Citadel Review: बना रहना चाहिए टीवी और ओटीटी का फर्क, इंतजार करें पूरी सीरीज रिलीज होने का
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Citadel Review: बना रहना चाहिए टीवी और ओटीटी का फर्क, इंतजार करें पूरी सीरीज रिलीज होने का

Priyanka Chopra Web Series: अगर आप प्रियंका चोपड़ा के फैन हैं तो खुश हो सकते हैं कि उन्होंने अमेरिकी ओटीटी पर अच्छी शुरुआत की है. परंतु उनकी डेब्यू सीरीज सिटाडेल के सिर्फ दो एपिसोड रिलीज हुए हैं. यह अधूरा मजा है. जब तक पूरी सीरीज नहीं आती, तब तक आप इंतजार कर सकते हैं.

 

Citadel Review: बना रहना चाहिए टीवी और ओटीटी का फर्क, इंतजार करें पूरी सीरीज रिलीज होने का

Priyanka Chopra On OTT: ओटीटी और टीवी के मनोरंजन चैनलों में सबसे बड़ा फर्क यह है कि ओटीटी पर दर्शकों को मनोरंजन टुकड़ों में नहीं मिलता. सारी कहानी लगे हाथ पूरी उपलब्ध होती है. मगर कई ओटीटी प्लेटफॉर्म दर्शकों को अगले महीने के सब्सक्रिप्शन के लिए बंधक बनाने की नीति पर काम कर रहे हैं. वह पूरी वेब सीरीज एक साथ स्ट्रीम करने के बजाय एपिसोड के टुकड़ों में ला रहे हैं. कुछ दिन पहले अमेजन प्राइम वीडियो ने वेब सीरीज जुबली को दो टुकड़ों में बांट कर रिलीज किया, जिससे उसे नुकसान उठाना पड़ा. अब यह ओटीटी प्रियंका चोपड़ा की डेब्यू वेब सीरीज सिटाडेल को टुकड़ों में लाया है. सीरीज के पहले दो एपिसोड आज रिलीज हुए. बताया जा रहा है कि छह कड़ियों की इस कहानी के अगले चार एपिसोड आने वाले शुक्रवारों को एक-एक कर रिलीज होंगे. तय है कि इससे देखने का मजा खराब हो जाएगा. बेहतर है कि आप इंतजार करें सारे एपिसोड स्ट्रीम होने का, तब इसे देखें.

मैंटीकोर से मुकाबला
सिटाडेल का मुख्य आकर्षण हिंदी के दर्शकों के लिए प्रियंका चोपड़ा हैं. सीरीज में साफ है कि उन्होंने खुद को हर लिहाज से पश्चिमी सिनेमा में ढाल लिया है. सिटाडेल एक स्पाई संगठन है, जो दुनिया की बेहतरी के लिए काम करता है. जो ताकतें दुनिया को नष्ट करने या नुकसान पहुंचाने में लगी हैं, सिटाडेल के एजेंट उन्हें खत्म करते हैं. परंतु सिटाडेल को खत्म करने वाला एक संगठन, मैंटीकोर भी सक्रिय हैं. सिटाडेल के लगभग सारे एजेंटों को मैंटीकोर मार जा चुका है. मेसन केन (रिचर्ड मैडन) और नाडिया सिंह (प्रियंका चोपड़ा जोनास) बचे हैं, मगर एक हादसे में उनकी याददाश्त जा चुकी है. मेसन और नाडिया का एक अतीत भी है. इस बीच आठ साल गुजर जाते हैं. क्या इन दोनों की याददाश्त वापस आएगी. क्या ये मैंटीकोर का मुकाबला कर सकेंगे. क्या है उनका अतीत. सिटाडेल की कहानी यही है.

एकरसता का खतरा
सिटाडेल के पहले दो एपिसोड में जो बात आकर्षित करती है, वह है एक्शन. लोकेशन. भव्यता. सारा दारोमदार अब इस बात पर है कि आने वाले एपिसोड में कहानी क्या मोड़ लेगी. मेसन और नाडिया दुश्मन से कैसे बचेंगे. कैसे पलटवार करेंगे. दो एपिसोड खत्म होते-होते कहानी फिलहाल बहुत आकर्षण पैदा नहीं करती क्योंकि तमाम स्पाई फिल्मों या सीरीजों में दो सिंडिकेट्स की दुश्मनी और जांबाज एजेंटों की दर्जनों कहानियां आ चुकी हैं. सिटाडेल के ये एपिसोड अपनी मेकिंग में शानदार हैं. परंतु टुकड़ों में इनका मजा नहीं है. जैसी कहानी दिख रही है, उससे आने वाले एपिसोड्स में एकरसता पैदा होने का खतरा है. एक्शन या परफॉरमेंस कितना ही अच्छा क्यों न हो, सिर्फ इन्हीं के लिए कोई सीरीज नहीं देखी जा सकती.

हिंदी में लापरवाही
प्रियंका चोपड़ा पहले दो एपिसोड में अच्छी लगी हैं. उनकी एक्टिंग किरदार के अनुरूप है और उन्हें एक्शन अवतार में देखा जा सकता है. प्रियंका ने एक्शन अच्छा किया है. कैमरावर्क और बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा है. सीरीज हिंदी समेत कई भाषाओं में डब है. हिंदी डबिंग में मजा नहीं है. साथ ही अगर आप हिंदी सब-टाइटल भी चला लें, तो पाएंगे कि डायलॉग और सब-टाइटल में कई जगहों पर फर्क है. यह लापरवाही है. ऐसा लगता है कि डबिंग के लिए संवाद अलग लिखे गए और सब टाइटल के लिए अलग. अंग्रेजी में ऐसी लापरवाही देखने नहीं मिलती. लेकिन सबसे बड़ी समस्या यही है कि सिटाडेल के दो एपिसोड में, शुरू होने से पहले ही बात खत्म हो जाती है. ऐसे में बेहतर यही है कि पहले पूरी सीरीज आ जाए, उसके बाद ही एक बार में देखा जाए. शुरुआती एपिसोड्स में वह रोमांच नहीं है कि आप अगले एपिसोड का बेसब्री से इंतजार करें. टीवी और ओटीटी का फर्क बना रहना चाहिए.

निर्देशकः न्यूटन थॉमस सिगल, जेसिका यू
सितारे: प्रियंका चोपड़ा जोनास, रिचर्ड मैडन
रेटिंग**1/2

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