Vice president Jagdeep Dhankhar On Deep State: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को उच्च सदन में टिप्पणी करते हुए डीप स्टेट का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है और हमें सभी सदस्यों की राय जानने की आवश्यकता है.
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Parliament Winter Session: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा में गुरुवार को सभापति जगदीप धनखड़ ने अपने कमेंट में डीप स्टेट का जिक्र किया. सभी सदस्यों से मुखातिब होते हुए उन्होंने कहा, "माननीय सदस्यगण, हम किसी भी अन्य स्थान पर डीप स्टेट द्वारा सबसे बड़े लोकतंत्र को निष्क्रिय नहीं होने दे सकते. इस सदन को ऐसी किसी भी प्रवृत्ति, किसी भी पहल को बेअसर करने में एकजुट होना चाहिए जो हमारी संप्रभुता के लिए हानिकारक और खतरनाक हो. मैं समय दूंगा. यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है और हमें सभी की राय जानने की आवश्यकता है."
"Hon'ble Members,
We cannot allow the largest democracy to be made dysfunctional by deep state anywhere else. This House should be united in neutralising any trend, any initiative that is pernicious and dangerous to our sovereignty.
I will give time. This is a very serious… pic.twitter.com/OHNcDYCxNf
— Vice-President of India (@VPIndia) December 5, 2024
शून्यकाल में भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी के भाषण में उठा बड़ा मुद्दा
इससे पहले राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान शून्यकाल में भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने 'विदेश से राष्ट्रीय हितों पर संदिग्ध और सुस्पष्ट हमलों पर चिंता' विषय पर बोल रहे थे. सुधांशु त्रिवेदी ने उन घटनाओं का हवाला दिया जिनमें पिछले तीन सालों में संसद सत्र से ठीक पहले या उसके बीच अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की ओर से भारत से जुड़े विभिन्न मुद्दों को उठाया गया था. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत जब से सामरिक, आर्थिक और कूटनीतिक ताकत बनकर उभरा है, तब से देश के अंदर विदेशी शक्तियों का परोक्ष रूप से दखल बढ़ा है.
विपक्षी सांसदों के हंगामे के बीच सभापति ने लिया डीप स्टेट का नाम
उच्च सदन में सुधांशु त्रिवेदी के भाषण के दौरान विपक्ष के कुछ सदस्यों ने इस बात पर एतराज जताया कि शून्यकाल में तीन मिनट से अधिक नहीं बोलने का प्रावधान होने के बावजूद वह अपनी बात रखे जा रहे हैं. इस पर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है और इस पर हर किसी के विचार आने चाहिए. उन्होंने कहा, 'पूरे सदन को एकजुट रहना चाहिए. अगर ऐसा कोई ट्रेंड है, ऐसी कोई पहल है... जो खतरनाक है...जो हमारी संप्रभुता के लिए खतरा है....' इसके साथ ही उन्होंने सुधांशु त्रिवेदी को अपनी बात पूरी करने की इजाजत दी.
विपक्षी सदस्यों के तेज हंगामे के बीच सुधांशु त्रिवेदी ने रखे अपने विचार
सभापति धनखड़ की अनुमति के बाद विपक्षी सदस्यों के तेज होते हंगामे के बीच सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा, 'विशेष कर पिछले तीन सालों में जब से विकसित भारत का लक्ष्य रखा गया है, विदेश की ऐसी बहुत सी गतिविधियां हैं, जो भारत की व्यवस्था के आर्थिक, नैतिक और सामाजिक पक्ष पर हमला कर रही हैं.' त्रिवेदी ने 'ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट' की एक ताजा रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इसे विदेशी सरकारों की फंडिंग है और इसके केंद्र में भारत भी है. इसके बारे में दावा किया जा रहा है कि इस रिपोर्ट से विवादित अमेरिकी कारोबारी जार्ज सोरोस का भी संबंध है.
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क्या महज संयोग है संसद सत्र के आसपास विदेश से रिपोर्ट और हंगामा
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि तीन वर्षों में लगातार देखा गया है कि देश में जब भी संसद का सत्र आरंभ होता है तो उसके आसपास कभी किसानों के बारे में रिपोर्ट आती है, कभी पैगासस का हल्ला होता है तो कभी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आती है. उन्होंने सदन में मौजूद सदस्यों से पूछा, 'क्या यह एक संयोग है?'
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि 20 जुलाई 2023 को देश में संसद का सत्र शुरू होने वाला था तो ठीक एक दिन पहले मणिपुर हिंसा का वीडियो सामने आया. उन्होंने कहा कि जब लोकसभा चुनाव चल रहे थे तब कोविड के टीके को लेकर ऐसी ही एक रिपोर्ट सामने आई थी. वर्तमान सत्र 25 नवंबर से प्रारंभ हो रहा था तो उससे पहले 20 नवंबर को अमेरिकन कोर्ट के एक अटॉर्नी की रिपोर्ट आती है और उसको लेकर हंगामा शुरू हो गया.
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लोकसभा चुनाव कतो प्रभावित करने का आरोप, गहन जांच की जरूरत
सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा कि पिछला लोकसभा चुनाव भारत के राजनीतिक इतिहास का एकमात्र चुनाव था जब विदेश की एक सरकार ने... रूसी सरकार ने आधिकारिक तौर पर बयान दिया था कि भारत के चुनाव को प्रभावित किया जा रहा है. उन्होंने कहा, 'यह (गतिविधियां) जान कर हो रहा है या अनजाने में हो रहा है. अगर अनजाने में हो रहा है तो इस पर ईमानदारी से चर्चा होनी चाहिए और अगर जानबूझकर हो रहा है तो इसकी गहन जांच होनी चाहिए. इस क्रम को सदन में बैठा हुआ हर व्यक्ति साफ-साफ देख सकता है.'
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