Independent Candidates In Haryana: हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के लिए अपने ही 'असंतुष्ट नेता’ चुनौती बने हुए हैं. हालांकि, दोनों पार्टियां इनमें से कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों को अपना नामांकन वापस लेने के लिए मनाने में कामयाब रहीं, लेकिन बड़ी संख्या में ये ‘असंतुष्ट’ नेता अपनी ही पुरानी पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.
Trending Photos
Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और 10 साल बाद सत्ता में आने की कोशिश में जुटी कांग्रेस अपने ही असंतुष्ट और बागी नेताओं के निर्दलीय उम्मीदवार बन जाने से परेशान है. टिकट पाने के दावेदार रहे कई नेता अपनी-अपनी पार्टियों से निराश होने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं. वे सभी खुद को ‘किंगमेकर’ के रूप में उभारने के लिए जोरदार चुनाव-प्रचार भी कर रहे हैं.
कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों को मनाने में कामयाब रहीं भाजपा और कांग्रेस
दोनों पार्टियां उनमें से कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों को अपना नामांकन वापस लेने के लिए मनाने में कामयाब रहीं. इसके बावजूद बड़ी संख्या में ये ‘असंतुष्ट’ नेता अपनी ही पुरानी पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. हरियाणा विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर ऐसे निर्दलीय उम्मीदवारों के चलते प्रचार अभियान के दौरान भाजपा और कांग्रेस दोनों का दम फूलता हुआ नजर आ रहा है.
एशिया की सबसे अमीर महिला बनीं निर्दलीय उम्मीदवार, भावुक अपील
हरियाणा में ऐसे निर्दलीय उम्मीदवारों के तौर पर चुनाव लड़ने वालों में सबसे प्रमुख चेहरा एशिया की सबसे अमीर महिला और ओपी जिंदल समूह की अध्यक्ष सावित्री जिंदल हैं. वह हरियाणा सरकार के मंत्री और हिसार से मौजूदा विधायक कमल गुप्ता के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं. 74 साल की सावित्री जिंदल ने नामांकन पत्र भरने के बाद कहा, ‘‘जिंदल परिवार ने हमेशा हिसार की सेवा की है. मैं जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने और उनके विश्वास को कायम रखने के लिए पूरी तरह समर्पित हूं. यह मेरा आखिरी चुनाव है और मैं हिसार की जनता के अधूरे कामों को पूरा करने का मौका चाहती हूं.’’
भाजपा सांसद की मां सावित्री जिंदल क्यों निर्दलीय लड़ रहीं चुनाव?
सावित्री जिंदल कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर हिसार सीट से साल 2005 और 2009 में विधायक चुनी गईं. 2013 में उन्हें भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बनाया गया था. अपने बेटे नवीन जिंदल के भाजपा में शामिल होने के बाद मार्च में सावित्री जिंदल ने भी कांग्रेस पार्टी से नाता तोड़ लिया था. उनको इस बार भाजपा से टिकट मिलने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. इसके बाद उन्होंने चुनाव मैदान में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार उतरने का फैसला किया.
हिसार सीट पर दो बार के भाजपा विधायक कमल गुप्ता की बढ़ी चिंता
जब सावित्री जिंदल से उनके बेटे के कुरुक्षेत्र से भाजपा सांसद बने रहने के बावजूद बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने दावा किया, ‘‘वह आधिकारिक रूप से भाजपा में शामिल नहीं हुई थीं. उन्होंने केवल अपने बेटे के लिए चुनाव प्रचार किया था.’’ हिसार सीट पर 21 प्रत्याशियों के बीच दो बार के विधायक और भाजपा उम्मीदवार डॉ. कमल गुप्ता के सामने तीसरी बार कमल खिलाने की चुनौती है और कांग्रेस के एक दशक से जारी सूखे को खत्म करने की जुगत में रामनिवास राड़ा मैदान में हैं.
देवी लाल के बेटे और मंत्री रणजीत चौटाला समेत कई नेता नाराज
इसी तरह पूर्व विद्युत मंत्री रणजीत सिंह चौटाला भाजपा द्वारा टिकट देने से इनकार किए जाने के बाद सिरसा जिले के रानिया सीट से एक बार फिर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं. पूर्व उप प्रधानमंत्री देवी लाल के बेटे रणजीत चौटाला ने टिकट नहीं मिलने पर कैबिनेट मंत्री के पद से भी इस्तीफा दे दिया. हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा से असंतुष्ट गन्नौर से देवेंद्र कादियान, असंध से जिले राम शर्मा, पृथला से दीपक डागर, हथीन से कहर सिंह रावत, सफीदों से जसबीर देसवाल, सोहना से कल्याण चौहान और अन्य नेता पार्टी के लिए परेशानी बन सकते हैं.
गुरुग्राम सीट पर भी भाजपा का अपने ही बागी नेता से दो- दो हाथ
भाजपा की हरियाणा ईकाई के व्यापार प्रकोष्ठ के पूर्व संयोजक नवीन गोयल पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर भाजपा से अलग हो गए और वह गुरुग्राम से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं. गोयल ने कहा, ‘‘हरियाणा में बूथ, मंडल और जिला स्तर के कई प्रमुख पदाधिकारी टिकट नहीं मिलने के कारण भाजपा छोड़ चुके हैं. आगामी चुनाव में इसका पार्टी की स्थिति पर निश्चित रूप से असर पड़ेगा. मैं लगभग 15 साल से गुरुग्राम के लिए काम कर रहा हूं और पार्टी द्वारा इस निर्वाचन क्षेत्र से एक बाहरी व्यक्ति को उम्मीदवार बनाने से मतदाता भी नाराज हैं. मेरे समर्थक चाहते हैं कि मैं चुनाव लड़ूं और वे ही मेरे भविष्य का फैसला करेंगे.’’
ये भी पढ़ें - Haryana Elections: हरियाणा चुनाव से पहले कांग्रेस में क्या चल रहा है? CM फेस पर क्यों हो रही अंदरखाने तकरार, किसका पलड़ा भारी
भाजपा के मुकाबले कांग्रेस के सामने और बड़ी मुश्किल चुनौती
कांग्रेस के लिए चुनौती और भी ज्यादा मुश्किलों से भरी है. निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे उसके असंतुष्ट नेताओं की संख्या भाजपा के मुकाबले कहीं अधिक है. हरियाणा के 20 निर्वाचन क्षेत्रों में 29 असंतुष्ट उम्मीदवार कांग्रेस प्रत्याशियों के खिलाफ बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायक दल के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा और राज्यसभा सदस्य रणदीप सिंह सूरजेवाला का अलग-अलग कैंप अभी से मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर आपस में भिड़ा हुआ है.
कांग्रेस के बागियों में बड़े चेहरे के तौर पर हुड्डा के विश्वासपात्र निर्मल सिंह की बेटी चित्रा सरवारा का नाम अव्वल है. कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के बाद वह अंबाला छावनी से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रही हैं. सरवारा का मुकाबला छह बार के विधायक और राज्य के पूर्व गृह मंत्री भाजपा के अनिल विज और कांग्रेस के परविंदर सिंह परी से है.
ये भी पढ़ें - Analysis: बागी कैसे हरियाणा विधानसभा चुनाव में बन रहे चुनौती? टेंशन सिर्फ बीजेपी को नहीं है
हरियाणा चुनाव में 5 अक्टूबर को वोटिंग और 8 अक्टूबर को नतीजे
कुल 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा के लिए चुनाव में एक ही चरण में पांच अक्टूबर को मतदान होगा. इसके बाद 8 अक्टूबर को मतगणना होगी और नतीजे जारी किए जाएंगे. साल 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे के मुताबिक, भाजपा को 40 और कांग्रेस को 31 सीटों पर जीत मिली थी. इसके बाद भाजपा ने दुष्यंत चौटाला की जेजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार बना ली थी. इससे पहले साल 2014 के हरियाणा चुनाव में भाजपा ने अकेले दम पर बहुमत हासिल कर सरकार बनाई थी.