Gulzar And Sanjeev kumar Movies: गुलजार और संजीव कुमार ने आधा दर्जन से ज्यादा फिल्में साथ-साथ की. दोनों की दोस्ती एक मिसाल थी. एक किस्सा बताता है कि दोनों कितने गहरे दोस्त थे.
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Gulzar And Sanjeev kumar Friendship: बॉलीवुड में अगर कामयाब लोग एक-दूसरे से जलते हैं, तो यहां पक्की दोस्ती के भी उदाहरण मिलते हैं. गुलजार और संजीव कुमार की दोस्ती ऐसी ही मिसाल थी. प्रोफेशनल लाइफ में तो दोनों एक-दूसरे के साथ थे ही लेकिन निजी जिंदगी में भी बहुत अच्छे दोस्त थे. इनकी दोस्ती फिल्मों में आने से पहले हुई. दोनों एक-दूसरे को तब से जानते थे जब संजीव कुमार इंडियन पीपुल्स थियेटर एसोसिएशन से एक्टिंग की ट्रेनिंग ले रहे थे और गुलजार इंडियन नेशनल थियेटर्स से जुड़े थे. दोनों ने एक साथ पहली बार दिलीप कुमार की फिल्म संघर्ष में काम किया, जिसमें संजीव कुमार एक्टर थे और गुलजार फिल्म की स्क्रिप्ट से जुड़े थे.
अंदाज संजीव कुमार का
बाद में गुलजार द्वारा लिखित-निर्देशित कई फिल्मों में संजीव कुमार दिखे. गुलजार और संजीव भले दोस्ते थे, लेकिन उनके व्यक्तित्व पूरी तरह जुदा थे. संजीव कुमार का सेंस ऑफ ह्यूमर नेचुरल था. वह सेट पर अपने अंदाज में सबको हंसाते-गुदगुदाते थे, जबकि गुलजार गंभीर थे. उन्हें काम के समय काम पसंद था. संजीव कुमार काम करने की सिचुएशन को बहुत हल्का बना देते और टफ से टफ सीन को भी ऐसे फिल्मा देते कि लगता ही नहीं कि सीन शूट किया गया है. वह किसी भी सीन को सिर्फ एक बार पढ़ते, एक बार उसकी रिहर्सल करते और फिर शूटिंग शुरू कर देते. गुलजार उनकी इसी अदायगी के बहुत बड़े फैन थे.
पहले खुश हुए गुलजार, फिर हैरान
गुलजार द्वारा निर्देशित फिल्म परिचय की शूटिंग चल रही थी. संजीव कुमार का छोटा लेकिन दमदार रोल था. जया भादुड़ी के साथ संजीव कुमार पर गाना फिल्माया जाना था, बीती ना बिताए रैना. संजीव कुमार की एंट्री गाने के बीच में होती है. संजीव कुमार ने अपने हिस्से के शूट में वन टेक में पूरा कर दिया. वह भी नेचुरल अंदाज में. संजीव कुमार का यह अंदाज देख कर उस दिन गुलजार इतने खुश हुए कि उन्होंने कहाः बोलो तुम क्या चाहते हो, आज जो मांगोगे वह दूंगा. संजीव कुमार ने पूछा, ‘सच में?’ गुलजार को लगा संजीव ऐसा ही कुछ बोलेंगे कि अब आज बहुत हो गया मुझे छुट्टी चाहिए. संजीव कुमार और शर्मीला टैगोर फिल्मों की शूटिंग के बाद अक्सर फिल्म देखने का प्लान बनाते थे. लेकिन गुलजार की सोच के विपरीत संजीव कुमार ने कहा, ‘पान छोड़ दो.’ गुलजार के लिए यह हैरान करने वाली बात थी. गुलजार पान के बहुत शौकीन थे और तब दिन-रात पान चबाते थे. उन्हें नहीं पता था कि उनकी यह आदत संजीव कुमार को पसंद नहीं. गुलजार थोड़ा सोच में तो पड़े लेकिन उस दिन के बाद उन्होंने पान खाना छोड़ दिया. ऐसी दोस्ती थी संजीव कुमार और गुलजार की.
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