Lok Sabha Election 2024: भारत में बढ़ती गर्मी के साथ चुनावी तापमान भी तेजी से चढ़ रहा है. विपक्ष ने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलों की बौछार कर दी है. लेकिन मोदी का सियासी डिफेंस सिस्टम किसी एडवांस्ड मिसाइल सिस्टम से कम नहीं है.. जिसका नतीजा है कि मोदी तक पहुंचने से पहले ही विरोधियों के हमले की हवा निकल जा रही.
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Lok Sabha Election 2024: भारत में बढ़ती गर्मी के साथ चुनावी तापमान भी तेजी से चढ़ रहा है. विपक्ष ने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलों की बौछार कर दी है. लेकिन मोदी का सियासी डिफेंस सिस्टम किसी एडवांस्ड मिसाइल सिस्टम से कम नहीं है.. जिसका नतीजा है कि मोदी तक पहुंचने से पहले ही विरोधियों के हमले की हवा निकल जा रही. सियासी तकनीक के माहिर मोदी विपक्ष के हमलों को हथियार बनाकर उनपर ही छोड़ रहे हैं. निशाना भी टारगेट (विपक्ष) पर सटीक लग रहा है. लेकिन चोट कांग्रेस और राहुल को ही लग रही.
अब उम्मीद भी नहीं...
पिछले लोकसभा चुनाव के बाद उम्मीद थी कि इस चुनाव में कांग्रेस और राहुल गांधी.. मोदी और भाजपा के रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा होंगे. लेकिन कांग्रेस और राहुल ने अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया, जिससे अगले लोकसभा चुनाव में उनके या उनकी पार्टी के वजूद में आने की उम्मीद की जा सके. यहां अगले से मतलब है '2029'. क्योंकि जहां तक मेरी समझ में आ रहा है.. 2024 के लिए राहुल और विपक्षी दल मेहनत तो कर रहे हैं लेकिन नतीजों में यह रिफलेक्ट होता नहीं दिख रहा. यह राहुल और विपक्ष के लिए मेरे निजी विचार हैं. वैसे राजनीति में करिश्मा भी होता रहा है. राहुल के साथ ये करिश्मा कब होगा.. होगा भी या नहीं.. ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
फिर कर लिया सेल्फ गोल
अभी की बात करें तो राहुल ने एक बार फिर सेल्फ गोल कर लिया है. उन्होंने कल रविवार को मुंबई में 'शक्ति' वाला बयान दिया था. इसे पीएम मोदी ने राहुल के खिलाफ ही हथियार बना लिया. डिटेल में जाने से पहले राहुल के इस बयान के बारे में जान लेना जरूरी है. राहुल गांधी ने कहा था.. शक्ति से लड़ रहा हूं.. हिंदू धर्म में शक्ति शब्द होता है. हम शक्ति से लड़ रहे हैं, एक शक्ति से लड़ रहे हैं.
सियासी फजीहत राहुल गांधी का पीछा नहीं छोड़ रही
राहुल ने शक्ति पर ज्ञान देना जारी रखते हुए कहा कि अब सवाल उठता है, वो शक्ति क्या है? जैसे किसी ने यहां कहा- राजा की आत्मा ईवीएम में है. सही है, सही है. राजा की आत्मा ईवीएम में है. हिंदुस्तान की हर संस्था में है. ईडी में है, सीबीआई में है, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में है. राहुल अपने हिसाब से सही जा रहे थे. लेकिन वे भूल गए कि हिन्दू धर्म में 'शक्ति'.. देवी को भी कहा जाता है. बस यही मोदी ने पकड़ लिया. जिसके बाद से सियासी फजीहत राहुल गांधी का पीछा नहीं छोड़ रही.
#WATCH | Mumbai, Maharashtra: At the conclusion ceremony of the Bharat Jodo Nyay Yatra, Congress leader Rahul Gandhi says, "There is a word 'Shakti' in Hinduism. We are fighting against a Shakti. The question is, what is that Shakti. The soul of the King is in the EVM. This… pic.twitter.com/lL9h9W0sRf
— ANI (@ANI) March 17, 2024
मोदी की 'शक्ति' समझ आ रही होगी..
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वक्त नहीं लगा और उन्होंने राहुल की 'शक्ति' की दिशा उनकी ही तरफ मोड़ दी. अब ये 'शक्ति' राहुल पर भारी पड़ रही है. पीएम ने राहुल को टारगेट पर रखकर कहा कि ‘शक्ति’ पर वार का मतलब देश की माताओं-बहनों पर वार. पीएम मोदी ने पूरे विपक्ष को घेर लिया और आरोप लगाया कि ये लोग ‘शक्ति’ के विनाश के लिए लड़ रहे हैं. लोकसभा चुनाव में नारी और शक्ति का हर उपासक उसे (विपक्ष) इसका जवाब देगा. इस वक्त पूरे विपक्ष को राहुल और पीएम मोदी की 'शक्ति' समझ आ रही होगी.
मेरे लिए हर मां शक्ति का रूप है, हर बेटी शक्ति का रूप है।
मैं इनको शक्ति के रूप में पूजता हूं और मैं इन शक्ति स्वरूपा माताओं-बहनों की रक्षा के लिए जान की बाजी लगा दूंगा।
- पीएम @narendramodi#MarosariModiSarkar pic.twitter.com/3rHSvMK810
— BJP (@BJP4India) March 18, 2024
एक ओर शक्ति के विनाश की बात करने वाले लोग हैं,
दूसरी ओर शक्ति की पूजा करने वाले लोग हैं।मुकाबला 4 जून को हो जाएगा कि कौन शक्ति का विनाश कर सकता है और कौन शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है...
- पीएम @narendramodi#MarosariModiSarkar pic.twitter.com/YojRZZqbQo
— BJP (@BJP4India) March 18, 2024
राहुल-मोदी की 'शक्ति' में बड़ा अंतर
यहां समझना होगा कि राहुल गांधी की 'शक्ति' और पीएम मोदी की 'शक्ति' में अंतर है. अंतर समझाने के तरीके का है.. अंतर जनता की नब्ज पकड़ने का है.. अंतर जनता तक अपनी आवाज पहुंचाने का है.. अंतर बोलने से पहले सोचने का है.. मतलब राहुल सिर्फ शक्ति ही बोलते तो मामला संभल जाता. शक्ति को हिन्दू धर्म से नहीं जोड़ते तो भी मसला गंभीर नहीं होता. शक्ति और हिन्दू धर्म की बात ही नहीं छेड़ते तो पीएम मोदी के निशाने पर नहीं आते.. उनका (राहुल गांधी) हमला पीएम मोदी के हथियार में नहीं बदलता.
अब पछताए क्या होत जब चिड़िया चुग गई खेत..
अब पछताए क्या होत जब चिड़िया चुग गई खेत.. राहुल गांधी को ये लोकोक्ति जरूर याद आ रही होगी. फिर भी उन्होंने डैमेज कंट्रोल करने की पूरी कोशिश की है. उन्होंने अपनी शक्ति के बारे में लोगों को समझाया. राहुल ने एक्स पर पोस्ट में कहा...
-मोदी जी को मेरी बातें अच्छी नहीं लगतीं, किसी न किसी तरह उन्हें घुमाकर वह उनका अर्थ हमेशा बदलने की कोशिश करते हैं क्योंकि वह जानते हैं कि मैंने एक गहरी सच्चाई बोली है. जिस शक्ति का मैंने उल्लेख किया, जिस शक्ति से हम लड़ रहे हैं, उस शक्ति का मुखौटा मोदी जी हैं. वह एक ऐसी शक्ति है जिसने आज, भारत की आवाज़ को, भारत की संस्थाओं को, CBI, IT, ED को, चुनाव आयोग को, मीडिया को, भारत के उद्योग जगत को, और भारत के समूचे संवैधानिक ढांचे को ही अपने चंगुल में दबोच लिया है.
उसी शक्ति के लिए नरेंद्र मोदी जी भारत के बैंकों से हज़ारों करोड़ के क़र्ज़ माफ़ कराते हैं जबकि भारत का किसान कुछ हज़ार रुपयों का क़र्ज़ न चुका पाने पर आत्महत्या करता है. उसी शक्ति को भारत के बंदरगाह, भारत के हवाई अड्डे दिये जाते हैं जबकि भारत के युवा को अग्निवीर का तोहफ़ा दिया जाता है जिससे उसकी हिम्मत टूट जाती है. उसी शक्ति को दिन रात सलामी ठोकते हुए देश की मीडिया सच्चाई को दबा देती है. उसी शक्ति के ग़ुलाम नरेंद्र मोदी जी देश के गरीब पर GST थोपते हैं, महंगाई पर लगाम न लगाते हुए, उस शक्ति को बढ़ाने के लिए देश की संपत्ति को नीलाम करते हैं.
उस शक्ति को मैं पहचानता हूं,
उस शक्ति को नरेंद्र मोदी जी भी पहचानते हैं,
वह किसी प्रकार की कोई धार्मिक शक्ति नहीं है,
वह अधर्म, भ्रष्टाचार और असत्य की शक्ति है.
इसलिए जब जब मैं उसके खिलाफ आवाज उठाता हूं, मोदी जी और उनकी झूठों की मशीन बौखलाती है, भड़क जाती है.
राहुल के इस पोस्ट से ही समझ में आ रहा है कि उन्हें अंदर ही अंदर कुछ तो गलत लग रहा होगा.. जिसकी वजह से वे इतनी लंबी-चौड़ी पोस्ट लिखने पर मजबूर हुए. राहुल को ये समझना चाहिए कि उनका दांव उल्टा पड़ गया है और पीएम मोदी ने मौके का भरपूर फायदा उठाकर उनके (राहुल) बयान को निचोड़ कर रख दिया है.
बड़े-बुजुर्ग कह गए हैं....
शायद राहुल गांधी अभी भी नहीं समझ पाएं हैं कि उनके सामने ताकतवर नेता पीएम मोदी हैं. जिन्हें राजनीति विरासत में नहीं मिली है.. ये उनकी कमाई है. सत्ता के सिंहासन तक राहुल गांधी के कदम तभी पहुंचेंगे, जब वे पीएम मोदी की सियासी समझ को समझेंगे. बड़े-बुजुर्गों ने भी कहा है कि विरोधियों का डटकर मुकाबला करो.. लेकिन अगर उसके पास ज्ञान ज्यादा है तो उससे सीखने में भी पीछे मत हटो. अब कहने वाले ये भी कह सकते हैं कि राहुल ने अपने बड़े-बुजुर्गों से क्या सीखा?