The Rabbit House Review: कोमल के लिए 'द रैबिट हाउस' ही बन गया 'काल', एक बार तो देखना बनता है
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The Rabbit House Review: कोमल के लिए 'द रैबिट हाउस' ही बन गया 'काल', एक बार तो देखना बनता है

छोटे बजट की फिल्म 'द रैबिट हाउस' फिल्म की कहानी नए नवेले शादीशुदा जोड़े की है. फिल्म में महिलाओं की स्थिति को दिखाया गया है. तो चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर ये फिल्म कैसी है.

द रैबिट हाउस फिल्म रिव्यू

फिल्म: द रैबिट हाउस
प्रमुख स्टारकास्ट: पद्मानभ गायकवाड़, करिश्मा और अमित रियान
डायरेक्टर: वैभव कुलकर्णी
फिल्म अवधि: 2 घंटे 30 मिनट
कहां देखें: सिनेमाघर
रेटिंग्स: 3.5 

The Rabbit House: घरेलू हिंसा से लेकर अरेंज मैरिज तक पर, कई फिल्में बनीं है. कई फिल्मों ने इन सामाजिक मुद्दों को इतने बेहतरीन ढंग से फिल्म में पिरोया है कि वो लोगों के दिलों तक पहुंचा. एक ऐसी ही छोटे बजट की फिल्म 'द रैबिट हाउस' है. इस फिल्म में एक शादीशुदा कपल की कहानी दिखाई गई है. इसमें प्यार, दिखावा, साजिश के साथ-साथ घरेलू हिंसा को भी काफी बारीकियों से दिखाया गया है. जिसे देखकर आप भी यही कहेंगे कि शायद ऐसी घटनाएं आपने अपने आसपास किसी ना किसी रूप में देखी और सुनी है.

नए शादीशुदा जोड़े की कहानी

हिमाचल प्रदेश की छोटी सी जगह ही ये स्टोरी अपने में काफी कुछ समेटे हुए है. ये फिल्म श्रीकांत (अमित रियान) और कोमल (करिश्मा) के ईर्द-गिर्द घूमती है. एक कपल जिसकी नई शादी हुई है और घूमने के लिए हिमाचल प्रदेश आए हैं. यहां ये दोनों रैबिट हाउस में रुके हैं, जो कोई आम होटल या रिसॉर्ट नहीं है. ये लकड़ी का घर काफी अलग तरह से बना है. 

पति बन जाता है 'काल'

फिल्म में अमित और करिश्मा नई शादी में तालमेल बैठाने की कोशिश करते हैं. लेकिन अमित की कुछ आदतें ऐसी होती हैं जिसे देखकर करिश्मा खौफ में आ जाती है. अमित ओसीडी बीमारी से जूझ रहा है जो एक तरह की मानसिक बीमारी है. उसका पारा बात-बात पर चढ़ जाता है और एक दिन वो पहाड़ से कोमल को धक्का तक दे देता है. कोमल को धक्का देने बाद कहानी में ऐसा ट्विस्ट आता है जिसे आप सोच भी नहीं सकते. 

 

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क्या जिंदा है कोमल?

लोग कोमल को मरा हुआ समझ लेते हैं और बात पुलिस केस तक पहुंच जाती है. लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या सही में कोमल मर गई या फिर जिंदा है. यही कहानी का असली ट्विस्ट है. इस फिल्म में कई सीन्स ऐसे दिखाए गए हैं जो ये सोचने पर मजबूर करते हैं कि कई जगहों पर महिलाओं की स्थिति वाकई काफी खराब है.

फिल्म में करिश्मा अपनी सादगी से कैरेक्टर में पूरी तरह उतर गई हैं. तो वहीं अमित रियान भी अपने कैरेक्टर में पूरी तरह से ढले दिखते हैं. एक भी सीन ऐसा नहीं दिखा जिसमें ये दोनों सितारे कही भी कम पड़े हो. फिल्म बहुत बड़े बैनर की नहीं है, लिहाजा सब कुछ ठीक लगता है. इस फिल्म को एक बार तो जरूर देखा जा सकता है.

 

 

 

 

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