EXPLAINER: राजस्थान के चुनावी अखाड़े में इन 6 सीटों पर होगा सुपरहिट दंगल, BJP-कांग्रेस में कौन मारेगा बाजी?
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EXPLAINER: राजस्थान के चुनावी अखाड़े में इन 6 सीटों पर होगा सुपरहिट दंगल, BJP-कांग्रेस में कौन मारेगा बाजी?

Rajasthan Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अब आखिरी दौर में पहुंच चुका है. दो दिन बाद 25 नवंबर को होने वाले मतदान के लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हैं.

EXPLAINER: राजस्थान के चुनावी अखाड़े में इन 6 सीटों पर होगा सुपरहिट दंगल, BJP-कांग्रेस में कौन मारेगा बाजी?

Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अब आखिरी दौर में पहुंच चुका है. दो दिन बाद 25 नवंबर को होने वाले मतदान के लिए तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. चुनाव में जहां भाजपा पूर्ण बहुमत से जीत को लेकर आश्वस्त है, वहीं कांग्रेस सत्ता पर कब्जा करने और सत्ता विरोधी लहर का मुकाबला करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही. राजस्थान में कई ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी. आज हम आपको राज्य की उन 6 सबसे ज्यादा जोखिम वाली सीटों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां जीत के लिए भाजपा और कांग्रेस ने अपने सारे सियासी घोड़े खोल दिए हैं.

1. लक्ष्मणगढ़

राजस्थान में चुनावी मौसम आते ही लक्ष्मणगढ़ की चर्चा तेज हो जाती है. लक्ष्मणगढ़ विधानसभा क्षेत्र सीकर जिले में आता है. यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच हमेशा ही कड़ा मुकाबला देखने को मिला है. कांग्रेस ने यहां अपने मजबूत नेता और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को मैदान में उतारा है. वहीं, भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया पर दांव लगाया है. 2013 के विधानसभा चुनाव में डोटासरा ने महरिया को मतों के भारी अंतर से हराया था. सीकर से तीन बार लोकसभा सांसद रहे महरिया 2016 में कांग्रेस में शामिल हुए लेकिन इस साल मई में भाजपा में लौट आए. जाटों और मुसलमानों के प्रभुत्व वाले इस निर्वाचन क्षेत्र में सीपीआई (एम) के विजेंद्र ढाका और आरएलपी के विजय पाल बागरिया दो अन्य लोकप्रिय उम्मीदवार हैं.

2. सवाई माधोपुर

सवाई माधोपुर निर्वाचन क्षेत्र में मीणा, मुस्लिम, बनिया और ब्राह्मणों का हमेशा दबदबा रहा है. यहां चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा. भाजपा ने यहां पांच बार के विधायक और दो बार के लोकसभा सांसद और मौजूदा राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा को मैदान में उतारा है. किरोड़ी लाल मीणा की गिनती राजस्थान के दमदार नेताओं में होती है. गौर करने वाली बात यह है कि भाजपा ने 2018 की अपनी उम्मीदवार आशा मीणा को मौका नहीं दिया. पार्टी के इस फैसले से नाराज आशा मीणा निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रही हैं. पिछले चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. वहीं, कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायक दानिश अबरार पर भरोसा जताया है.

3. नाथद्वारा

राजस्थान विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद से ही नाथद्वारा निर्वाचन क्षेत्र सुर्खियों में है. भाजपा ने यहां से मेवाड़ राजा महाराणा प्रताप के उत्तराधिकारी विश्वराज सिंह मेवाड़ को मैदान में उतारा है. वहीं,  कांग्रेस ने अपने दमदार नेता और मौजूदा विधायक सीपी जोशी पर एक बार फिर भरोसा जताया है. सीपी जोशी पांच बार इस सीट से विधायक रह चुके हैं. इस सीट पर पूर्व मेवाड़ राजपरिवार का लोगों के साथ जुड़ाव और भाजपा की बढ़ती लोकप्रियता का कांग्रेस की कल्याणकारी योजनाओं और विकास से टकराव देखने को मिलेगा. यहां राजपूत और ब्राह्मण मतादाता ही प्रत्याशी का भाग्य तय करते हैं.

4. झोटवाड़ा

ओलंपिक पदक विजेता, दो बार के भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ झोटवाड़ा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं. झोटवाड़ा उनकी लोकसभा सीट जयपुर ग्रामीण का हिस्सा है. चुनावी जानकारों की मानें तो राठौड़ की लोकप्रियता उनके कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी अभिषेक चौधरी से ज्यादा है. लेकिन एक तथ्य यह भी है कि राज्य में सबसे ज्यादा मतदाताओं की संख्या झोटवाड़ा से ही है. इस सीट पर नतीजा आने तक कुछ भी नहीं कहा जा सकता.

5. हवा महल

राजस्थान विधानसभा चुनाव के ऐलान के साथ ही हवा महल निर्वाचन क्षेत्र सु्र्खियों में आ गया था. यहां मुस्लिम आबादी ज्यादा है. यहां जीत-हार में मुस्लिम मतदाताओं की अहम भूमिका रहती है. वर्तमान में इस सीट का प्रतिनिधित्व मौजूदा विधायक और कैबिनेट सदस्य कांग्रेस नेता महेश जोशी कर रहे हैं. लेकिन आगामी चुनावों के लिए पार्टी ने उनकी जगह जयपुर शहर अध्यक्ष आरआर तिवारी को मौका दिया है. तिवारी 70 साल की उम्र में अपना पहला चुनावी मुकाबला लड़ेंगे. भाजपा ने यहां से बालमुकुंद आचार्य को मैदान में उतारा है. आचार्य हिंदू धार्मिक नेता हैं और उनकी लोगों के बीच अच्छी पकड़ बताई जाती है. वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) ने पूर्व कांग्रेस पार्षद पप्पू कुरेशी और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने जमील अहमद खान को मैदान में उतारा है.

6. खींवसर

खींवसर की बात करें तो इसे राजस्थान का जाटलैंड कहा जाता है. यह नागौर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यह सीट हमेशा से आरएलपी का गढ़ रही है. आरएलपी नेता और लोकसभा सांसद हनुमान बेनीवाल यहां से आगामी विधानसभा चुनावों में विरोधियों को कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार हैं. वह एक जाट नेता हैं और उनके पिता रामदेव बेनीवाल मुंडवा सीट से दो बार विधायक रहे थे. वहीं, कांग्रेस ने इस सीट से प्रभावशाली मिर्धा परिवार से तेजपाल मिर्धा को मैदान में उतारा है और भाजपा ने रेवंत राम डांगा पर दांव खेला है.

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