Zara Hatke Zara Bachke Review: रोमांस-कॉमेडी के यहां हैं टोटके; सोचा जरा बचके, सोचना था पूरा हटके
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Zara Hatke Zara Bachke Review: रोमांस-कॉमेडी के यहां हैं टोटके; सोचा जरा बचके, सोचना था पूरा हटके

Vicky Kaushal Film: हाल के समय में यह काफी प्रमोट की गई फिल्म है. बॉक्स ऑफिस को हिट की जरूरत है और विक्की कौशल-सारा अली खान की जरा हटके जरा बचके में संभावनाएं दिखती हैं. लेकिन फिल्मी फार्मूले कहानी को बार-बार पटरी से उतारते हैं. फिल्म देखकर यही लगता है कि थोड़ा है थोड़े की जरूरत है...

 

 

Zara Hatke Zara Bachke Review: रोमांस-कॉमेडी के यहां हैं टोटके; सोचा जरा बचके, सोचना था पूरा हटके

Sara Ali Khan Film: अच्छे आइडिये साहस मांगते हैं. सिर्फ आइडिये के स्तर पर सोचने से काम नहीं चलता. आइडिये को हकीकत में उतारने के लिए जरूरी साहस दिखाना पड़ता है. निर्देशक लक्ष्मण उतेकर और उनके राइटरों की टीम ने इस फिल्म में कुछ हटके जरूर सोचा, मगर जरूरत थी पूरे साहस के साथ आइडिये के संग खड़े होने की. लेकिन ऐसा करने के बजाय शॉर्ट कट अपनाए और खुद को बचाते हुए फिल्म बनाई. नतीजा हुआ, 50-50. आधे रोमांस और आधी कॉमेडी के चक्कर में जरा हटके जरा बचके पूरा असर नहीं छोड़ती. फिल्म मिडिल क्लास जिंदगी की कहानी के साथ बताती है कि सरकारी घर की परियोजनाओं में कैसे धांधली हो जाती है. सही लोगों के बजाय मकान किस तरह से तिकड़म करने वालों को मिल जाते हैं. परंतु लक्ष्मण और उनकी टीम ने फिल्म के मूल आइडिये के साथ न्याय करने के बजाय इसे बॉलीवुड प्रोजेक्ट की तरह बनाया.

आशियाने की अपनी शर्तें
फिल्म की कहानी स्वच्छ भारत अभियान में छह साल से अव्वल आ रहे देश के सबसे साफ-सुथरे शहर इंदौर में रहने वाले कपिल दुबे (विक्की कौशल) और सौम्या चावला की है. दोनों पति-पत्नी हैं. कपिल के माता-पिता के साथ रहते हैं. तभी कपिल के मामा-मामी उनके यहां रहने आ जाते हैं और कपिल-सौम्या को अपना कमरा उन्हें देना पड़ता है. तब बात शुरू होती है कि घर छोटा पड़ता है और बड़ा लिया जाए या अपना बसेरा अलग बसाया जाए. दोनों जब तलाश शुरू करते हैं तो मकान का बाजार उनके बजट पर भारी पड़ता है. इससे पहले कि वे पूरी तरह से निराश हों, उन्हें किफायती दरों वाली सरकारी जन आवास योजना का पता चलता है. लेकिन इस आवास के लिए कुछ शर्तें हैं.

पूरे ड्रामे के बाद उम्मीद
कहानी तब करवट लेती है, जब पता चलता है कि कपिल को सरकारी योजना के तहत मकान नहीं मिल सकता. लेकिन वे चाहें तो सौम्या के नाम पर सरकारी योजना के तहत आवास अलॉट हो सकता है. बस, दोनों को तलाक लेना होगा. इसमें एक दलाल भगवानदास ईश्वरदास सहाय (इनामुल-हक) और कपिल का वकील दोस्त मनोज बघेल (हिमांशु कोहली) भी उनकी करने को राजी हैं. कपिल-सारा का तलाक होता है. अब दोनों के माता-पिता परेशान हैं कि अचानक क्या हो रहा हैॽ सच यह है कि तलाक भी दोनों के दांपत्य जीवन के भविष्य की योजना का हिस्सा है. लेकिन क्या यह प्लान सफल होगाॽ कपिल और सौम्या की कहानी सरकारी योजनाओं की धांधली की नींव पर खड़ी होती, लेकिन उसकी इमारत मजबूत नहीं बनती. अंत में जो आदर्श सामने आता है, वह तर्क से परे और बहुत हल्का मालूम पड़ता है. नतीजा यह कि फिल्म वह असर नहीं छोड़ती, जिसकी आप पूरे ड्रामे के बाद उम्मीद करते हैं.

कुछ सवाल, कुछ जवाब
फिल्म मुद्दे की आधी-अधूरी बात करती है. आधे मन से करती है. कॉमिक अंदाज में शुरू होने के बाद रोमांस आता है. आगे कहानी कॉमेडी तथा रोमांस के बीच झूलती है. अलग हुए पति-पत्नी के जीवन के रोमांस में भी उतार-चढ़ाव आता है. उनके माता-पिता और मामा-मामी की कहानियां आती हैं. क्लाइमेक्स में कुछ ऐसी बातें खुलती हैं, जो चौंकाती हैं लेकिन उन्हें देखते हुए जो सवाल पैदा होते हैं, उनके संतोषजनक जवाब नहीं मिलते. जरा हटके जरा बचके कहीं-कहीं बांधती है लेकिन कई जगहों पर सुस्त और ढीली पड़ जाती है. सारा अली खान साड़ी में खूबसूरत दिखी हैं. लेकिन उनकी एक्टिंग में अभी वह बात नहीं आई कि पूरा किरदार एक लय में निभा ले जाएं. योगा इंस्ट्रक्टर बने विक्की कौशल पूरी फिल्म में सारा से पीछे हैं. पिछले साल आई गोविंदा मेरा नाम और कपिल की ऐक्टिंग में आपको ज्यादा फर्क नजर आएगा. हालांकि जोड़ी के रूप में दोनों अच्छे लगे हैं. फिल्म में इंदौर को अच्छे ढंग से शूट किया गया और दो-एक गाने भी अच्छे हैं.

टोटके और झटके
सपोर्टिंग एक्टरों ने फिल्म को संभाला है, लेकिन कहानी तो उनकी नहीं है. सौम्या के माता-पिता के रूप में सुष्मिता मुखर्जी और राकेश बेदी का काम बढ़िया है. मिडिलमैन बने इनामुल-हक भी गुदगुदाते हैं. लेकिन कपिल के दोस्त-वकील के रूप हिमांशु कोहली को डायरेक्टर ने ओवर एक्टिंग जैसा परफॉर्म कराया. अदालत में वह जिस तरह से पेश आते हैं, उसे कोई सहज नहीं मानेगा. फिल्म में पंजाबी-ब्राह्मण एंगल भी है. हीरो जहां कंजूस है, वहीं हीरोइन खुलकर खर्च करती है. दोनों के बीच तलाक के बाद भी छुप-छुप कर मिलने वाले सीन रोमांच नहीं जगाते. कहानी के बीच में आने वाले ट्विस्ट-टर्न खास रफ्तार नहीं देते. लक्ष्मण उतेकर ने विषय को गंभीरता से थामकर सीधी राह पकड़ी होती तो फिल्म कहीं बेहतर बनती. फिल्मी टोटकों के चक्कर ने उन्हें झटके दिए और कहानी को भटका भी दिया.

निर्देशकः लक्ष्मण उतेकर
सितारे: विक्की कौशल, सारा अली खान, इनामुल-हक, नीरज सूद, राकेश बेदी, सुष्मिता मुखर्जी, शारिब हाशमी
रेटिंग**1/2

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