DNA with Sudhir Chaudhary: Agneepath योजना से फायदा या नुकसान? यहां समझें पूरा गणित
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DNA with Sudhir Chaudhary: Agneepath योजना से फायदा या नुकसान? यहां समझें पूरा गणित

DNA with Sudhir Chaudhary: नई योजना के तहत सेना में नौकरी की ये अवधि 4 साल की होगी और 4 साल के बाद सरकार अग्निवीरों को पेंशन नहीं देगी. इसीलिए देश में इतना हंगामा हो रहा है. 

DNA with Sudhir Chaudhary: Agneepath योजना से फायदा या नुकसान? यहां समझें पूरा गणित

DNA with Sudhir Chaudhary: हर साल सेना के तीन अंगों में Non- Commissioned Rank यानी ऑफिसर रैंक से जो नीचे रिक्त पद होते हैं, उन्हें भरने के लिए नौकरियां निकाली जाती थीं. जिन लोगों का इसमें चयन होता था, उनकी सेना में नौकरी लग जाती थी. इस नौकरी की अवधि 15 से 24 वर्ष तक होती थी. असल में सेना के तीनों अंगों में ये नियम है कि अगर एक सिपाही सेना में अपनी सेवा के 15 वर्ष पूरे कर लेता है तो वो सरकार से पेंशन पाने के लिए योग्य हो जाता है. यानी मान लीजिए, अगर कोई व्यक्ति 21 वर्ष की उम्र में सेना में भर्ती हुआ है तो वो 36 वर्ष की उम्र में सरकार से पेंशन लेने के लिए योग्य हो जाएगा. लेकिन अब जो नई योजना आई है, उसके तहत नौकरी की ये अवधि 4 साल होगी और 4 साल के बाद सरकार अग्निवीरों को पेंशन नहीं देगी.

क्या है विवाद का कारण?

इसीलिए देश में इतना हंगामा हो रहा है. यानी इस विवाद की जड़ में दो कारण हैं, पहला अब सेना में स्थाई नौकरी नहीं होगी. दूसरा रिटायरमेंट के बाद पेंशन नहीं मिलेगी. लेकिन केन्द्र सरकार का कहना है कि ये योजना कई मायनों में सेना और देश के युवाओं के लिए बेहतर साबित होगी. इसे आप कुछ Points में समझ सकते हैं.

देश की रक्षा करने का मौका मिलेगा

पहला इससे सेना में ज्यादा से ज्यादा युवाओं को देश की रक्षा करने का अवसर मिलेगा. इससे भारतीय सेना की औसत उम्र 32 वर्ष से घट कर 26 वर्ष हो जाएगी. यानी आज से 50 वर्षों के बाद जब देश की आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही होगी, तब भी हमारी सेना युवा रहेगी. क्योंकि इस योजना के तहत एक समय अंतराल पर युवा सेना में भर्ती होते रहेंगे.

25 फीसदी 'अग्निवीरों' को मिलेगी नौकरी

दूसरा जिन युवाओं को 4 साल के लिए सेना में भर्ती किया जाएगा, उनमें से 25 प्रतिशत युवाओं को सरकार वापस रिटेन कर लेगी. यानी ये युवा सेना में ही अपनी सेवाएं देते रहेंगे और जो 75 प्रतिशत युवा सेना से नौकरी करके निकलेंगे, उनके पास सेना में काम करने का अच्छा खासा अनुभव होगा और सेवा निधि के तौर पर लगभग 12 लाख रुपये की जमा पूंजी होगी.

लोगों को होंगे ये फायदे

इसलिए जो लोग ये कह रहे हैं कि चार साल के बाद इन युवाओं का क्या होगा, उन्हें ये बात समझनी होगी कि इस योजना के तहत देश के युवा 25 साल की उम्र में आर्थिक और मानसिक रूप से काफी मजबूत हो जाएंगे. मान लीजिए कोई युवा 21 साल की उम्र में सेना में भर्ती होता है तो वो 25 साल की उम्र में सेना से रिटायर होगा और रिटायरमेंट के बाद उसे सरकार की तरफ से 11 लाख 71 हजार रुपये सेवा निधि पैकेज के तौर पर मिलेंगे, इसके अलावा सेना में चार साल काम करने का अनुभव उसके पास होगा, सरकार उस सैनिक को एक प्रमाण पत्र अलग से देगी, जिसे अग्निवीर कौशल प्रमाणपत्र नाम दिया गया है और इन अग्निवीरों को राज्य सरकारों की पुलिस और पुलिस के सहयोगी बलों में नौकरी के लिए प्राथमिकता दी जाएगी. कई राज्य सरकारों ने इसकी मंजूरी भी दे दी है.

यानी 25 साल की उम्र में उस युवा के पास अपनी जमा पूंजी होगी. अनुभव और अनुशासन होगा और वो सबसे बड़ी बात, वो Skilled होगा. सोचिए, आज 25 साल की उम्र में कौन अपने जीवन में सेटल हो पाता है? 2013 में हुए एक सर्वे के मुताबिक, भारत में 2% से भी कम युवा ऐसे हैं, जो 25 साल की उम्र तक 12 लाख रुपये की जमा पूंजी इकट्ठा कर पाते हैं. लेकिन ये अग्निवीर 25 साल की उम्र में आत्मविश्वास से भरे होंगे.

युवा बनेंगे आत्मनिर्भर

इसके अलावा केन्द्र सरकार भी इन्हें अलग-अलग नौकरियों में प्राथमिकता देगी. जैसे Central Armed Police Forces में जो नौकरियां होती हैं, उनमें इन्हें प्राथमिकता मिलेगी. इसके अलावा असम राइफल्स की भर्ती में इन्हें प्राथमिकता दी जाएगी. सरकार इन अग्निवीरों को जो कौशल प्रमाण पत्र देगी, उसके आधार पर इन्हें बैंकों से आसानी से लोन मिल जाएगा, जिससे ये अपना व्यवसाय शुरू कर सकेंगे और प्राइवेट क्षेत्र में भी इनके लिए ढेर सारी नौकरियां होंगी. क्योंकि ये अग्निवीर सेना में काम करने की वजह से Skilled होंगे. इनकी क्षमता अधिक होगी. इसके अलावा सरकार ने कहा है कि जो अग्निवीर 10वीं कक्षा के बाद ही सेना में भर्ती हो जाएंगे, उन्हें सरकार सेना में नौकरी के साथ एक स्पेशल कोर्स के तहत 12वीं कक्षा की पढ़ाई करने का मौका देगी और उन्हें Skill Programmes से भी जोड़ा जाएगा.

सेना होगी ज्यादा मजबूत

हमारे देश में बहुत सारे युवा ऐसे हैं, जो 30 साल की उम्र तक भी नौकरी नहीं ढूंढ पाते. इसलिए आप खुद सोच सकते हैं कि ये योजना कैसे युवाओं को देशसेवा के साथ आत्मनिर्भर भी बनाएगी. तीसरा 25 साल की उम्र, पेंशन की उम्र नहीं होती. सोचिए, इस देश के लिए ज्यादा जरूरी क्या है, सरकार 25 साल के युवा को चार साल की नौकरी के बाद पेंशन दे या पेंशन का ये पैसा वो सेना के आधुनिकीकरण और नए हथियारों की खरीद पर खर्च करे.

वर्ष 2020-21 में भारत का रक्षा बजट 4 लाख 85 हजार करोड़ रुपये था. जिसमें से 54 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ सैलरी और पेंशन पर खर्च हो रहा था. जिससे सरकार चाह कर भी सेना के आधुनिकीकरण पर ज्यादा जोर नहीं दे पाती. इसलिए ये योजना सेना के आधुनिकीकरण को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है, जिसमें युवाओं का भी फायदा है. हालांकि देश के जो युवा इस योजना का विरोध कर रहे हैं, उनका कहना है कि सरकार ऐसा करके उनका जीवन बर्बाद कर रही है. इसलिए अब ये समझिए कि विरोध करने वाले युवाओं का क्या कहना है और उनकी मांगें क्या हैं?

विरोध करने वाले कौन हैं?

अभी इस योजना का सबसे ज्यादा विरोध वो युवा कर रहे हैं, जिन्होंने पिछले दो वर्षों में सेना की भर्ती प्रक्रिया में हिस्सा लिया था. सेना में वर्ष 2019 के बाद से भर्ती प्रक्रिया तो निकाली गई लेकिन इन भर्ती प्रक्रियाओं को अलग अलग कारणों से पूरा नहीं किया गया. और इससे हुआ ये कि, जिन युवाओं का चयन सेना में.. पुरानी भर्ती प्रक्रिया के तहत हो गया था, उनमें से बहुत सारे युवा अब सेना में नौकरी करने के लिए योग्य नहीं रह गए हैं. क्योंकि सरकार की तरफ से कहा गया है कि अब सेना के तीनों अंगों में नए सिरे से भर्ती की प्रक्रिया शुरू होगी और पुरानी भर्तियां निष्क्रिय मानी जाएंगी और यही बात बहुत सारे युवाओं को परेशान कर रही है. अग्निपथ योजना के तहत साढ़े 17 साल से लेकर 21 साल तक के युवा ही सेना में नौकरी के लिए आवेदन दे सकते हैं. लेकिन समस्या ये है कि जो युवा पिछले कुछ वर्षों से सेना की तैयारी कर रहे थे, उनकी उम्र 21 वर्ष से ज्यादा हो चुकी है, जिसकी वजह से वो नौकरी की रेस से ही बाहर हो गए हैं.

उदाहरण के लिए बिहार के एक युवा ने 2019 में सेना की भर्ती के लिए आवेदन दिया था. तब उसकी उम्र 20 साल थी. इस दौरान उसने फिजिकल और मेडिकल टेस्ट पास कर लिया था और इसके बाद उसे सिर्फ Written Exam देना था. जिसे पास करने के बाद उसकी सेना में स्थाई नौकरी लग जाती. लेकिन सरकार ने पुरानी भर्तियों को निष्क्रिय कर दिया और इस सबमें में उसकी उम्र भी अब 22 साल हो गई है. यानी वो नई योजना के तहत नौकरी की दौड़ से बाहर हो गया है और पुराने नतीजों का कोई महत्व नहीं रह गया है. तो ये जो विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, उनमें वो युवा बड़ी संख्या में है, जो अपनी उम्र की वजह से सेना में भर्ती नहीं हो सकेंगे.

अभी कैसे होती हैं भर्तियां?

अभी सेना में Non- Commissioned Ranks पर जो भर्तियां होती हैं, उसके तीन चरण होते हैं. पहले चरण में उम्मीदवारों का फिजिकल और मेडिकल टेस्ट होता है. अगर वो इस टेस्ट में पास हो जाते हैं तो उनके दस्तावेजों की जांच की जाती है. दूसरे चरण में लिखित परीक्षा होती है और जो लोग इसमें पास होते हैं, उन्हें सेना में ट्रेनिंग के लिए बुलाया जाता है और इसी ट्रेनिंग के साथ सेना में नौकरी की शुरुआत मानी जाती है. फिलहाल सरकार ने इस प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया है. लेकिन नई योजना के तहत अग्निवीर सेना में जो चार साल अपनी सेवा देंगे, उनमें 6 महीने उनकी ट्रेनिंग होगी और बहुत सारे युवा इसका भी विरोध कर रहे हैं.

इन युवाओं का कहना है कि उन्हें सीमा पर दुश्मन से लड़ना होगा, इसलिए 6 महीने की ट्रेनिंग उनके लिए काफी नहीं होगी और सरकार ऐसा करके उनके साथ खिलवाड़ कर रही है. इसके अलावा बहुत सारे युवा पेंशन की सुविधा समाप्त करने का भी विरोध कर रहे हैं.

विरोध करने वालों को ये उदाहरण जरूर पढ़ना चाहिए

आज जो लोग ये कह रहे हैं कि सेना में चार साल नौकरी करने के बाद अग्निवीरों का भविष्य अंधकार में चला जाएगा, उन लोगों को हम अमेरिका का उदाहरण देना चाहते हैं. अमेरिका में भी इसी तरह एक निर्धारित समय अवधि के लिए युवाओं को सेना में भर्ती किया जाता है. वहां लगभग 80 प्रतिशत सैनिक अपनी सेवा के आठवें साल में ही रिटायर हो जाते हैं. यानी 20 साल में कोई युवा अमेरिका की सेना में शामिल हुआ है तो वो 28 साल की उम्र तक रिटायर हो जाता है और ऐसे सैनिकों को इसके बाद वहां पेंशन भी नहीं मिलती. तो फिर क्या अमेरिका के ये पूर्व सैनिक भी अपने जीवन में कुछ कर नहीं पाते और बेरोजगार रहते हैं. इसका जवाब है नहीं.

स्किल्ड और अनुशासित होते हैं पूर्व सैनिक

वर्ष 2021 में अमेरिका के पूर्व सैनिकों की बेरोजगारी दर सिर्फ 4.4 प्रतिशत थी और ये आंकड़ा वहां की राष्ट्रीय बेरोजगारी दर से भी कम था. इसे आप ऐसे समझिए कि अगर अमेरिका की सेना में आठ साल की नौकरी करने के बाद 100 सैनिक रिटायर हुए तो उनमें से 95 से ज्यादा सैनिकों को नौकरी मिल गई. यानी सामान्य लोगों की तुलना में पूर्व सैनिकों को नौकरी आसानी से मिल जाती है. क्योंकि वो Skilled होते हैं, अनुशासित होते हैं, उनमें Leadership Qualities होती हैं, वो शारिरिक रूप से फिट होते हैं और वो चुनौतियों से भागते नहीं हैं. इसलिए ये बात गलत है कि भारतीय सेना में चार साल नौकरी करने के बाद अग्निवीर बेरोजगार रहेंगे.

इसके अलावा इजरायल में भी हर नागरिक के लिए तीन साल सेना में अपनी सेवाएं देना अनिवार्य हैं और वहां भी इन पूर्व सैनिकों को आसानी से नौकरियां मिल जाती हैं. आज इजरायल की Technology Industry दुनिया के बड़े-बड़े देशों को टक्कर दे रही है. इस Industry के विकास में वहां के पूर्व सैनिकों को खास योगदान रहा है.

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