'हीरामंडी' के लिए 700 साल पुराना गाना खोद लाए भंसाली, अमीर खुसरो ने लिखा था 'सकल बन', जानें गाने के पीछे की कहानी
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'हीरामंडी' के लिए 700 साल पुराना गाना खोद लाए भंसाली, अमीर खुसरो ने लिखा था 'सकल बन', जानें गाने के पीछे की कहानी

Heeramandi Sakal Ban Song Interesting Facts: संजय लीला भंसाली की फिल्म 'हीरामंडी' में 'सकल बन' गाना जरूर सुना होगा. जिसके पीछे की बड़ी ही रोचक कहानी है. जी हां, इस गीत को लिखा था 700 साल पहले अमीर खुसरो ने. लेकिन क्या आपको इस गाने का इतिहास मालूम है?

सकल बन गाना

सकल बन फूल रही सरसों,
सकल बन फूल रही...
उम्बवा फूटाय, टेसू फुलाय, कोयल बोलाय डार डार,
और गोरी करत सिंगार,
मलाणियां गढ़वा लै आयें करसन,
सकल बन फूल रही.... .तरह

ये खूबसूरत सा गाना आपने कुछ दिन पहले संजय लीला भंसाली की फिल्म 'हीरामंडी' में आपने जरूर सुना होगा. ये गीत है 'सकल बन', जिसे घर में नहीं तो गाड़ी में ही सही, लेकिन आपके कानों तक पहुंचा जरूर होगा. मनीषा कोइराला, ऋचा चड्ढा, अदिति राव हैदरी से लेकर संजीदा शेख जैसी अदाकाराएं खूबसूरती के साथ इस गाने पर थिरकती भी नजर आती हैं. लेकिन क्या आपको इस गाने का इतिहास मालूम है?

जी हां, ये गाना आज का नहीं है. न ही दस बीस साल पुराना है. बल्कि 'हीरामंडी' का ये गीत 700 साल पुराना है. जिसे लिखा था मशहूर इंडो-फारसी सूफी गायक और कवि अमीर खुसरो ने. वही अमीर खुसरो, जो दिल्ली के निज़ामुद्दीन औलिया के शिष्य थे.

अमीर खुसरो के लिखे गाने व कव्वाली

'छाप तिलक सब छीनी', 'सावन आया' और 'दमादम मस्त कलंदर' समेत कई गाने-कव्वाली हैं जो अमीर खुसरो ने लिखे थे और फिर नए नए अंदाज में फिल्मों में बनाए भी गए. ठीक इसी तरह 700 साल पहले 'सकल बन' भी इन्होंने ही लिखा था. जिसके पीछे बड़ी दिलचस्प कहानी है. इसी खूबसूरत मतलब के चलते भंसाली ने 'सकल बन' को अपनी फिल्म 'हीरामंडी' में इसे संजोया है. जिसे मशहूर सिंगर राजा हसन ने गाया है.

अब आते हैं 'सकल बन' की कहानी पर.
हुआ ये कि एक बार लोग पीले कपड़े पहन और पीले फूल लिये मंदिर की ओर जा रहे थे. तब अमीर खुसरो ने उनसे पूछा कि आखिर क्या बात है कि सब नजारा पीला ही नजर आ रहा है. तब लोगों ने उन्हें बताया कि बसंत पंचमी के दिन अपने ईश्वर के चरणों में फूल डालकर उन्हें खुश किया जाता है. 

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क्यों लिखा था ये गाना

बस तभी अमीर खुसरो ने भी कहा कि कुछ फूल उन्हें भी दे दें. फिर वह अपने गुरु हजरत निजामुद्दीन औलिया के पास गए. जिन्हें वह अपना गुरु ही नहीं खुदा भी मानते थे. उस दौरान हजरत निजामुद्दीन औलिया भतीजी की मौत के गम में डूबे थे. ऐसे में अमीर खुसरो ने अपने खुदा को खुश करने के लिए उनके कदमों में फूल चढ़ाए.

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आज भी उसी किस्से की वजह से ये होता है

आज भी दिल्ली की निजामुद्दीन दरगाह पर हर बसंत पंचमी पर पीले फूल और पीली चादर चढ़ाई जाती है. संजय लीला भंसाली ने भी अपने गाने में एक्ट्रेसेज के कॉस्ट्यूम को पीला ही रखा है. कोरियोग्राफी से लेकर ड्रेसेज तक सब कुछ गाने के बोल और मीनिंग से जुड़ा हुआ है.

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