Allahabad High Court: 'टैक्सपेयर्स का पैसा मंदिर, गुरुद्वारा, चर्च जहां चाहे वहां जाए', योगी सरकार पर क्यों बरस पड़े हाईकोर्ट के जज
Advertisement

Allahabad High Court: 'टैक्सपेयर्स का पैसा मंदिर, गुरुद्वारा, चर्च जहां चाहे वहां जाए', योगी सरकार पर क्यों बरस पड़े हाईकोर्ट के जज

Allahabad High Court News in Hindi: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंदिरों का पैसा रोके जाने पर योगी सरकार से नाराजगी जताई है. कोर्ट ने कहा कि 'टैक्सपेयर्स का पैसा मंदिर, गुरुद्वारा, चर्च जहां चाहे वहां जाए, उससे सरकार को मतलब नहीं होना चाहिए.' 

 

Allahabad High Court: 'टैक्सपेयर्स का पैसा मंदिर, गुरुद्वारा, चर्च जहां चाहे वहां जाए', योगी सरकार पर क्यों बरस पड़े हाईकोर्ट के जज

Allahabad High Court Vrindavan Temple News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वृंदावन के ठाकुर रंगजी महाराज विराजमान मंदिर समेत यूपी के 9 मंदिरों को राज्य सरकार की ओर से सालाना मेनटिनेंस धनराशि रिलीज न करने पर गहरा दुख और नाराजगी जताई है. कोर्ट के नोटिस पर यूपी रेवेन्यू बोर्ड के सेक्रेटरी आज अदालत में तलब हुए, जिन्हें अदालत तीखे सवालों का सामना करना पड़ा. जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए सरकार से मंदिरों को 4 वर्ष से सालाना राशि रिलीज न करने का कारण पूछा. उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि अपने हक का पैसा मांगने के लिए भी मंदिरों को अदालतों का दरवाजा खटखटना पड़ रहा है. 

सरकार ने 4 साल से रोकी मंदिरों की धनराशि 

इलाहाबाद हाई कोर्ट में आज वृंदावन के ठाकुर रंगजी महाराज विराजमान मंदिर मामले में सुनवाई हुई. मंदिर प्रबंधन ने कोर्ट से आग्रह किया कि उन्हें सरकार से समझौते के तहत तय की गई सालाना धनराशि दिलाई जाए. मंदिर प्रबंधन ने बताया कि उसकी जमीन यूपी जमींदारी विनाश अधिनियम 1950 के तहत अधिग्रहीत कर ली गई थी. इसके बदले में उसे सरकार ने सालाना 87 हजार रुपये धनराशि देना मंजूर किया था. लेकिन पिछले 4 साल से सरकार ने इस धनराशि को देना बंद कर दिया है. 

'मंदिर आपके पास आकर हाथ क्यों पसारे' 

कोर्ट ने जब इसकी वजह पूछी तो यूपी रेवेन्यू बोर्ड के सेक्रेटरी ने दलील रखी कि मथुरा जिला प्रशासन की ओर से सालाना धनराशि के लिए कोई डिमांड नहीं भेजी गई थी, लिहाजा उसे रिलीज नहीं किया जा सका. जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने इस दलील पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा, 'आपने घटना का साधारणीकरण करते हुए कहा कि डीएम ने इस संबंध में डिमांड नहीं भेजी. जबकि एक्ट की सेक्शन 99 के तहत आपको हर साल सालाना राशि देनी ही होगी. जब आपको पहले से पता है कि यह राशि देनी ही है, तब आप उसे सीधे ट्रांसफर क्यों नहीं कर देते. आप क्यों चाहते हैं कि मंदिर आपके पास हर बार आकर हाथ पसारे.' 

'मंदिरों को 1 तारीख को क्यों नहीं मिलता फंड'

जस्टिस अग्रवाल ने कहा, '4 साल से मंदिर में आरती भोग पूजा कैसे होगी. सरकार महीने की पहली तारीख को आपकी सैलरी देती है तो मंदिर को पहली तारीख को पैसा जारी क्यों नहीं किया जाता. मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस बात पर दुख जताया कि मंदिरों और ट्रस्ट को राज्य सरकार से अपने हिस्से के ड्यूज हासिल करने के लिए कोर्ट के दरवाजे खटखटाने पड़ रहे हैं.'

'आप महाराज बनकर पैसा नहीं रोक सकते'

जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने कहा, 'आप सरकार हैं. आपको यह करना ही चाहिए. यह एक्ट कहता है कि मंदिर को आपको सालाना राशि देनी ही होगी. आप राजा- महाराजा नहीं हैं. आप गवर्नेंट सर्वेंट हैं और आपको उसी के हिसाब से व्यवहार करना चाहिए. ये टैक्स पेयर्स का पैसा है, आपका नहीं है, जो आप महाराज बनके रखे हुए हैं. यह बहुत शर्मनाक है. ऐसे केस कोर्ट में नहीं आने चाहिए. कोर्ट के गुस्से को देखते हुए राज्य के महाधिवक्ता ने कहा कि वह राशि मंदिर को ट्रांसफर कर दी गई है.' 

'आप कैसे रोक सकते हैं मंदिरों का फंड?'

सरकार के इस जवाब से अदालत संतुष्ट नहीं हुई. जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने राज्य के महाधिवक्ता को आदेश दिया, 'हम इस मामले में राज्य सरकार से एफिडेविट चाहते हैं. टैक्सपेयर्स का पैसा है, फिर वह मंदिर, गुरुद्वारा, चर्च जहां चाहे वहां जाए. बड़े शर्म की बात है कि आपकी सरकार में मंदिर को पैसे के लिए कोर्ट में आना पड़ रहा है. ऐसे कैसे फंड रोक देते हैं अफसर. इन सबको बुलाकर एक बार इंस्ट्रक्शन दीजिए.' 

Trending news