‘मोहम्मद रफी तू बहुत याद आया...’, जब चलती फिल्म के बीच अमिताभ बच्चन ने रफी साहब को दी थी श्रद्धांजलि
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‘मोहम्मद रफी तू बहुत याद आया...’, जब चलती फिल्म के बीच अमिताभ बच्चन ने रफी साहब को दी थी श्रद्धांजलि

अमिताभ बच्चन ने 1990 में मोहम्मद रफी को बेहद खास अंदाज में याद किया था. फिल्म तो सनी देओल और संजय दत्त की थी लेकिन बिग बी ने बीच में गेस्ट अपीरियंस के तौर पर एंट्री की और महान गायक को श्रद्धांजलि दी थी.

 

‘मोहम्मद रफी तू बहुत याद आया...’, जब चलती फिल्म के बीच अमिताभ बच्चन ने रफी साहब को दी थी श्रद्धांजलि

90 के दौर में भी एक्शन फिल्मों की कमी नहीं थी. ऐसी ही एक फिल्म आई थी सनी देओल और संजय दत्त की ‘क्रोध’, जिसमें अमिताभ बच्चन का कैमियो था. उन्होंने इस फिल्म के जरिए अपने खास अंदाज में मोहम्मद रफी को श्रद्धांजलि दी थी. चलिए हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े गायकों में से एक मोहम्मद रफी की जयंति पर ये किस्सा सुनाते हैं.

'क्रोध' के गाना ‘ना फनकार तुझसा’ में बिग बी ने एक गेस्ट अपीरियंस के तौर पर गायक मोहम्मद रफी को श्रद्धांजलि दी थी. मोहम्मद अजीज द्वारा गाया यह गीत फिल्म के पहले भाग में एक संगीत समारोह के दौरान आता है, जो रफी की याद में आयोजित था. रफी का निधन फिल्म के रिलीज होने से एक दशक पहले 1980 में हो गया था. 

संजय दत्त और सनी देओल की फिल्म
फिल्म ‘‘क्रोध’’ में संजय दत्त, सनी देओल, अमृता सिंह, सोनम और जगदीप समेत कई कलाकार भी थे. ‘‘एक शाम रफी के नाम’’ नामक संगीत कार्यक्रम में शामिल होते हैं. बच्चन ने फिल्म ‘‘नसीब’’ में ‘‘चल मेरे भाई’’ गीत में रफी ​​के साथ अपनी आवाज दी थी, जो रफी के निधन के एक साल बाद रिलीज हुई थी. बच्चन फिल्म में गायक को संगीतमय श्रद्धांजलि देने के लिए स्वयं दिखाई देते हैं. 

ऐसा दिया था रफी साहब का परिचय
फिल्म का गाना ‘‘ना फनकार तुझसा’’ बच्चन पर फिल्माया गया था. बच्चन ने रफी ​​के भावनात्मक परिचय में कहा था, ‘‘ ‘मुझको मेरे बाद जमाना ढूंढेगा’, यह रफी साहब ने एक बार कहा था. उन्होंने यह भी कहा, ‘कारवां गुजर गया, गुबार देखते रहे.’ रफी साहब हमें छोड़कर चले गए और अपने पीछे यादों का एक कोहरा छोड़ गए. उनसे प्यार करने वाला हर कोई उन्हें उस कोहरे में खोजने की कोशिश कर रहा है.’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘लोग उन्हें तब तक खोजते रहेंगे, जब तक दुनिया रहेगी, क्योंकि उनके जैसे फनकार, जो अपनी कला के माध्यम से हर दिल में घर बनाते हैं, विरले ही पैदा होते हैं. जब वे जाते हैं, तो अपने पीछे एक दर्द, एक घाव छोड़ जाते हैं और जब उस घाव में दर्द होता है, तो केवल एक ही भावना उभरती है.’’ 

वो फनकार
आनंद बख्शी द्वारा लिखित और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा संगीतबद्ध इस गीत की शुरुआती पंक्तियां हैं: ‘‘ना फनकार तुझसा तेरे बाद आया, मोहम्मद रफी तू बहुत याद आया....’’ ॉ

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रफी साहब का आखिरी गाना
रफी के करियर का आखिरी गाना 1981 की फिल्म "आस पास" का ‘‘तू कहीं आस पास है दोस्त’’ भी बख्शी ने लिखा था और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने संगीतबद्ध किया था. इसे धर्मेंद्र पर फिल्माया गया था, जिनके लिए गायक ने अनेक गाने गाए थे, जैसे ‘‘आज मौसम बड़ा बेईमान है’’ (1973 की फिल्म "लोफर" से) और 1975 के "प्रतिज्ञा" से ‘‘मैं जट यमला पगला दीवाना.’’ 

अमिताभ बच्चन ने तुरंत कह दी थी हां
कुछ लोगों का कहना है कि गायक की 10वीं पुण्यतिथि के अवसर पर श्रद्धांजलि देने का विचार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का था, जबकि अन्य का कहना है कि बच्चन ने कैमियो करने के लिए तुरंत सहमति दे दी थी और उन्होंने खुद ही परिचय भी लिखा था.

इनपुट: एजेंसी

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