बनना चाहता है. 

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