UPSC Success Story: सिक्योरिटी गार्ड का बेटा बन गया IRS अफसर, किताबें मांगकर की थी पढ़ाई; पढ़िए पूरी कहानी
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UPSC Success Story: सिक्योरिटी गार्ड का बेटा बन गया IRS अफसर, किताबें मांगकर की थी पढ़ाई; पढ़िए पूरी कहानी

IRS Kuldeep Dwivedi: कुलदीप ने हिंदी और भूगोल में बीए और एमए पूरा करके इलाहाबाद विश्वविद्यालय के लिए क्वालीफाई किया.

UPSC Success Story: सिक्योरिटी गार्ड का बेटा बन गया IRS अफसर, किताबें मांगकर की थी पढ़ाई; पढ़िए पूरी कहानी

Kuldeep Dwivedi Success Story: जब घर का बेटा बड़ा अफसर बन जाता है तो माता पिता के सपने पूरे हो जाते हैं. आज हम एक ऐसी ही कहानी आपको बताने जा रहे हैं. कहानी आईआरएस अफसर कुलदीप द्विवेदी की है.  कुलदीप का जन्म उत्तर प्रदेश के नोगोहा जिले के शेखपुर गांव में हुए था. कुलदीप के पिता सिक्योरिटी गार्ड थे और मां हाउस वाइफ. पिछले 20 साल से सूर्यकांत लखनऊ विश्वविद्यालय में एक सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते थे और परिवार के एकमात्र कमाने वाले थे. उन्होंने अपने चार बच्चों - संदीप, प्रदीप और स्वाति, और कुलदीप को अपने सैलरी से पाला.

कुलदीप के पिता सूर्यकांत ने केवल 12 वीं कक्षा तक पढ़ाई की और मां मंजू कक्षा 5 तक पढ़ी हुई हैं, लेकिन उनका मानना था कि शिक्षा ही गरीबी से बाहर निकलने का एकमात्र तरीका है. कभी उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाई करने से नहीं रोका. यह मुश्किल था, अक्सर अपनी फीस का भुगतान करने के लिए विश्वविद्यालय से कर्ज मांगना पड़ता था, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों के लिए यह सब किया.

साल 2015 में सिक्योरिटी गार्ड की मेहनत और धैर्य का फल उन्हें मिल गया. जब तीसरे अटेंप्ट के बाद उनके बेटे कुलदीप ने देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा यूपीएससी को पास कर लिया. ऑल इंडिया रैंक 242 के साथ, कुलदीप द्विवेदी भारतीय राजस्व सेवा के बड़े अफसर बन गए.

लंबे समय तक कुलदीप का छह लोगों का परिवार शेखपुर में एक कमरे के घर में रहता था. उन्होंने लखनऊ के बछरावां में गांधी विद्यालय में ट्रांसफर होने से पहले कक्षा 7 तक सरस्वती शिशु मंदिर में अपने भाई-बहनों के साथ एक हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़ाई की थी. कुलदीप ने यूपीएससी परीक्षा के लिए किसी कोचिंग का सहारा नहीं लिया था. वह अन्य उम्मीदवारों से किताबें उधार लेकर सेल्फ स्टडी किया करते थे.

एक इंटरव्यू में उनकी बहन, स्वाति ने शेयर किया कि जब वे अपने चचेरे भाई-बहनों को शहर के अंग्रेजी मीडियम के स्कूलों में पढ़ते हुए देखते थे तो अक्सर उन्हें कितना बुरा लगता था, लेकिन उनके माता-पिता कभी भी बेस्ट करने में असफल नहीं हुए जो वे कर सकते थे.

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