Opinion: जया अमिताभ बच्चन...आपकी गाड़ी तो नाम पर ही अटक गई है, क्या फिल्म इंडस्ट्री में कोई मुद्दा ही नहीं बचा?
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Opinion: जया अमिताभ बच्चन...आपकी गाड़ी तो नाम पर ही अटक गई है, क्या फिल्म इंडस्ट्री में कोई मुद्दा ही नहीं बचा?

Opinion:  जया अमिताभ बच्चन! ये नाम काफी सुर्खियों में रहा. मानसून सत्र में कई बार नाम को लेकर चर्चा हुई और बात विवाद तक भी पहुंच गई. लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर एक ही चीज को रबड़ की तरह से खींचने के चक्कर में कितने मुद्दे ऐसे रहे जो पीछे छूट गए. पढ़िए ओपिनियन.

जया बच्चन

हॉलीवुड में पिछले साल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते दखल को लेकर फिल्म लेखकों और अभिनेताओं ने बड़ी हड़ताल की. उनकी चिंता थी कि एआई उनके काम को खत्म कर देगा. लेखकों और एक्टर्स की हड़ताल के चलते मार्वल और डीसी जैसे बड़े स्टूडियोज की कई फिल्मों की रिलीज डेट को एक साल से ज्यादा के लिए आगे खिसकाना पड़ा. 

भारत में भी बॉलीवुड इंडस्ट्री लाखों लोगों को रोजगार देती है. एआई का बढ़ता दखल उनकी भी रोजी-रोटी के लिए संकट बन सकता है. मगर यहां किसे चिंता है? यहां तो नाम की राजनीति ही खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. संसद का मानसून सत्र इसी बहस के पीछे बर्बाद हो गया. राज्यसभा सांसद और एक्ट्रेस जया बच्चन जो काफी सुलझी हुईं मजबूत महिला हैं, इंडस्ट्री में कई साल गुजारे हैं तो इंडस्ट्री के सबसे नामी परिवार से आती हैं. उनके द्वारा की ये लापरवाही बिल्कुल शोभा नहीं देती. वह चाहती तो नाम से जरूरी इंडस्ट्री की आवाज उठा सकती थीं. देश में महिलाओं से जुड़ी तमाम समस्याएं हैं, उनके बारे में बात कर सकती थीं. लेकिन, उन्होंने बात की, तो सिर्फ सरनेम की. और उस सरनेम से उन्हें कोई एतराज भी नहीं.

क्या जया को बच्चन सरनेम पसंद नहीं?
ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. अगर यह बात होती, तो जया को भादुड़ी सरनेम छोड़ने की जरूरत ही नहीं पड़ती. अगर वह भादुड़ी सरनेम लगाए रखतीं. वह संसद में भी कह चुकी हैं कि उन्हें अमिताभ बच्चन की पत्नी होने में गर्व है. फिर भी बार-बार 'जया अमिताभ बच्चन' बुलाए जाने पर चिढ़ना जया बच्चन की व्यक्तिगत समस्या है. उसका नारी जाति के आत्मसम्मान से कोई लेना देना नहीं है.

नाम क्यों नहीं बदल रही जया बच्चन?
अगर जया बच्चन को 'जया अमिताभ बच्चन' के रूप में बुलाए जाने से दिक्कत है, तो वह एप्लिकेशन के माध्यम से इसे बदल भी सकती हैं. उन्हें सभापति ने इसकी पूरी प्रक्रिया भी बता दी है. लेकिन, जया बच्चन ने स्पष्ट तौर पर कभी ये नहीं कहा कि वह अपना नाम बदलेंगी, न ही उन्होंने इस दिशा में कोई कोशिश की. इसका मतलब साफ है कि जया का मकसद सिर्फ हंगामा खड़ा करना है, उनकी कतई कोशिश नहीं कि यह सूरत बदले.

जया बच्चन का पूरा नाम सरकारी कागजों में क्या है
 ‘जया अमिताभ बच्चन’ नाम से बुलाए जाने पर जया बच्चन खासा नाराज हुईं. लेकिन ये नाम सरकारी कागजों में दर्ज है. साल 2012 और 2018 के उनके चुनावी हलफनामे में उनका पूरा नाम ‘जया अमिताभ बच्चन’ लिखा हुआ है. मतलब ये कि मैं तो आपको जया अमिताभ बच्चन ही कहूंगी, जबतक कि आपका ये नाम ऑफिशियल है.

क्या फिल्म इंडस्ट्री की कोई समस्या जया बच्चन को नहीं दिखती?
कोरोना के बाद से एंटरटेंमेंट इंडस्ट्री को भी बड़ा झटका लगा था. बिजनेस की बात हो तो नौकरियों की बात हो. कई चीजें प्रभावित हुई. फिर एआई के खतरे को देखा गया तो ड्रग्स जैसे मुद्दे भी लगातार सामने आए रहे. इतना ही नहीं, एक महिला होने के नाते इंडस्ट्री में चलने वाली धांधली, एक्ट्रेस की सेफ्टी, क्रू-मेंबर्स की समस्याओं को उठा सकती हैं. ताकि जो समस्याएं सालों से सुलझी नहीं है उनका समाधान हो सके. लेकिन क्यों इंडस्ट्री से निकलकर सदन पहुंचने वाले सितारे अपने मुद्दे उठाने की बजाय अपनी ही राजनीति में उलझ के रह जाते हैं.

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बॉलीवुड छोड़िए पंजाबी, मराठी समेत देश का रिजनल सिनेमा इन सालों में पैर पसार रहा है. कई फिल्में हैं जिनके काम की खूब तारीफ हुई है तो बिजनेस के मामले में भी खूब नाम रहा. क्या इन छोटे एक्टर्स और इंडस्ट्री की आवाज पहुंचाना, जया बच्चन जैसी सीनियर एक्ट्रेस का फर्ज नहीं बनता?

डिस्क्लेमर: लेख में व्यक्त विचार लेखक/लेखिका के निजी हैं. संस्थान से इसका कोई लेना देना नहीं है.

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