Bharat Ratna L K Advani: कर्पूरी ठाकुर और लाल कृष्ण आडवाणी... भारत रत्न सम्मान से मोदी सरकार ने कैसे अंदर-बाहर सबको साधा
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Bharat Ratna L K Advani: कर्पूरी ठाकुर और लाल कृष्ण आडवाणी... भारत रत्न सम्मान से मोदी सरकार ने कैसे अंदर-बाहर सबको साधा

L K Advani Bharat Ratna: राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद अयोध्या राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन के नायक और भाजपा के शीर्ष नेता लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है. कर्पूरी ठाकुर के बाद लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा ने लोकसभा चुनाव 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए जीत की हैट्रिक की राह और आसान कर दी है.

Bharat Ratna L K Advani: कर्पूरी ठाकुर और लाल कृष्ण आडवाणी... भारत रत्न सम्मान से मोदी सरकार ने कैसे अंदर-बाहर सबको साधा

Lok Sabha Election 2024: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के संस्थापक सदस्य, देश के सातवें उप प्रधानमंत्री और राम मंदिर आंदोलन के नायक लालकृष्ण आडवाणी (LK Advani) को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने खुद सबको जानकारी दी. 96 साल के लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) फिलहाल भाजपा के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य हैं.

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मोदी सरकार का सबको साधने वाला निर्णय

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर के बाद राष्ट्रवादी नेता लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र में तीसरी बार सरकार बनाने का समीकरण तैयार कर दिया है. आइए, जानते हैं कि अपने इस बड़े निर्णय से पीएम मोदी ने कैसे राजनीति में अंदर और बाहर दोनों ही जगह लोगों को सियासी तौर पर साध लिया.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विचार परिवार में आडवाणी समर्थकों को खुश और चुप किया

भाजपा और उसके पहले जनसंघ के भी संस्थापक सदस्य रहे लाल कृष्ण आडवाणी को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विचार परिवार में कई पीढ़ियों के लोग भावनात्मक तौर पर जुड़ाव महसूस करते हैं. भाजपा में नए नेतृत्व के काम संभाल लेने के बाद आडवाणी को पहले राष्ट्रपति बनाने और फिर राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में बुलाए जाने को लेकर लोगों ने सोशल मीडिया पर जमकर लिखा था. 

मोदी सरकार ने साल 2015 में उन्हें देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मविभूषण से सम्मानित किया था. देश के सबसे सीनियर सांसदों में एक आडवाणी को अब भारत रत्न से सम्मानित कर उनके प्रशंसक और समर्थक वर्ग को खुश और चुप कर दिया गया है. राष्ट्रवादी खेमे का यह वर्ग राम मंदिर बनने और मंदिर आंदोलन के नायक आडवाणी के सम्मान को देखकर अधिक जोश से चुनाव मैदान में मददगार साबित होंगे.

सोशल मीडिया पर सिलसिलेवार पोस्ट में पीएम मोदी ने की आडवाणी की तारीफ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक लंबा पोस्ट लिखकर सबको इस फैसले की जानकारी दी है. पीएम मोदी ने अपने सिलसिलेवार पोस्ट में लालकृष्ण आडवाणी की जमकर तारीफ करते हुए बताया कि वह भारत रत्न से सम्मानित होंगे. 

पीएम मोदी ने लिखा कि आज मैं यह शेयर करते हुए बहुत खुश हूं कि लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिया जाएगा. मैंने उनसे बात की और इस सम्मान के लिए बधाई भी दी. वह हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में एक हैं. भारत के विकास में उनका योगदान अविस्मरणीय है. उन्होंने जमीनी स्तर से काम शुरू किया और उपप्रधानमंत्री के रूप में भी हमारे देश की सेवा की. वह हमारे देश के गृहमंत्री और सूचना प्रसारण मंत्री भी रह चुके हैं. उनके संसदीय हस्तक्षेप हमेशा अनुकरणीय हैं.

पीएम मोदी ने बताया भावुक क्षण, आडवाणी से सीखने के मौके को बताया सौभाग्य

पीएम मोदी ने आगे लिखा कि सार्वजनिक जीवन में लालकृष्ण आडवाणी की दशकों लंबी सेवा अवधि को पारदर्शिता और अखंडता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है, जिसने राजनीतिक नैतिकता में एक अनुकरणीय मानक स्थापित किया है. उन्होंने राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक पुनरुत्थान को आगे बढ़ाने की दिशा में अद्वितीय प्रयास किए हैं.

उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाना मेरे लिए बहुत भावुक क्षण है. मैं इसे हमेशा अपना सौभाग्य मानूंगा कि मुझे उनके साथ बातचीत करने और उनसे सीखने के अनगिनत अवसर मिले. इससे पहले पीएम मोदी ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा के बाद लंबा लेख लिखकर उनकी तारीफ की थी.

भारत रत्न सम्मान में भी कायम दिखी भाजपा नेता अटल- आडवाणी की जुगलबंदी

लाल कृष्ण आडवाणी 1986-1990, 1993-1998 और 2004-2005 के दौरान तीन बार और सबसे लंबे समय तक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं. भारतीय राजनीति में अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी की जुगलबंदी काफी मशहूर रही है. लोकसभा चुनाव 1984 में भाजपा को दो सीटों से बढ़ाकर 1996 में पहली बार भाजपा के नेतृत्व में केंद्र सरकार बनाने में दोनों ही नेताओं ने लंबा संघर्ष किया. संयोग है कि अब दोनों ही भारत रत्न से सम्मानित हो चुके हैं. भाजपा के राजनीतिक ग्राफ के ऊपर चढ़ने में साल 1989 में सोमनाथ से अयोध्या तक लाल कृष्ण आडवाणी की राम रथ यात्रा की बड़ी भूमिका है.

लोकसभा चुनाव 2024 में परिवारवाद बन सकता है विपक्ष पर हमले का बड़ा मुद्दा

कर्पूरी ठाकुर और लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न सम्मान और बिहार में नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी से साफ है कि लोकसभा चुनाव 2024 में विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन के खिलाफ परिवारवाद एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है. बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहे समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर ने अपने रहते परिवार के किसी दूसरे सदस्य को राजनीति में नहीं आने दिया. उनकी सौंवी जयंती वाले सरकारी समारोह में नीतीश कुमार ने महागठबंधन छोड़ने से पहले राजद नेता तेजस्वी यादव की मौजूदगी में परिवारवाद को लेकर लालू परिवार पर इशारे में निशाना साधा था. 

भाजपा के सबसे बड़े नेता लाल कृष्ण आडवाणी के बारे में भी सब जानते हैं कि 1990 के दशक में गांधीनगर की सीट पर अपने बेटे जयंत आडवाणी को चुनाव लड़ाने का प्रस्ताव उन्होंने ठुकराकर परिवारवाद का विरोध जताया था. उन्होंने परिवारवाद के मुद्दे पर कांग्रेस को लगातार घेरा था. लोकसभा चुनाव 2024 में मोदी सरकार के खिलाफ बने विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन में शामिल अधिकतर पार्टियां राजनीति में परिवारवाद की मिसाल हैं. पीएम मोदी कई बार कह चुके हैं कि घमंडिया गठबंधन देश नहीं, बल्कि सिर्फ अपने परिवार के फायदे के बारे में सोचता है. 

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