Bharat Ratna 2024: हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न, देश को भुखमरी से बचाने वाले मसीहा को जानिए
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Bharat Ratna 2024: हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न, देश को भुखमरी से बचाने वाले मसीहा को जानिए

Bharat Ratna Dr. MS Swaminathan: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने डॉ. एमएस स्वामीनाथन को 'भारत रत्न' से नवाजा है. डॉ. स्वामीनाथन देश में 'हरित क्रांति के जनक' कहे जाते हैं.

Bharat Ratna 2024: हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न, देश को भुखमरी से बचाने वाले मसीहा को जानिए

Bharat Ratna Award 2024: भारत सरकार ने महान कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का फैसला किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में यह घोषणा की. देश के कृषि क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव लाने वाले डॉ. स्वामीनाथन को 'हरित क्रांति का जनक' बताया जाता है. पीएम मोदी ने कहा कि 'उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.' अपने पोस्ट में PM मोदी लिखते हैं, 'डॉ. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व ने न केवल भारतीय कृषि को बदल दिया है बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और समृद्धि भी सुनिश्चित की है. वह ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें मैं करीब से जानता था और मैं हमेशा उनके इनपुट को महत्व देता था.' डॉ. एमएस स्वामीनाथन ने 60 और 70 के दशक में, कृषि क्षेत्र के भीतर बड़े बदलाव किए. उनकी कोशिशों का ही नतीजा रहा कि भारत खाद्य सुरक्षा हासिल कर सका. डॉ. स्वामीनाथन का पिछले साल सितंबर में 98 वर्ष की आयु में निधन हो गया था.

Bharat Ratna Dr. MS Swaminathan: कृषि वैज्ञानिक कैसे बने डॉ. एमएस स्वामीनाथन

स्वामीनाथन के पिता डॉक्टर थे. सबको लगा था कि वह भी मेडिकल फील्ड में जाएंगे लेकिन 1942 में सब कुछ बदल गया. स्‍वामीनाथन ने सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास कर ली थी, लेकिन मन खेती-बाड़ी में लगता था. जल्द ही वह सब छोड़-छाड़ कर रिसर्च में लग गए. एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन को दिए इंटरव्यू में डॉ. स्वामीनाथन ने उन दिनों के बारे में बताया था. उन्‍होंने कहा था, "1942 में (महात्मा) गांधीजी ने भारत छोड़ो आंदोलन का आह्वान किया. 1942-43 के दौरान बंगाल में अकाल भी पड़ा. हम जैसे कई उस समय छात्र थे और बड़े आदर्शवादी हुआ करते थे, हमने खुद से पूछा, 'स्‍वतंत्र भारत के लिए हम क्या कर सकते हैं?' इसलिए मैंने बंगाल में अकाल की वजह से कृषि पढ़ने का फैसला किया. मैंने अपनी फील्‍ड बदली और मेडिकल कॉलेज जाने के बजाय कोयम्‍बटूर के एग्रीकल्चर कॉलेज चला गया."

बंगाल में अकाल के दौरान 20 से 30 लाख लोगों की मौत हुई थी. वह अकाल अंग्रेजों की नीतियों का नतीजा था. स्वामीनाथन ने आगे कहा, 'मैंने जेनेटिक्स और ब्रीडिंग में रिसर्च का फैसला किया. सीधी वजह थी कि एक अच्छी वैरायटी का बड़ा असर होता है. बड़ी संख्या में किसानों को, चाहे वह छोटे हों या बड़े, फसल की अच्‍छी किस्म से फायदा हो सकता है.'

स्वामीनाथन की रिसर्च ने उन्‍हें यूरोप और अमेरिका के संस्‍थानों तक पहुंचाया. 1954 में उन्‍होंने कटक के चावल रिसर्च इंस्‍टीट्यूट में काम करना शुरू किया. वह ऐसी किस्मों पर काम कर रहे थे जिनसे ज्यादा उपज हो. इसकी जरूरत इसलिए थी क्योंकि आजादी के बाद भारतीय खेती में बहुत ज्यादा उत्पादन नहीं होता था. जरूरी फसलों को भी अमेरिका जैसे देशों से आयात करना पड़ा.

Bharat Ratna Dr. MS Swaminathan: कई गुना बढ़ गया था उत्पादन

स्‍वामीनाथन उस इंटरव्यू में बताते हैं कि कैसे हरित क्रांति ने मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों की जिंदगी बदल दी. उन्‍होंने कहा था, "1947 में जब भारत आजाद हुआ था, तब हम साल में करीब 6 मिलियन टन गेहूं उगाते थे. 1962 तक गेहूं का उत्पादन 10 मिलियन टन तक पहुंच गया था. 1964 और 1968 के बीच गेहूं का वार्षिक उत्पादन लगभग 10 मिलियन टन से बढ़कर लगभग 17 मिलियन टन हो गया.

Bharat Ratna Dr. MS Swaminathan: छिपा है चुनावी संदेश

शुक्रवार को, मोदी सरकार ने डॉ. एमएस स्‍वामीनाथन के साथ-साथ पूर्व प्रधानमंत्रियों- चौधरी चरण सिंह और पीवी नरसिम्हा राव को भी भारत रत्न से नवाजा. मोदी सरकार के डॉ. स्वामीनाथन को भारत रत्न देने के चुनावी निहितार्थ भी हैं. लोकसभा चुनाव से पहले, डॉ. स्‍वामीनाथन को सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान देकर सरकार ने दिखाया है कि कृषि क्षेत्र उसकी प्राथमिकता में है. देश के दक्षिणी भाग से आने वाले स्वामीनाथन को भारत रत्न देकर मोदी ने यह भी जाहिर किया कि वह देश के सभी कोनों के विशेषज्ञों के योगदान का सम्मान करते हैं.

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