मिड डे मील बनाने वाली के बेटे ने क्रैक किया UPSC, बनेंगे IAS ऑफिसर
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मिड डे मील बनाने वाली के बेटे ने क्रैक किया UPSC, बनेंगे IAS ऑफिसर

IAS Success Story: डोंगरे रेवैया एक ऐसे परिवार से आते हैं जो वर्षों से गरीबी से जूझ रहा है. लंबी बीमारी के कारण उनके पिता के निधन के बाद, डोंगरे की मां ने एक सरकारी स्कूल में मिड डे मील पकाने का काम करना शुरू कर दिया, जिससे मुश्किल से ही उनके घर का गुजारा हो पाता था.

मिड डे मील बनाने वाली के बेटे ने क्रैक किया UPSC, बनेंगे IAS ऑफिसर

Dongre Revaiah Success Story: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है, लेकिन आईएएस अधिकारी डोंगरे रेवैया ने अत्यधिक गरीबी और कई कठिनाइयों से जूझने के बावजूद इस परीक्षा को शानदार अंकों के साथ पास किया है.

डोंगरे रेवैया उर्फ रेवंत की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है. डोंगरे रेवैया ने यूपीएससी परीक्षा 2022 उत्तीर्ण की और परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले कुल 1000 उम्मीदवारों में से 410 रैंक प्राप्त की है. रेवैया ने यह सब गरीबी से जूझते हुए और अपनी पारिवारिक स्थितियों को सुधारने के लिए काम करते हुए किया हैं.

डोंगरे रेवैया एक ऐसे परिवार से आते हैं जो वर्षों से गरीबी से जूझ रहा है. लंबी बीमारी के कारण उनके पिता के निधन के बाद, डोंगरे की मां ने एक सरकारी स्कूल में मिड डे मील पकाने का काम करना शुरू कर दिया, जिससे मुश्किल से ही उनके घर का गुजारा हो पाता था.

डोंगरे रेवैया की मां ने  और उनके भाई-बहनों को स्कूल भेजा. हालांकि, आईएएस अधिकारी ने अपनी शिक्षा पर कड़ी मेहनत की और आईआईटी जेईई की परीक्षा पास कर डाली और आईआईटी मद्रास में एडमिशन ले लिया.

आईआईटी मद्रास में एडमिशन पाने के बाद भी फंड की कमी और आर्थिक अस्थिरता के कारण डोंगरे को संस्थान में जाने की बहुत कम या कोई उम्मीद नहीं थी. लेकिन जिला प्रशासन से मदद लेकर आखिरकार उन्होंने आईआईटी में जाने का अपना सपना पूरा कर लिया.

बता दें कि रेवैया दलित समुदाय से हैं और तेलंगाना के एक छोटे शहर से हैं. अपनी इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद, उन्होंने GATE परीक्षा भी पास की और अंततः उन्हें हैदराबाद में हाई सैलरी वाली नौकरी मिल गई. हालांकि, वह सिविल सेवाओं से कम किसी भी चीज पर समझौता नहीं करना चाहते थे.

इसलिए डोंगरे रेवैया ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 में सफलता हासिल की और 410वीं रैंक हासिल की. वह अभी ट्रेनिंग ले रहे हैं और जल्द ही एक सरकारी अधिकारी के रूप में नियुक्त होंगे, जिससे उनके पूरे परिवार और दलित समुदाय को उन पर गर्व होगा.

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