RAW: पूरी दुनिया मानती है देश की इस खुफिया एजेंसी का लोहा, कई खतरनाक मिशन को सक्सेसफुली दिया अंजाम
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RAW: पूरी दुनिया मानती है देश की इस खुफिया एजेंसी का लोहा, कई खतरनाक मिशन को सक्सेसफुली दिया अंजाम

RAW Intelligence Agency: बड़े-बड़े विकसित राष्ट्रों के पास एक से बढ़कर सुरक्षा के बंदोबस्त है. भारत की एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग भी दुनिया की सबसे मशहूर खुफिया एजेंसियों की लिस्ट में शामिल है. 

RAW: पूरी दुनिया मानती है देश की इस खुफिया एजेंसी का लोहा, कई खतरनाक मिशन को सक्सेसफुली दिया अंजाम

RAW Intelligence Agency: विश्व के सभी देश अपनी आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम करते हैं. वहीं, हमारा देश भी इससे अछूता नहीं है. वक्त के साथ ही भारत ने इस ओर बेहतरीन कदम उठाए, नतीजतम हमारे पास ऐसी सिक्योरिटी एंजेसियां हैं, जिन्होंने देश पर आने वाले हर बड़े खतरे को टाला है. देश की बाहरी सुरक्षा पर नजर रखने के लिए एक खुफिया एजेंसी है रिसर्च एंड एनालिसिस विंग, जिसे रॉ (RAW) भी कहते हैं.  रॉ भारत की प्रमुख अंतरराष्ट्रीय खुफिया एजेंसी है, जिसका लोहा पूरी दुनिया मान चुकी है. 

रॉ के गठन का मकसद क्या था?
दुश्मनों की गतिविधियों की जानकारी इकट्ठा कर सके. आपातकालीन परिस्थितियों में देश के हित में अहम फैसले ले सके और भारत सरकार को अपनी सुरक्षा  मजबूत करने के लिए नवीनतम जानकारी हासिल हो सके. 

सीधे पीएम को जाती है रिपोर्ट
रॉ का नेतृत्व करने वाले निदेशक की नियुक्ति केंद्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय द्वारा की जाती है, जो सीधे तौर पर प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं. इस खुफिया एजेंसी में सेना, पुलिस और अन्य सिविल सेवाओं समेत केंद्र सरकार के कई विभागों के अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं. 

ये हैं इस एजेंसी का मुख्य काम
इस एजेंसी की खास जिम्मेदारी विदेशी खुफिया जानकारी जुटाना है. देश पर होने वाले आतंकवादी हमलों से सुरक्षा करना, विदेशी साजिशों को नाकाम करना, भारतीय नीति निर्माताओं को सलाह देना और विदेशी सामरिक हितों को आगे बढ़ाना इस एजेंसी का काम है.  रॉ राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए खुफिया मिशन चलाती है, जिस पर देश के परमाणु कार्यक्रमों की सुरक्षा की भी जिम्मेदारियां हैं. 

रॉ का इतिहास
खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग का गठन 21 सितंबर 1968 में हुआ था. इस समय तक इंटेलिजेंस ब्यूरो के पास ही देश की आंतरिक और बाहरी खुफिया जानकारी जुटाने की जिम्मेदारी थी, लेकिन साल 1962 के भारत-चीन युद्ध और साल 1965 के भारत-पाक युद्ध में आईबी द्वारा जुटाई गई जानकारी एमें एक बड़ा अंतर था.  इन युद्धों में आईबी चीन और पाकिस्तान की तैयारी का अनुमान लगाने में नाकाब साबित हुई. इसके बाद तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार को बाहरी खुफिया जानकारी हासिल करने के लिए एक समर्पित एजेंसी की जरूरत महसूस हुई, जिसके परिणामस्वरूप रॉ का गठन हुआ. आईबी के निराशाजन प्रदर्शन के बाद रामेश्वर नाथ काव के मार्गदर्शन में रॉ का गठन किया गया था. 

मजबूत सुरक्षा देने में निभाई अहम भूमिका
रॉ अब तक विदेशों में कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दे चुका है. इसके अलावा कई जासूसी मिशन और खुफिया संचार नेटवर्क चला चुका है. 

बांग्लादेश के बनने में था अहम रोल
बांग्लादेश के निर्माण में भी रॉ की अहम भूमिका है. इस खुफिया एजेंसी ने पूर्वी पाकिस्तान में पाक सैनिकों की मूवमेंट को बाधित कर दिया था, जिसके बाद वह एक अलग मुल्क बांग्लादेश बना.

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