Anurag Kashyap on India Moment at Cannes 2024: कान्स 2024 में भारतीय कलाकारों द्वारा तीन अवॉर्ड जीतने पर अपना रिएक्शन देते हुए अनुराग कश्यप ने कहा कि कान्स में भारत का कोई मूमेंट नहीं था. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस फिल्म फेस्टिवल में स्वतंत्र फिल्म डायरेक्टर्स की जीत अकेले उनकी है.
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Anurag Kashyap on India Moment at Cannes 2024: भारत ने पिछले महीने कान्स फिल्म फेस्टिवल के 77वें संस्करण में अभूतपूर्व तीन अवॉर्ड जीते. पायल कपाड़िया अपनी फिल्म 'ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट' के लिए ग्रांड प्रिक्स जीतने वाली भारत की पहली डायरेक्टर बनीं. अनसूया सेनगुप्ता को 'द शेमलेस' के लिए अन सर्टेन रिगार्ड सेक्शन में बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड दिया गया. इनके अलावा एफटीआईआई के स्टूडेंट चिदानंद एस. नाइक ने बेस्ट शॉर्ट फिल्म 'सनफ्लॉवर' के लिए ला सिनेफ सेक्शन में अवॉर्ड जीता था. हालांकि, फिल्ममेकर अनुराग कश्यप का कहना है कि कान्स में भारत का कोई मूमेंट नहीं था. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस फिल्म फेस्टिवल में स्वतंत्र फिल्म डायरेक्टर्स की जीत अकेले उनकी है और सरकार उस तरह के अवॉर्ड विनर सिनेमा का समर्थन नहीं करती है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) ने कहा है, ''जब 'इंडिया एट कान्स' कहा जाता है तो मैं बहुत परेशान हो जाता हूं. यह बहुत सारे स्वतंत्र फिल्ममेकर्स के लिए एक प्रोत्साहन है... लेकिन जीत उनकी ही है. ऐसे में हमें फेक सेलिब्रेशन को करना बंद कर देना चाहिए.''
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'भारत ने ऐसे सिनेमा को सपोर्ट देना बंद कर दिया है'
अनुराग कश्यप ने आगे कहा, ''कान्स में भारत का एक भी पल नहीं रहा, इनमें से एक भी फिल्म भारतीय नहीं है. हमें इसे उसी तरह से संबोधित करने की जरूरत है, जिस तरह से इसे संबोधित किया जाना चाहिए. भारत ने ऐसे सिनेमा को सपोर्ट देना बंद कर दिया है, जिस तरह का सिनेमा कान्स में था.'' अनुराग कश्यप ने पायल कपाड़िया की 'ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट' पर बोलते हुए कहा कि इस फिल्म को फ्रेंच फंडिंग मिली थी. बता दें कि मलयालम-हिंदी फीचर, जिसने पाल्मे डी'ओर के बाद कान्स में दूसरा सबसे बड़ा अवॉर्ड जीता, उसे फ्रांस के पेटिट कैओस और भारत के चॉक एंड चीज फिल्म्स के बीच एक इंडो-फ्रेंच को-प्रोडक्शन से बनी थी.
'ज्यादातर फिल्में अन्य देशों के बैनर के साथ तैयार की गई थीं'
अनुराग कश्यप ने कहा कि कान्स में कई फिल्में थीं, जिनमें या तो भारत-आधारित कहानियां थीं या भारतीय टैलेंट था, लेकिन ज्यादातर अन्य देशों के बैनर के साथ तैयार की गई थीं. भारतीय-ब्रिटिश फिल्ममेकर संध्या सूरी की 'संतोष' और करण कंधारी की 'सिस्टर मिडनाइट' से फंडिंग मिली थी, जबकि कॉन्स्टेंटिन बोजानोव की 'द शेमलेस' लगभग खुद के फंड से बनी थी.
'वे इन फिल्मों को सपोर्ट नहीं करते हैं'
हालांकि, चिदानंद की 'सनफ्लॉवर' भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (FTII) के तहत टीवी विंग एक ईयर प्रोग्राम के तहत बनी थीं. अनुराग कश्यप ने कहा, ''भारत बहुत सी चीजों का क्रेडिट लेना पसंद करता है, वे इन फिल्मों को सपोर्ट नहीं करते हैं, और वे इन फिल्मों को सिनेमा में रिलीज करने का भी सपोर्ट नहीं करते हैं.'