दर्जी के बेटे ने अखबार बेचकर निकाला UPSC का खर्च, नोट्स उधार लेकर की पढ़ाई, बनें IAS अफसर
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दर्जी के बेटे ने अखबार बेचकर निकाला UPSC का खर्च, नोट्स उधार लेकर की पढ़ाई, बनें IAS अफसर

IAS Nirish Rajput Success Story: निरीश राजपूत अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए अखबार बेचा करते थे, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने बीएससी और एमएससी, दोनों ही डिग्रियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया था.

दर्जी के बेटे ने अखबार बेचकर निकाला UPSC का खर्च, नोट्स उधार लेकर की पढ़ाई, बनें IAS अफसर

IAS Nirish Rajput Success Story: यूपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा 2023 का आयोजन 28 मई में होने वाला है. यूपीएससी के लाखों उम्मीदवार इस समय सक्रिय रूप से भारत की सबसे चुनौतीपूर्ण परीक्षाओं में से एक यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. उम्मीदवारों का चयन प्रीलिम्स और यूपीएससी मेन्स 2023 की परीक्षा पास करने के बाद पर्सनल इंटरव्यू में उनके प्रदर्शन के आधार पर किया जाएगा. ऐसे में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे लाखों उम्मीदवार अक्सर इस परीक्षा को क्रैक करने के लिए और खुद को मोटिवेट रखने के लिए आईएएस व आईपीएस ऑफिसर्स की सफलता भरी कहानियों को पढ़ते हैं और उनसे प्रेरित होते हैं. इसलिए आज हम आपके सामने ऐसे ही एक आईएएस निरीश राजपूत की सफलता भरी कहानी लेकर आए हैं, जिन्होंने अपनी यूपीएससी की परीक्षा के लिए घर-घर अखबार बेचा और लोगों से नोट्स उधार लेकर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की और अंतत: परीक्षा पास करके आईएएस ऑफिसर बन गए.

उधारी से चलता था घर
बता दें कि मध्य प्रदेश के मूल निवासी निरीश का पालन-पोषण एक ऐसे घर में हुआ, जिसमें आर्थिक तंगी थी. उनके पिता, जो पेशे से एक दर्जी हैं, उनको कभी-कभी परिवार के खर्च को चलाने के लिए लोगों से पैसे उधार लेने के पड़ते थे. अपने पिता की आर्थिक स्थिति को देखकर निरीश ने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने की सोची और वह परीक्षा पास करने के लिए पहले से कहीं अधिक दृढ़ थे.

पढ़ाई के लिए बेचा अखबार
IAS निरीश ने अपनी शिक्षा के लिए एक सरकारी स्कूल में पढ़ाई की क्योंकि उनका परिवार प्राइवेट स्कूल की फीस देने में असमर्थ था. स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद निरीश अंततः अपनी बस्ती से ग्वालियर आ गए और एक रोजगार प्राप्त कर लिया. ग्वालियर में उन्होंने बीएससी (B.Sc) और एमएससी (M.Sc) की डिग्री हासिल की. उनकी खराब वित्तीय स्थिति के कारण उनके पास नोट्स तैयार करने के लिए अक्सर पैसों की कमी रहती थी.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, निरीश अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए अखबार बेचा करता था. इसके बावजूद उन्होंने स्पष्ट रूप से बीएससी और एमएससी दोनों डिग्रियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया.

मित्र से मिला विश्वासघात
जब वे यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे, तो उन्होंने अपने एक करीबी साथी के लिए काम करना शुरू किया, जिसने एक कोचिंग सुविधा की स्थापना की और उन्हें एक शिक्षण पद दिया. दो साल बाद, उनके दोस्त ने कथित तौर पर उन्हें कोचिंग सुविधा से निकाल दिया. उसके बाद, निरीश ने अपनी किस्मत बदलने के प्रयास में दिल्ली की यात्रा की.

उधार के नोट्स से की यूपीएससी की तैयारी
दिल्ली में अपने एक दोस्त से मिलने के दौरान उन्होंने उनसे उधार पैसे लिए और इसके बाद यहां रहकर निरीश ने अपने दम पर पढ़ाई जारी रखी क्योंकि उसके पास कोचिंग के लिए पैसे नहीं थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह तीन बार फेल हुए, लेकिन अपने दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति के साथ उन्होंने अपने चौथे प्रयास में ऑल इंडिया 370वीं रैंक हासिल की और अंतत: आईएएस ऑफिसर बन गए.

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