DNA: पश्चिम बंगाल में कोई भी चुनाव बिना हिंसा के क्यों नहीं होता? लोकसभा चुनाव के पहले फेज में भी नहीं टूट पाई 'परंपरा'
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DNA: पश्चिम बंगाल में कोई भी चुनाव बिना हिंसा के क्यों नहीं होता? लोकसभा चुनाव के पहले फेज में भी नहीं टूट पाई 'परंपरा'

Lok Sabha Chunav 2024 First Face Voting: पश्चिम बंगाल में कोई भी चुनाव आखिर बिना हिंसा के क्यों नहीं होता. यह सवाल सबको परेशान करता रहा है. इस बार भी लोकसभा चुनाव के पहले फेज में बंगाल में हिंसा की यह परिपाटी टूट नहीं पाई. 

DNA: पश्चिम बंगाल में कोई भी चुनाव बिना हिंसा के क्यों नहीं होता? लोकसभा चुनाव के पहले फेज में भी नहीं टूट पाई 'परंपरा'

Zee News DNA Lok Sabha Elections 2024: एक तरफ लोकसभा की 102 सीटों पर वोटिंग के दौरान मतदाताओं में गर्मजोशी देखी गई तो दूसरी तरफ बंगाल में वोटिंग के दौरान माहौल गर्म रहा. एक तरफ भारी गर्मी के बीच मतदाताओं ने अपने वोट के अधिकार का इस्तेमाल किया तो दूसरी तरफ बंगाल में मौसम की गर्मी के साथ हिंसा की गर्मी थी. एक तरफ बढ़ती गर्मी के साथ फर्स्ट फेज का वोटिंग Percentage बढ़ रहा था तो दूसरी तरफ बंगाल में हिंसा का Percentage बढ़ता चला गया. सबसे ज्यादा वोटिंग भी बंगाल में हुई है और सबसे ज्यादा हिंसा भी बंगाल में ही हुई है.

वैसे बंगाल में वोटिंग के दिन हिंसा होना इतनी आम बात है कि सबको पहले से पता होता है कि ऐसा तो होना ही है. लेकिन आखिर बंगाल में चुनाव और हिंसा का इतना गहरा नाता क्यों है? पहले आपको वोटिंग के First Phase का संक्षिप्त विश्लेषण बताते हैं.

पहले फेज की खत्म हुई वोटिंग

लोकसभा चुनाव के First Phase में 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की 102 सीटों पर वोटिंग शाम 6 बजे खत्म हो गई . सीटों के हिसाब से यह सबसे बड़ा Phase है. पहले Phase में पश्चिम बंगाल की 4, उत्तर प्रदेश की 8 और बिहार में 4 सीटों पर वोट डाले गए. इसके अलावा तमिलनाडु की सभी 39 और उत्तराखंड की सभी 5 सीटों पर भी वोटिंग पूरी हो गई.

शाम 6 बजे तक 102 सीटों पर औसत 59.7 प्रतिशत वोटिंग हुई. सबसे ज्यादा 77.57 प्रतिशत वोटिंग बंगाल में हुई. सबसे कम 46.32 प्रतिशत वोटिंग बिहार में हुई. उत्तर प्रदेश में करीब 57 प्रतिशत..उत्तराखंड में 53 प्रतिशत से ज्यादा..छत्तीसगढ़ में 63 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग हुई. मणिपुर में भी 68 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग हुई. अरुणाचल प्रदेश में भी 64 प्रतिशत वोटिंग टर्नआउट दर्ज किया गया.

आज जिन 102 सीटों पर वोटिंग हुई है. 2019 में इन 102 लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने 40, DMK ने 24, कांग्रेस ने 15 सीटें जीती थीं . अन्य को 23 सीटें मिली थीं. लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव के First Phase में मतदाताओं के उत्साह की तस्वीरें पूरे दिन सामने आती रहीं . युवाओं से लेकर बुजुर्ग तक अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए मतदान केंद्र पहुंचे. लोकतंत्र की गर्मी ने कैसे मौसम की गर्मी को पछाड़ दिया. 

बंगाल में हिंसा का राउंड वन 

चाहे पंचायत चुनाव हों...विधानसभा चुनाव हो या फिर चाहे लोकसभा चुनाव ही क्यों ना हो. पश्चिम बंगाल में चुनाव में हिंसा ना हो, ऐसा नहीं हो सकता. पिछले कुछ वर्षों से स्थिति ये हो गई है कि पश्चिम बंगाल में अगर शांतिपूर्ण चुनाव हो जाएं, तो चुनाव आयोग गंगा नहा ले. लेकिन अफसोस ऐसा नहीं हो पा रहा है. आज देश के 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर वोटिंग हुई.

इन 102 सीटों में से तीन सीटें पश्चिम बंगाल से भी थीं. ये सीटें थीं- कूचबिहार, अलीपुरद्वार और जलपाईगुड़ी. ये तीनों ही सीटें पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से में आती हैं. पिछले चुनावों में यानी 2019 में इन तीनों ही सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी. इसलिए टीएमसी के नजरिए से ये सीटें काफी महत्वपूर्ण थीं.

चुनावों में हिंसा, पश्चिम बंगाल की एक ऐसी पहचान बन गई है, जो देश की जनता के अंतर्मन में इस तरह से घुस गई है, कि जब उन्हें पश्चिम बंगाल के किसी चुनाव में हिंसा की खबर सुनाई देती है तो यकायक उनके मुंह से निकलता है- ये कौन सी नई बात है? ये सच है कि ये नई बात नहीं है. लेकिन अगर ये पश्चिम बंगाल की पहचान है तो इसमें इस राज्य की सरकार और सत्ताधारी दल की बड़ी खामी है, इसमें चुनाव आयोग की नाकामी है. ये दोनों संवैधानिक व्यवस्थाएं देश में पारदर्शी और शांतिपूर्ण चुनाव करवाने में नाकाम साबित होते रहे हैं.

कूचबिहार में हुई चुनावी हिंसा, देसी बम भी मिले

इस बार कूचबिहार में चुनावी हिंसा हुई, यहां देसी बम भी मिले. यही नहीं पोलिंग बूथों पर लोगों को वोटिंग से रोकने की कोशिश की गई, डराया गया, धमकाया गया. यहीं नहीं वोटिंग रोकने के लिए पथराव तक हुआ. कुछ पोलिंग बूथ से ऐसी खबरें भी आईं कि उन्हें कैप्चर करने की कोशिश की जा रही थी. ये दो तस्वीरें कूचबिहार के ही दिनहाटा और भेटागुड़ी की हैं. इन दोनों की जगहों पर देसी बम मिले हैं. चुनाव के दिन देसी बम का मिलना, लोगों में दहशत पैदा कर रहा था. परसों रामनवमी पर पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा के बाद से ही सुरक्षाबल काफी अलर्ट पर थे. लेकिन इसके बावजूद कूचबिहार में देसी बम मिले तो बम निरोधक दस्ता एक्टिव हुआ. इन बमों को डिफ्यूज़ किया गया.

कूचबिहार में चुनावी हिंसा की एक वजह ये है कि इस सीट से बीजेपी के स्टार उम्मीदवार निसिथ प्रामाणिक मैदान में हैं. निसिथ प्रामाणिक ने 2019 चुनाव में यहां से जीत दर्ज की थी. उनकी लोकप्रियता को देखते हुए बीजेपी ने एक बार फिर उन्हें इसी क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारा है. कूचबिहार से निसिथ प्रामाणिक के खिलाफ TMC से जगदीश चंद्र बर्मा और कांग्रेस से पिया रॉय चौधरी चुनावी मैदान में है. यही वजह है कि कूचबिहार सीट, टीएमसी और कांग्रेस दोनों के लिए अहम सीट है.

कूचबिहार के चंदामाड़ी में टीएमसी और बीजेपी कार्यकर्ताओं में जमकर झड़प हुई. दोनों ही पक्ष एक दूसरे पर हमला करने का आरोप लगाते नजर आए. इसी तरह से कूचबिहार के ही बलरामपुर में, भीड़ पर बूथ कैप्चरिंग की कोशिश का आरोप लगा. हालांकि सुरक्षाबलों ने सख्ती दिखाई तो भीड़ पोलिंग बूथ से भाग गई. हालांकि पोलिंग बूथ पर पथराव किया गया. इस पथराव के जरिए मतदाताओं को भगाने की कोशिश की गई थी.

बस्तर से भी जमकर खतरनाक बना बंगाल

एक समय था जब चुनाव आयोग के लिए नक्सल प्रभावित इलाकों में चुनाव करवाना, सबसे बड़ी चुनौती था. लेकिन आज हालात अलग है. पश्चिम बंगाल में चुनाव करवाना EC के लिए मुश्किल हो रहा है, और नक्सल प्रभावित बस्तर में चुनाव शांतिपूर्ण करवाए गए. पहले चरण में छत्तीसगढ़ की एक सीट बस्तर में ही वोटिंग हुई. वोटिंग के लिए जो लोग पहुंचे, वो पूरी जिम्मेदारी के साथ वोटिंग करने आए थे. वहां पर कहीं भी अराजकता या अव्यवस्था नजर नहीं आई. बस्तर एक कोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. चुनाव आयोग के लिए यहां चुनाव करवाना बहुत मुश्किल होता था. लेकिन इस क्षेत्र में जिस तरह से लोग बढ़-चढ़कर देश के लोकतंत्र का उत्सव मना रहे हैं वो काबिल-ए-तारीफ है.

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