Indian Engineering Startup: राकेश ने साबित कर दिया कि मौके पाने के लिए जुनूनी होना पड़ता है. उनकी कंपनी ने ग्लोबल एयरोस्पेस और एनर्जी फील्ड में नाम कमाया है. राकेश का स्कूल ड्रॉपआउट से लेकर कंपनी आजाद इंजीनियरिंग के फाउंडर बनने तक का सफर लगन और इनोवेशन का मिसाल है.
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Rakesh Chopdar Success Story: कभी स्कूल में असफल और नकारा कहे जाने वाले राकेश चोपदार ने साबित कर दिया कि सफलता पाने के लिए डिग्री से ज्यादा जुनून और मेहनत की जरूरत होती है. पिता की छोटी-सी फैक्ट्री में काम करते हुए उन्होंने इंजीनियरिंग और व्यवसाय का ऐसा हुनर सीखा, जिससे न केवल उन्होंने अपनी पहचान बनाई बल्कि एक अरब डॉलर की कंपनी भी खड़ी कर दी. यह कहानी है राकेश चोपदार की, जिन्होंने अपनी कंपनी "आजाद इंजीनियरिंग" को वैश्विक स्तर पर एक मिसाल बनाया.
असफलता से शुरुआत
राकेश चोपदार ने मात्र 17 साल की उम्र में स्कूल छोड़ दिया. पढ़ाई में कमजोर होने के कारण लोग उन्हें नकारा कहते थे. 10वीं पास न कर पाने के कारण घरवालों और दोस्तों से उन्हें कई ताने सुनने पड़े. इन तानों से बचने के लिए उन्होंने अपने पिता की फास्टनर बनाने की फैक्ट्री में काम करना शुरू किया.
बिना डिग्री के बने इंजीनियर
पिता की फैक्ट्री एटलस फास्टनर्स में काम करते हुए राकेश ने मशीनरी और व्यवसाय की बारीकियों को सीखा. उन्होंने बिना किसी फॉर्मल एजुकेशन के इंजीनियरिंग में महारत हासिल की. उनके इस अनुभव ने उन्हें "आजाद इंजीनियरिंग" की नींव रखने में मदद की. साल 2008 में राकेश ने एक सेकंड-हैंड सीएनसी मशीन के साथ 200 स्क्वायर मीटर के छोटे से शेड में अपनी कंपनी शुरू की.
पहला बड़ा ब्रेक: एयरोफॉइल ऑर्डर
शुरुआती संघर्षों के बाद राकेश को एक यूरोपीय कंपनी से थर्मल पावर टर्बाइनों के लिए एयरोफॉइल बनाने का ऑर्डर मिला. यह उनकी कंपनी के लिए मील का पत्थर साबित हुआ. इस ऑर्डर के साथ उन्होंने स्टेनलेस स्टील और अन्य जटिल सामग्रियों पर काम करके वैश्विक स्तर पर पहचान बनाई.
इनोवेशन के लिए जुनून
राकेश के इनोवेशन का जुनून उनकी सफलता का आधार बना. उन्होंने गैस, भाप और एयरो इंजन से जुड़े जटिल उपकरणों का निर्माण किया. उनकी कंपनी ने डीआरडीओ के साथ मिलकर हाइब्रिड टर्बो-गैस जनरेटर इंजन बनाने का समझौता किया. रोल्स-रॉयस जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों के साथ भी उन्होंने एग्रीमेंट किए.
माइनिंग और एयरोस्पेस में छाप
आजाद इंजीनियरिंग द्वारा बनाए गए पुर्जे तेल और गैस ड्रिलिंग, माइनिंग और न्यूक्लियर टर्बाइनों में उपयोग होते हैं. उनकी कंपनी के एक्विपमेंट्स विमान को 30,000 फीट की ऊंचाई पर और तेल ड्रिलिंग उपकरणों को 30,000 फीट गहराई में काम करने में सक्षम बनाते हैं. उनकी कंपनी का रेवेन्यू 350 करोड़ रुपये से ज्यादा है और आज इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन 1 अरब डॉलर पार कर चुका है.
युवाओं के लिए सीख
राकेश चोपदार की कहानी हर युवा के लिए प्रेरणा है. उन्होंने साबित किया कि किताबों से ज्यादा अनुभव सिखाता है. उनकी सीख है:
संघर्षों से घबराने के बजाय उनका सामना करना चाहिए.
इच्छाशक्ति और मेहनत सफलता की सबसे बड़ी कुंजी हैं.
गिरने के बाद उठने की कला ही असली सफलता का रास्ता दिखाती है.