Lok Sabha Chunav: वो कड़वा घूंट पीया... पहले आम चुनाव में नेहरू ने बताया था क्यों स्वीकार किया पाकिस्तान
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Lok Sabha Chunav: वो कड़वा घूंट पीया... पहले आम चुनाव में नेहरू ने बताया था क्यों स्वीकार किया पाकिस्तान

लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) लागू कर दिया है. अब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता मिल सकेगी. भारत के बंटवारे (India Partition Nehru) का दर्द फिर ताजा हो गया है. क्या आप जानते हैं कि पहले आम चुनाव के समय नेहरू ने बताया था कि बंटवारा क्यों माना गया?

Lok Sabha Chunav: वो कड़वा घूंट पीया... पहले आम चुनाव में नेहरू ने बताया था क्यों स्वीकार किया पाकिस्तान

First Lok Sabha Election: ऐसे समय में जब CAA कानून यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू हुआ है, बंटवारे के जख्म फिर हरे हो गए हैं. हां, अब पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर-मुस्लिमों को आसानी से नागरिकता मिल जाएगी. ऐसे में मन में सवाल उठता है कि काश! अखंड भारत रहता. दिल्लीवाले ट्रेन में बैठकर लाहौर आते जाते. कोलकाता वालों को ढाका जाने के लिए वीजा न लेना पड़ता. बंटवारे की परिस्थितियों को लेकर कई तरह के सवाल भी खड़े किए जाते हैं. हालांकि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने पहले ही लोकसभा चुनाव की रैली में इसकी वजह बताई थी.

जी हां, वो देश का पहला लोकसभा चुनाव (1952 General Elections) था. बंटवारे का दर्द लोग अभी भूले नहीं थे. चुनाव प्रचार शुरू हो चुके थे. पंडित जवाहरलाल नेहरू असम के गुवाहाटी रैली करने पहुंचे. नेहरू ने कहा कि मेरे दौरे इलेक्शन को लेकर हो रहे हैं लेकिन उसके अलावा भी बहुत सी बातें मेरे मन में हैं, जो मैं लोगों से कहता हूं. नेहरू ने बताया कि मैं हिमाचल प्रदेश से कन्याकुमारी तक गया हूं. मैंने लोगों को देश के हाल के बारे में बताया और कुछ बड़े प्रश्नों की भी बात की. 

प्रांतीयता नहीं, भारत की एकता अहम है

कहते-कहते नेहरू ने कहा कि पहली बात आपको यह समझनी चाहिए कि आप असम में भले हैं पर याद रखें कि भारत का हिस्सा हैं. देश की एकता नहीं समझेंगे तो आप कमजोर रहेंगे. असम की शक्ति भारत की ताकत है. लोग भूल जाते हैं और अपने-अपने प्रांत की बातें करते हुए प्रांतीयता बढ़ जाती है. 

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थोड़े मुसलमानों की जमात थी...

उन्होंने आगे कहा कि जब स्वराज का आंदोलन हुआ और धीरे-धीरे हमारी एकता बढ़ी तो हमारी ताकत बढ़ी. हम इस सबक को समझ गए हैं. कुछ लोग अब भी नहीं समझे हैं. कुछ लोग अभी ऐसे हैं जो भारत का न सोचकर अपने प्रांत, अपनी जाति, अपने धर्म-मजहब का सोचकर आपस में फूट पैदा करते हैं. धर्म-मजहब मैंने कहा... हमारे देश में ऐसी संस्थाएं शुरू हुईं जो फिरका-परस्त थीं. जो जातिवाद की थीं. अलग जाति अलग धर्म की थीं. आप जानते हैं कि उन्होंने देश का कितना नुकसान किया. एक विष था, एक जहर था जो फैला. सबसे पहले मुस्लिम लीग ने किया जो थोड़े मुसलमानों की जमात थी. 

देश की ताकत बढ़ाएं, हमने कड़वा घूंट पीया

नेहरू ने कहा कि काफी उसने फूट का जहर फैलाया. इतना फैला वो कि आखिर में देश का एक टुकड़ा अलग होकर पाकिस्तान बन गया. हमने उसको स्वीकार कर लिया इसलिए कि हम नहीं चाहते थे कि यह विष या जहर फैलता जाए और देश में हमेशा झगड़े हों. हम चाहते थे कि हम स्वराज लेकर अपने देश की शक्ति को बढ़ाएं. मिलकर काम करें इसलिए हमने उस कड़वे घूंट को भी पी लिया. हम सब आशा करते थे कि अब हमारे देश में सांप्रदायिकता और जातिवाद नहीं रहेगा.

पहले प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि एक बड़ा जहर तो निकल गया जातिवाद का, मुस्लिम लीग का. पूरा तो नहीं निकला, थोड़ा इधर-उधर रह गया. अधिकतर पाकिस्तान चला गया. जो कुछ बचा है उसकी कोई बड़ी शक्ति नहीं है. लेकिन दुर्भाग्य से यह दूसरों में फैलना शुरू हुआ. हिंदुओं में, सिखों में... और ये सांप्रदायिक संस्थाएं देश में फैल रही हैं. (पूरा भाषण सुनने के लिए नीचे वीडियो पर क्लिक करें.)

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