Nitin Gadkari: केंद्र की 'गोल्डन ऑवर' स्कीम को सही तरह से चलाया जा सके, इसके लिए इसे पहले हरियाणा और चंडीगढ़ में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया जाएगा.
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What is Golden Hour Treatment: देश में सड़क हादसों में होने वाली मौत के आंकड़ों में पिछले कुछ दिनों में गिरावट आइ आई है. लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत इसलिए हो जाती है क्योंकि उन्हें समय पर ट्रीटमेंट नहीं मिल पाता. अब सड़क परिवहन मंत्रालय (MoRTH) रोड एक्सीडेंट में घायल लोगों को जल्दी इलाज दिलाने के लिए नई योजना लाने की प्लानिंग कर रहा है. इस स्कीम को 'गोल्डन ऑवर' (Golden Hour Treatment) नाम दिया गया है.
क्या है गोल्डन ऑवर स्कीम
ईटी नाउ में प्रकाशित खबर के अनुसार, इस योजना के तहत हादसे के बाद के पहले एक घंटे के अंदर घायल को डेढ़ लाख रुपये तक या 7 दिन तक अस्पताल में निःशुल्क ट्रीटमेंट (बिना पैसे दिए) मिलेगा. हालांकि इस दोनों में से जिसका भी खर्च कम होगा, वहीं मान्य होगा. यह स्कीम संशोधित मोटर वाहन अधिनियम 2019 (MAV2019) का हिस्सा होगी और इसे देशभर में लागू किया जाएगा. 'गोल्डन ऑवर' सीधा का मतलब सड़क हादसे में जख्मी शख्स को इलाज मिलने के लिए शुरुआती 60 मिनट से है.
100 करोड़ रुपये का फंड बनाया जाएगा
ईटी नाउ के अनुसार योजना के लिए जनरल इंश्योरेंस कंपनियां थर्ड पार्टी प्रीमियम का 0.5 प्रतिशत राशि जमा करेंगी. इससे करीब 100 करोड़ रुपये का फंड बनाया जा सकेगा. केंद्र की 'गोल्डन ऑवर' स्कीम को सही तरह से चलाया जा सके, इसके लिए इसे पहले हरियाणा और चंडीगढ़ में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया जाएगा. सरकार का इस स्कीम को शुरू करने का मकसद 'गोल्डन ऑवर' में इलाज मिलने से सड़क हादसों में होने वाली मौत के आंकड़ों को 50% तक कम करने का है. आपको बता दें देश में साल 2022 में सड़क हादसों में रिकॉर्ड 1.68 लाख लोगों की मौत हुई थी.
हाइवे पर चलने वाले लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए गाड़ियों के सेफ्टी फीचर्स बढ़ाने के लिए देश में पहले से ही कई जरूरी कदम उठाए गए हैं. इसके तहत गाड़ियों में वाहन निर्माता कंपनियों के लिए एबीएस ब्रेक लगाना जरूरी कर दियाा गया है. साथ ही गाड़ी की रफ्तार बहुत ज्यादा होने पर ड्राइवर को अलर्ट देने वाले सिस्टम, सीटबेल्ट की याद दिलाने वाला सिस्टम और भारत एनसीएपी (NCAP) क्रैश सेफ्टी रेटिंग टेस्ट भी लागू कर दिया गया है. इस सुविधा को सरकार की मंजूरी के बाद आयुष्मान भारत अस्पतालों के जरिये शुरू किया जा सकता है.