Jamui Lok Sabha Election 2024: जमुई में शांत नहीं रहता सियासी समीकरण, एनडीए की सीट पर नोटा का भी असर, चिराग का क्या होगा?
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Jamui Lok Sabha Election 2024: जमुई में शांत नहीं रहता सियासी समीकरण, एनडीए की सीट पर नोटा का भी असर, चिराग का क्या होगा?

Jamui Lok Sabha Chunav 2024 News: राष्‍ट्रीय राजधानी नई दिल्‍ली से 1259 किलोमीटर और बिहार की राजधानी पटना से करीब 166 किलोमीटर दूर स्थित जमुई लोकसभा क्षेत्र जिला और नगर परिषद मुख्यालय भी है. पहले जम्भ्यग्राम के नाम से जाना जाने वाले जमुई का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है.

Jamui Lok Sabha Election 2024: जमुई में शांत नहीं रहता सियासी समीकरण, एनडीए की सीट पर नोटा का भी असर, चिराग का क्या होगा?

Jamui Lok Sabha Election 2024: बिहार के 40 लोकसभा सीटों में एक जमुई साल 2002 में गठित परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद 2008 में दोबारा अस्तित्व में आया. जमुई का जुड़ाव महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. इतिहास के मुताबिक पहले जांभ्ययाग्राम कहे जाने वाले जमुई में ही जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर को दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ था. जैन समुदाय के तीर्थ स्थान राकंदी गांव जमुई में ही है. इसे नौवें र्तीथकर सविधिनाथ का जन्म स्थान माना जाता है. गुप्त और पाल वंश के शासकों से भी जमुई का संबंध है. यहां काफी समय तक चंदेल वंश का भी शासन रहा था.  

जमुई लोकसभा क्षेत्र में क्या है राजनीतिक समीकरण

बिहा की राजधानी पटना से करीब 166 किलोमीटर और राष्‍ट्रीय राजधानी नई दिल्‍ली से 1259 किलोमीटर दूरी पर स्थित जमुई लोकसभा क्षेत्र को छह विधानसभा सीटों से मिलाकर बनाया गया था. नए परिसीमन के बाद जमुई सुरक्षित सीट में मुंगेर, शेखपुरा जिले के इलाके भी शामिल हैं. तारापुर, शेखपुरा, सिकंदरा, जमुई, झाझा और चकाई विधानसभा सीटों में ज्यादातर पर महागठबंधन के विधायक हैं. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में सिकंदरा में कांग्रेस, शेखपुरा, जमुई और चकाई में राजद, झाझा में भाजपा और तारापुर में जदयू ने जीत हासिल की थी.

जमुई लोकसभा सीट की डेमोग्राफी और जातीय समीकरण

लोकसभा चुनाव 2019 में जमुई लोकसभा सीट पर तकरीबन साढ़े 15 लाख से ज्यादा वोटर थे, जिसमें 8,27,898 पुरुष और 7,22,284 महिला वोटर थे. जमुई लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण के मुताबिक सबसे अधिक यादव मतदाता हैं. उनकी संख्या तीन लाख के करीब है. इसके बाद राजपूतों की संख्या है. इनकी आबादी लगभग दो लाख है. इसके अलावा वैश्य दो लाख, भूमिहार एक लाख, मुस्लिम डेढ़ लाख, पासवान एक लाख, ब्राह्मण 50 हजार, कायस्थ 30 हजार और रविदास की संख्या 80 हजार के करीब है.

जमुई लोकसभा सीट का सियासी समीकरण, नए परिसीमन के बाद से एनडीए का कब्जा

पहले आम चुनाव 1952 में जमुई लोकसभा सीट से कांग्रेस के बनारसी प्रसाद सिन्हा चुने गए थे. 1957 में इस सीट को विलोपित कर दिया गया था. 1962 और 1967 के आम चुनाव में भी जमुई सीट पर कांग्रेस का ही कब्जा रहा. 1971 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के भोला मांझी ने चुनाव जीत लिया. 1973 में जब परिसीमन हुआ तो इस लोकसभा सीट का अस्तित्व मिट गया था. लेकिन नए परिसीमन के बाद जमुई लोकसभा सीट दोबारा अस्तित्व में आई और अनुसूचित जाति के प्रत्याशियों के लिए आरक्षित की गई है.

एनडीए में लोजपा के अलावा जदयू और हम का भी दावा, भाजपा ने कभी नहीं लड़ा चुनाव

लोकसभा चुनाव 2009  में जदयू के भूदेव चौधरी को कामयाबी मिली. उसके बाद लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में लोजपा नेता रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने यहां जीत हासिल की. इसका मतलब है कि जमुई लोकसभा सीट पर लगातार एनडीए का ही कब्जा है. हालांकि, इस बार वह अपने दिवंगत पिता की पारंपरिक सीट हाजीपुर से चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन यहां भी दावा नहीं छोड़ना चाहते. वहीं, एनडीए में लोजपा के अलावा, जदयू और हम भी इस लोकसभा सीट पर अपना दावा कर रहे हैं. भाजपा जमुई सीट पर कभी अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है.

जमुई लोकसभा सीट से अब तक जीते सांसदों की सूची

1952: बनारसी प्रसाद सिन्हा - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1952: नयन तारा दास - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1957: अस्तित्व में नहीं है
1962: नयन तारा दास - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1967: नयन तारा दास - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1971: भोला मांझी - भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
1977: अस्तित्व में नहीं है
2009: भूदेव चौधरी - जनता दल (यूनाइटेड)
2014: चिराग पासवान - लोक जनशक्ति पार्टी 
2019: चिराग पासवान - लोक जनशक्ति पार्टी

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