Saas Bahu Aur Flamingo Review: सीरीज देखने से पहले यह रिव्यू पढ़ लें, फिर अपने आईक्यू का इस्तेमाल करें
Advertisement

Saas Bahu Aur Flamingo Review: सीरीज देखने से पहले यह रिव्यू पढ़ लें, फिर अपने आईक्यू का इस्तेमाल करें

Dimple Kapadia Web Series: यह वेबसीरीज जैसे सास-बहू धारावाहिकों की प्रचलित तस्वीर को तोड़कर उन्हें नए अंदाज में दिखाती है, वैसे ही गंदी बात का भी यहां काफी फैलाव हुआ है. एकता कपूर के दोनों आइडियों को मिलाकर, निर्देशक होमी अदजानिया ने अपने अंदाज-ए-बयां के तड़के से सास बहू और फ्लेमिंगो को रचा है.

 

Saas Bahu Aur Flamingo Review: सीरीज देखने से पहले यह रिव्यू पढ़ लें, फिर अपने आईक्यू का इस्तेमाल करें

Homi Adajania Web Series: बिजनेस में अगर आपका कोई क्लाइंट बड़ा है तो आप क्या करेंगेॽ इसके तमाम जवाब हो सकते हैं, लेकिन सास बहू की इस वेब सीरीज के शुरुआती मिनटों में देवरानी अपनी जेठानी को जो जवाब देती है, उसे सुनकर ही आपको मुंह का स्वाद बिगड़ जाएगा. तब लगता है कि यहीं इस सीरीज को बंद कर देना चाहिए. आपके सामने निर्देशक होमी अदजानिया और उनके राइटरों की तिकड़ी के इरादे साफ हो जाते हैं. उनका इरादा कहानी कहने का नहीं बल्कि अपने दिमाग की गंदगी को दुनिया भर में परोसना है. शब्दों के पोर्न से भरी कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, अपने दृश्यों में भी लगातार स्तरहीन होती चली जाती है.

फेर दिया खुद पानी
सवाल नैतिकता और शुद्धता का नहीं है. कहानी का है. फेमिनिज्म के नाम पर उड़ान भरने वाली सास बहू और फ्लेमिंगो आपको बेसिर-पैर की दुनिया में ले जाकर भद्दे दृश्यों से सिर्फ चौंकाना चाहती है. तर्क की यहां कहीं जगह नहीं है और यूरोपिय क्राइम फिल्मों में मिलने वाले फार्मूलों को वेब सीरीज में राजस्थान-गुजरात की बॉर्डर पर पर फिट कर दिया गया है. बीइंग साइरस, फाइंडिंग फैनी और अंग्रेजी मीडियम जैसी फिल्में बनाने वाले निर्देशक होमी अदजानिया अपनी पहली वेबसीरीज में पुराने किए धरे पर खुद ही पानी फेर देते हैं. असल में कुछ साल पहले निर्देशक ने यह कहानी लिखी थी, तो समझ नहीं पा रहे थे कि इसे फिल्म में कैसे दिखाएंगे. परंतु फिर आ गई वेब सीरीज. जहां अनलिमिटेड छूट है.

हर चीज की अति
सेक्स बिकता है. हिंसा बिकती है. क्राइम बिकता है. यह वेब सीरीज की दुनियावालों की मोटी समझ है. अब यह सब कितना ज्यादा बिकेगा, इस बात से तय होगा कि सीरीज में कितना बर्बर सेक्स, कितनी ज्यादा हिंसा और कितना घृणित क्राइम है. होमी अदजानिया अपनी तरह से हर चीज को अति पर ले गए हैं. जबरन ठूंस-ठूंस कर भरना जिसे कहा जाता है, वह आप यहां देख सकते हैं. कहानी धीमी रफ्तार से चलती है और सेक्स, मार-पीट, खून-खराबे के दृश्य खिंचते चले जाते हैं. अगर आपके लिए यह एंटरटेनमेंट है, तो जरूर इस सीरीज को देखते हैं. जबकि यहां नए के नाम पर तमाम नकली बातें हैं.

खरबों का बिजनेस
कहानी का मूल आइडिया ही आश्वस्त नहीं करता. हालांकि यह डार्क कॉमेडी सरीखा है. बंजारों-खानाबदोशों की जिंदगी से ऊपर उठकर हवेली तक का सफर तय करने वाली एक सास, सावित्री (डिंपल कपाड़िया) दो बहुओं, बड़ी बिजली (ईशा तलवार) और छोटी काजल (अंगिरा धर) तथा एक बिगड़ैल बेटी शांता (राधिका मदान) के साथ ड्रग्स का सिंडिकेट चलाती है. दुनिया भर की दुखियारी-हालात की मारी औरतें इसमें उनकी मदद करती हैं. खरबों का बिजनेस है. मजेदार बात यह कि सावित्री के दो बेटों को यह बातें पता नहीं. वे अमेरिका में नौकरी करते हैं. वे जन्माष्टमी का त्योहार मनाने घर लौटते हैं और तब उनके सामने बातें खुलती हैं. सावित्री कहती है कि वह आने वाले दिनों में अपना वारिस घोषित करेगी. वारिस होने के कई दावेदार हैं. इस कहानी में एक पुलिसवाला (जिमित त्रिवेदी) है, जो सावित्री की दुनिया में सेंध लगाता है. साथ ही सावित्री का प्रतिद्वंद्वि और दुश्मन मांक (दीपिक डोबरियाल) भी है.

बेसिर-पैर के शौकीन
जैसे-जैसे कहानी बढ़ती है, सावित्री की जिंदगी की तस्वीर सामने आती है. वह कहां से आई, क्या-क्या उसकी जिंदगी में हुआ, उसने किस-किस को सहा, उसका गोरा आशिक, उसके अपने, उसके पराये, उसके दोस्त, उसके दुश्मन. इसी तरह से खतरनाक मांक की दुनिया से भी पर्दे उठते हैं. सावित्री के घर के अंदर चलने वाले षड्यंत्र, घात-प्रतिघात सामने आते हैं. तमाम यौन दृश्यों के साथ समलैंगिक संबंध भी कहानी का हिस्सा हैं. एक के बाद एक कई परतें खुलती हैं. लेकिन कुछ खुशनुमा नहीं है. अगर आप टीवी के सास-बहू धारावाहिकों के शौकीन रहें हैं, तो उस दुनिया से बिल्कुल उलट यह सास-बहू की दुनिया है. जितनी बेसिर-पैर की वह दुनिया थी, उतनी ही बेसिर-पैर की यह दुनिया है. अगर आपके पास ढेर सारा समय है तो औसतन 50-50 मिनिट की आठ कड़ियों वाली यह वेब सीरीज आप डिज्नी-हॉटस्टार पर देख सकते हैं.

इसलिए रहें सावधान
इतना जरूर है कि एक्टरों ने बहुत अच्छा काम किया है. डिंपल कपाड़िया शुरू से अंत तक छाई हुई हैं. लेकिन ईशा तलवार और अंगिरा धर अपने काम से प्रभावित करती हैं. दोनों ने अपनी भूमिकाओं को अच्छे ढंग से निभाया है. राधिका मदान नहीं जमतीं. दीपक डोबरियाल ने पिछले दिनों आई फिल्म भोला के बाद एक बार फिर खलनायकी की है और वह खौफ पैदा करने में कामयाब रहते हैं. नसीरूद्दीन शाह छोटी मगर प्रभावी भूमिका में हैं. बाकी कलाकार भी अच्छे हैं. अगर आपके बच्चों के पास मोबाइल है, जिसमें यह ओटीटी है तो सावधान रहें क्योंकि इसी पर बच्चों के लिए डिज्नी और सुपरहीरोज की दुनिया का बहुत सारा कंटेंट है. उनकी अंगुलियां फिसल कर उनके लिए अवांछित कंटेंट तक भी पहुंच सकती हैं.

निर्देशकः होमी अदजानिया
सितारे: डिंपल कपाड़िया, ईशा तलवार, अंगिरा धर, राधिका मदान, दीपक डोबरियाल, नसीरूद्दीन शाह, मोनिका डोगरा, वरुण मित्रा, आशीष वर्मा, जिमित त्रिवेदी
रेटिंग**

Trending news