Atul Subhash: अतुल सुभाष घटना के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें दहेज और घरेलू हिंसा से जुड़े मौजूदा कानूनों की समीक्षा की मांग की गई है.
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Atuls Suicide Case: बेंगलुरु में 34 वर्षीय इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद देशभर में हलचल मच गई है. इस घटना के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें दहेज और घरेलू हिंसा से जुड़े मौजूदा कानूनों की समीक्षा की मांग की गई है. इस याचिका में सुझाव दिया गया है कि कानूनों के दुरुपयोग को रोकने और निर्दोष लोगों को बचाने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित की जाए.
निर्देश देने की भी मांग की गई..
इस याचिका को अधिवक्ता विशाल तिवारी ने दायर किया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों, विधि विशेषज्ञों और वकीलों को शामिल करने की सिफारिश की गई है. याचिका में विवाह पंजीकरण प्रक्रिया के दौरान उपहार या दिए गए सामान का रिकॉर्ड रखने का निर्देश देने की भी मांग की गई है. इसके अलावा, इसमें 2010 के सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय का उल्लेख किया गया है, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के दुरुपयोग पर चिंता जताई गई थी.
कानूनों की समीक्षा और सुधार के लिए..
याचिका में इस घटना को दहेज और घरेलू हिंसा कानूनों की समीक्षा और सुधार के लिए एक बड़ा संकेत बताया गया है. इसमें कहा गया है कि इन कानूनों का सही उद्देश्य तभी हासिल हो सकता है जब उनके दुरुपयोग को रोका जाए. याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि इस दिशा में कदम उठाने से निर्दोष लोगों की जान बचाई जा सकेगी और असल पीड़ितों को न्याय मिलेगा.
अतुल सुभाष ने नौ दिसंबर को मराठाहल्ली स्थित अपने घर पर आत्महत्या कर ली थी. पुलिस के अनुसार, उन्होंने 24 पृष्ठ का एक सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें उन्होंने वैवाहिक समस्याओं और मानसिक प्रताड़ना के कारण यह कदम उठाने की बात कही है. उन्होंने अपनी पत्नी, रिश्तेदारों और उत्तर प्रदेश के एक न्यायाधीश पर मानसिक रूप से परेशान करने का आरोप लगाया है.
पुलिस ने इस मामले में सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा, ससुर अनुराग और सुशील नामक व्यक्ति के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है. इस घटना ने समाज में दहेज और घरेलू हिंसा के कानूनों के प्रभाव और उनके दुरुपयोग पर एक नई बहस छेड़ दी है. पीटीआई इनपुट