Bharat Ratna Award 2024: कोई कांग्रेसी, कोई किसान नेता... बिहार की तरह भारत रत्न का जाटलैंड से साउथ तक होगा असर
Advertisement

Bharat Ratna Award 2024: कोई कांग्रेसी, कोई किसान नेता... बिहार की तरह भारत रत्न का जाटलैंड से साउथ तक होगा असर

Bharat Ratna Announcement: 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले दक्षिण भारत के दो दिग्गजों- पूर्व पीएम नरसिम्हा राव और कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान हुआ है. तीसरा नाम जाटलैंड के चौधरी चरण सिंह का है. समझिए कैसे इस फैसले का चुनाव में बड़ा असर हो सकता है. 

Bharat Ratna Award 2024: कोई कांग्रेसी, कोई किसान नेता... बिहार की तरह भारत रत्न का जाटलैंड से साउथ तक होगा असर

Bharat Ratna 2024: पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव, पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह और हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन... जैसे ही आज दोपहर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्वीट से इन तीन हस्तियों को भारत रत्न सम्मान दिए जाने की जानकारी हुई, इस फैसले के राजनीतिक मायने निकाले जाने लगे. ऐसा हों भी क्यों न? पिछले दिनों जब बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को 'भारत रत्न' देने का ऐलान हुआ था तब कुछ घंटे में ही सरकार डोलने लगी थी. सीएम नीतीश कुमार फिर से एनडीए में आ गए और RJD की जगह बिहार सरकार में भाजपा की एंट्री हो गई. ऐसे में इस फैसले का क्या असर हो सकता है, यह समझना भी दिलचस्प हो जाता है.

इसका कनेक्शन तीनों हस्तियों के योगदान से जुड़ा है. सबसे बड़ी बात यह है कि तीनों नाम ऐसे हैं, जिन्हें सालों से भारत रत्न देने की मांग हो रही थी. एक उत्तर भारत से हैं तो दो नाम दक्षिण भारत से हैं. हाल में गुजरात से ताल्लुक रखने वाले लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने की घोषणा हुई थी. 

1. सबसे पहले बात कांग्रेसी नरसिम्हा राव की

भाजपा सरकार ने चौंकाते हुए दो गैर-भाजपा पृष्ठभूमि से आने वाले दिग्गज नेताओं को यह सम्मान दिया है. पहला बड़ा नाम पूर्व पीएम नरसिम्हा राव का है, जिनके बारे में अक्सर भाजपा के नेता आरोप लगाते रहे हैं कि कांग्रेस ने उनके साथ अच्छा सलूक नहीं किया. यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि पिछले दिनों जब राममंदिर आंदोलन के सबसे बड़े नेता और भाजपा के संस्थापक सदस्य लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने की घोषणा हुई थी तब कुछ लोगों को इस बात पर आपत्ति थी कि अपनी सरकार है और अपनों को सम्मान दिया जा रहा है तो कांग्रेस और बीजेपी में फर्क ही क्या रहा?

मोदी का मास्टरस्ट्रोक

अब विपक्षी पार्टी, कांग्रेस से जुड़े नेता को देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार दिया जाना मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक ही कहा जा सकता है. इससे जनता में यह संदेश जाएगा और भाजपा मैसेज देने की कोशिश करेगी कि मोदी सरकार अवॉर्ड पर राजनीति नहीं करती है बल्कि सबको एक नजर से देखती है. जल्द ही लोकसभा चुनाव की घोषणा होनी है. ऐसे में इस फैसला का असर होना तय है. 

राव का जन्म तेलंगाना के वारंगल जिले में हुआ था, तब संयुक्त आंध्र प्रदेश हुआ करता था. उन्होंने ऐसे समय देश का नेतृत्व किया था जब भारत गरीबी और बेरोजगारी के दलदल में फंस गया था. उस समय देश की हालत ऐसी हो गई थी कि कर्ज चुकाने के लिए देश का सोना भी गिरवी रखना पड़ा. 1991 के दौर में अर्थव्यवस्था एक तरह से अपाहिज हो गई थी. नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार ने देश में आर्थिक सुधार किए. उन्हीं आर्थिक नीतियों पर चलकर देश आगे प्रगति पथ पर बढ़ता गया. 

उन्होंने ही भारत को ऑटोमोबाइल सेक्टर में आगे बढ़ाया. कई बड़ी कंपनियों के प्लांट लगने का रास्ता साफ हुआ. अगले 2-3 साल में नतीजा यह हुआ कि विदेशी मुद्रा भंडार 15 गुना बढ़ गया. कांग्रेस इस बात पर जोर देती रहती है कि भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की नींव राव ने 1991 में ही रखी थी. हालांकि भारत रत्न अब भाजपा सरकार दे रही है. 

तेलंगाना की मांग भी पूरी

तेलंगाना विधानसभा ने दिसंबर 2020 में राव को भारत रत्न देने का प्रस्ताव पारित किया था. वह आंध्र के मुख्यमंत्री भी रहे थे. ऐसे में बीजेपी सरकार की ओर से राव को सम्मान देने से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश दोनों दक्षिणी राज्यों की सियासत बीजेपी के पक्ष में जा सकती है. यह भी हो सकता है कि भाजपा के मिशन-400 लक्ष्य को ताकत देने के लिए राज्य की बड़ी पार्टी एनडीए को मजबूत करने आ जाए.  

2. चरण सिंह मतलब वेस्ट यूपी साध लिया!

किसान आंदोलन और दूसरे कारणों से भाजपा वेस्ट यूपी खासतौर से जाटलैंड को लेकर जिस टेंशन में रही होगी, वह पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने के ऐलान से काफी हद तक दूर हो सकती है. चरण सिंह के बेटे ने जनता दल से अलग होकर राष्ट्रीय लोकदल बनाया था जिसे अब जयंत चौधरी आगे बढ़ा रहे हैं. ऐसे समय में दादा को सम्मान देने की घोषणा हुई है जब 2-3 दिन से पोते जयंत की पार्टी RLD के विपक्ष का खेमा छोड़ भाजपा के साथ जाने की खबरें आ रही थीं. हो सकता है कि डील पहले ही पक्की हो गई हो. बताया जा रहा है कि बीजेपी जयंत की पार्टी को लोकसभा में 2 और राज्यसभा की एक सीट दे सकती है.

संकेत जयंत चौधरी के आज के ट्वीट से भी मिल गया है. उन्होंने दादा चरण सिंह को भारत रत्न मिलने के बाद सोशल मीडिया पर लिखा- दिल जीत लिया. साफ है अब बिहार जैसा असर तो होगा ही. 

पीएम ने आज चौधरी चरण सिंह की तस्वीर शेयर करते हुए उस बात पर विशेष जोर दिया, जिस पर इस फैसले का असर होगा. जी हां, पीएम मोदी ने लिखा कि यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है. उन्होंने किसानों के अधिकार और उनके कल्याण के लिए पूरा जीवन समर्पित कर दिया था. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हों या देश के गृहमंत्री, यहां तक कि विधायक के रूप में भी, उन्होंने हमेशा राष्ट्र निर्माण को गति प्रदान की. वह आपातकाल के विरोध में भी डटकर खड़े रहे. हमारे किसान भाई-बहनों के लिए उनका समर्पण भाव और इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र के लिए उनकी प्रतिबद्धता पूरे देश को प्रेरित करने वाली है. 

साफ है इस फैसले से मोदी सरकार किसानों को प्राथमिकता देने वाली सरकार के तौर पर खुद को पेश कर सकेगी. चरण सिंह कांग्रेस से अलग होकर यूपी के पहले गैर-कांग्रेसी सीएम भी बने थे. उन्हें भी काफी समय से भारत रत्न दिए जाने की मांग हो रही थी. खास बात यह है कि शिवपाल सिंह यादव समेत कई दूसरे नेताओं ने चरण सिंह को भारत रत्न देने की मांग उठाई थी. उन्हें 'किसानों के मसीहा' के तौर पर याद किया जाता है. हो सकता है भाजपा पूरे जाटलैंड का दिल जीत ले.  
 
3. स्वामीनाथन ने लाई क्रांति

हो सकता है आज की पीढ़ी उनके बारे में कम जानती हो, पर कृषि के क्षेत्र में डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन का योगदान महत्वपूर्ण है. उन्होंने कृषि अध्ययन और रिसर्च को काफी मजबूत किया. उनका मानना था कि उन्नत किस्म के अनाज होने से किसानों के न सिर्फ जीवन पर प्रभाव पड़ेगा बल्कि खाद्य संकट भी दूर किया जा सकेगा. उनका जन्म तमिलनाडु में हुआ था. बंगाल में अकाल देख उन्होंने अपना जीवन देश के कृषि क्षेत्र के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया. हरित क्रांति के लिए उन्हें विशेष पहचान मिली. इससे फसलों का उत्पादन काफी बढ़ गया. 1960-70 के दशक में उनकी बदौलत गेहूं और चावल की ज्यादा उत्पादन वाली किस्में आईं. आगे चलकर भारत खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया. कुछ महीने पहले ही उनका निधन हुआ. 

इस तरह से देखिए तो मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र से जुड़े दो दिग्गजों को भारत रत्न दिया है. चौधरी चरण सिंह उत्तर से तो डॉ. स्वामीनाथन दक्षिण भारत से जुड़ा बड़ा नाम है. एक और दिलचस्प बात हरित क्रांति के प्रणेता स्वामीनाथन को भी काफी समय से भारत रत्न दिए जाने की मांग उठ रही थी. अब तमिलनाडु की पार्टियों को न चाहते हुए भी भाजपा सरकार के फैसले की प्रशंसा करनी होगा और इसका असर जनता पर भी दिखाई दे सकता है. 

Trending news