Narco Test में दी जाने वाली वो दवा जिसके बॉडी में जाते ही बाहर निकल आते हैं सारे सच!
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Narco Test में दी जाने वाली वो दवा जिसके बॉडी में जाते ही बाहर निकल आते हैं सारे सच!

Narco Test Kaise Hota Hai: फिल्मों में कई बार अपराधी से सच निकलवाने के लिए नार्को टेस्ट का जिक्र किया जाता है. आपने कई बार यह नाम सुना होगा, लेकिन आप जानते हैं आखिर इसमें ऐसा क्या किया जाता है कि व्यक्ति ना चाहते हुए भी सारा सच उगल देता है? यदि नहीं तो यहां आप इस टेस्ट के सभी डिटेल्स को यहां जान सकते हैं.

Narco Test में दी जाने वाली वो दवा जिसके बॉडी में जाते ही बाहर निकल आते हैं सारे सच!

सच का पता लगाने के लिए किया जाने वाला नार्को टेस्ट हर किसी पर नहीं किया जाता है. यह आमतौर पर शातिर अपराधियों से सच निकलवाने के लिए पुलिस द्वारा किया जाता है. यह टेस्ट नार्को एनालिसिस के नाम से भी जाना जाता है. 

क्या होता है नार्को टेस्ट (Narco Test)? यह  डिसेप्शन डिटेक्शन टेस्ट है, जिसमें व्यक्ति के नस में एक विशेष तरह का ड्रग इंजेक्ट किया जाता है. इसके साथ व्यक्ति एनेस्थीसिया के अलग-अलग स्टेज में पहुंचता है. जिसके बाद उससे सवाल-जवाब किया जाता है. नार्को टेस्ट में सारा खेल इस एक ड्रग का होता है जो कि व्यक्ति को हिप्नोटाइज कर देता है. 

नार्को टेस्ट में यूज होने वाली दवा

नार्को टेस्ट के लिए सोडियम पेंटोथल नाम की दवा का इस्तेमाल किया जाता है.  इसे 'ट्रुथ सीरम' भी कहते हैं. इसे नस में इंजेक्ट किया जाता है. इसके डोज को तैयार करने के लिए 3 ग्राम सोडियम पेंटोथल को 3000 एमएल डिस्टिल्ड वाटर को मिलाया जाता है. यह मात्रा में व्यक्ति की उम्र, लिंग और मेडिकल कंडीशन पर भी निर्भर करती है.

फिटनेस टेस्ट के बाद ही हो सकता है नार्को

नार्को टेस्ट से पहले व्यक्ति का फिटनेस टेस्ट होना जरूरी होता है. जिसमें लंग्स, हार्ट, को बारीकी से जांचा जाता है. इसके साथ ही कुछ डिवाइस की मदद से व्यक्ति के हिप्नोटाइज के स्टेज को भी मॉनिटर किया जाता है.

नार्को टेस्ट में व्यक्ति कैसे बोलने लगता है सच

इस टेस्ट में व्यक्ति को दवा देकर उस लेवल तक हिप्नोटाइज किया जाता है, जहां वह चाहकर भी कोई सच ना छिपा सके. इस स्थिति में व्यक्ति को लंबे समय तक नहीं रखा जा सकता है, इसलिए रिस्पोंस कई टुकड़ों में मिलता है. हालांकि इस टेस्ट का सक्सेस रेट 100 प्रतिशत नहीं है, लेकिन फिर भी कानूनी प्रक्रिया में जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल किया जाता है.

टेस्ट में इन लोगों का होना जरूरी

इस टेस्ट की वीडियो रिकोर्डिंग की जाती है. इसे टेस्ट को तब तक शुरू नहीं किया जा सकता है, जब तक वहां साइकोलॉजिस्ट, एनेस्थिसियोलॉजिस्ट, टेक्नीशियन और मेडिकल स्टाफ ना हो. 

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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