डिप्रेशन और एंग्जाइटी को एक समझने की न करें गलती, इन 5 आसान तरीकों से समझें दोनों में अंतर
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डिप्रेशन और एंग्जाइटी को एक समझने की न करें गलती, इन 5 आसान तरीकों से समझें दोनों में अंतर

डिप्रेशन और एंग्जाइटी दो ऐसी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियां हैं, जिनके बारे में अक्सर एक साथ बात की जाती है. हालांकि, दोनों स्थितियों में कई महत्वपूर्ण अंतर हैं.

डिप्रेशन और एंग्जाइटी को एक समझने की न करें गलती, इन 5 आसान तरीकों से समझें दोनों में अंतर

डिप्रेशन और एंग्जाइटी दो ऐसी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियां हैं, जिनके बारे में अक्सर एक साथ बात की जाती है. हालांकि, दोनों स्थितियों में कई महत्वपूर्ण अंतर हैं. डिप्रेशन एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति लगातार उदास, निराश और थका हुआ महसूस करता है. इसके लक्षण हो सकते हैं- उदासी, निराशा, थकान, आत्महत्या के विचार, सोने में परेशानी, भूख में कमी या बढ़ोतरी या एकाग्रता व निर्णय लेने में कठिनाई.

वहीं, एंग्जाइटी एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति चिंता, बेचैनी और भय महसूस करता है. चिंता, बेचैनी, भय, जल्दबाजी, चिड़चिड़ापन, भूख में कमी या बढ़ोतरी, सोने में परेशानी या एकाग्रता में कठिनाई जैसे लक्षण एंग्जाइटी के होते है. डिप्रेशन और एंग्जाइटी में अंतर समझना मुश्किल हो सकता है, लेकिन कुछ आसान तरीके हैं जिनसे आप इन दोनों स्थितियों को एक-दूसरे से अलग कर सकते हैं.

अपने लक्षणों पर ध्यान दें
डिप्रेशन के लक्षण आमतौर पर उदास, निराश और थका हुआ महसूस करने पर केंद्रित होते हैं. एंग्जाइटी के लक्षण आमतौर पर चिंता, बेचैनी और डर पर केंद्रित होते हैं.

अपनी गतिविधियों पर ध्यान दें
डिप्रेशन से पीड़ित लोग अक्सर अपनी रुचियों और गतिविधियों में रुचि खो देते हैं. एंग्जाइटी से पीड़ित लोग अक्सर बेचैन और चिंतित महसूस करते हैं.

अपने विचारों पर ध्यान दें
डिप्रेशन से पीड़ित लोग अक्सर खुद को नकारात्मक और निराशावादी विचारों में फंसा हुआ पाते हैं. एंग्जाइटी से पीड़ित लोग अक्सर भय और चिंता के विचारों में फंस जाते हैं.

अपने शारीरिक लक्षणों पर ध्यान दें
डिप्रेशन से पीड़ित लोग अक्सर थकान, नींद की समस्याओं और भूख में कमी जैसे शारीरिक लक्षणों का अनुभव करते हैं. एंग्जाइटी से पीड़ित लोग अक्सर चिड़चिड़ापन, बेचैनी और पसीने जैसी शारीरिक लक्षणों का अनुभव करते हैं.

अपने डॉक्टर से बात करें
यदि आपको डिप्रेशन या एंग्जाइटी के बारे में चिंता है, तो अपने डॉक्टर से बात करना सबसे अच्छा है. वे आपको इन स्थितियों के बारे में अधिक जानने और सही निदान प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं.

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