GK: इंडिया में समंदर पर बना है ऐसा पुल, जिसके तार से लपेटी जा सकती है पूरी धरती; 50,000 हाथियों के बराबर है वजनी!
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GK: इंडिया में समंदर पर बना है ऐसा पुल, जिसके तार से लपेटी जा सकती है पूरी धरती; 50,000 हाथियों के बराबर है वजनी!

Bandra Worli Sea Link: भारत में मौजूद इस पुल में पृथ्वी की परिधि जितना स्टील का तार लगा है. यह देश का सबसे लंबा ब्रिज है, जो समंदर में बनाया गया है. आइए जानते हैं इस पुल से जुड़ी और भी कई दिलचस्प बातें...

GK: इंडिया में समंदर पर बना है ऐसा पुल, जिसके तार से लपेटी जा सकती है पूरी धरती; 50,000 हाथियों के बराबर है वजनी!

Bandra Worli Sea Link: भारत में एक से बढ़कर एक चीजें हैं, जिन्हें देखकर आखें खुली की खुली रह जाती हैं. देश में कुछ पुराने ऐसे ब्रिज बने हैं जो यह सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि इस जमाने में उनका निर्माण कैसे संभव हुआ होगा. इसी तरह से यहां पर एक ऐसा ब्रिज मौजूद है, जो पूरे विश्व के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं है.

भले ही आज के समय में दुनियाभर में एक से बढ़कर एक पुल देखने को मिलते हैं, लेकिन जिसके बारे में हम बात कर रहे हैं वह पुल इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना है. आइए जानते हैं बांद्रा वर्ली सी लिंक ब्रिज (Bandra Worli Sea Link) के बारे में कुछ दिलचस्प बातें जो आपको हैरान कर देंगी...

इसमें लगगा है पृथ्वी की परिधि जितना स्टील का तार 
बांद्रा वर्ली सी लिंक ब्रिज को बनाने में इतना तार लगा है कि इससे पूरी धरती को लपेटा जा सकता है. इतना ही नहीं इस पुल का भार 50 हजार से ज्यादा अफ्रीकी हाथियों के वजन के बराबर है. यह ब्रिज भारत का पहला 8 लेन वाला और सबसे लंबा समुद्री ब्रिज है. इसकी लंबाई 5.6 किलोमीटर है. इस ब्रिज के बनने से बांद्रा से वर्ली की दूरी एक घंटे से भी कम हो गई है.

बांद्रा-वर्ली सी लिंक का निर्माण साल 2009 में पूरा हुआ था, जिसे बनाने में 1,600 करोड़ रुपये की लागत आई है. साल 2010 में इस ब्रिज के सभी 8 लेन लोगों के आवागमन के लिए शुरू कर दिए गए. बता दें कि इस पुल को राजीव गांधी सी लिंक के नाम से भी जाना जाता है. 

इन देशों ने भी दिया है योगदान
जानकारी के मुताबिक इस ब्रिज का वजन 56,000 अफ्रीकन हाथियों के वजन के बराबर है, जिस निर्माण में 90,000 टन सीमेंट लगा है. इस पुल में लगे स्टील केबल्स को जोड़ने पर उसकी लंबाई करीब पृथ्वी की एक परिधि के बराबर होगी, जो 40,075 किलोमीटर है. इस पुल के निर्माण 11 देशों के साथ काम किया गया था. इसमें मिस्र, चीन, कनाडा, स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन, हांगकांग, थाईलैंड, सिंगापुर, फिलीपींस, इंडोनेशिया और सर्बिया शामिल थे.

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