साई दिनेश: कहानी उस राजमिस्त्री के बेटे की, जिसने रचा इतिहास, कोरोना और आर्थिक तंगी को हराकर बना सीए टॉपर
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साई दिनेश: कहानी उस राजमिस्त्री के बेटे की, जिसने रचा इतिहास, कोरोना और आर्थिक तंगी को हराकर बना सीए टॉपर

CA Story: साई दिनेश की कहानी उन सभी युवाओं के लिए मोटिवेशन है, जो मुश्किल हालातों में भी हार नहीं मानते और अपने सपनों को हकीकत बनाकर ही दम लेते हैं. पढ़िए संघर्ष और मेहनत की अद्भुत मिसाल सीए टॉपर साई दिनेश की कहानी...

 

 

साई दिनेश: कहानी उस राजमिस्त्री के बेटे की, जिसने रचा इतिहास, कोरोना और आर्थिक तंगी को हराकर बना सीए टॉपर

Sai Dinesh CA Topper Success Story: एक साधारण परिवार में जन्मे दिनेश की सफलता की कहानी संघर्ष, मेहनत और परिवार के अटूट विश्वास की गवाही देती है. कोरोना महामारी और आर्थिक तंगी जैसे मुश्किल हालातों के बावजूद, उन्होंने अपने सपनों को साकार कर दिखाया.हैदराबाद के 22 वर्षीय साई दिनेश ने चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) फाइनल परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 40 हासिल कर एक मिसाल पेश की है. आज की सफलता की कहानी में जानेंगे कि कैसे एक राजमिस्त्री के बेटे ने अपनी लगन और मेहनत के दम पर अपनी किस्मत ही पलटकर रख दी...

संघर्षों से भरा दिनेश का सफर
दिनेश के पिता एस. सुब्रह्मण्यम एक राजमिस्त्री से छोटे ठेकेदार बने हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, लेकिन दिनेश के अंदर कुछ बड़ा करने का जुनून था. उन्होंने 10वीं के बाद सीए बनने का फैसला किया. परिवार और दोस्तों ने उन्हें इस कठिन रास्ते से डराने की कोशिश की, लेकिन दिनेश अपनी जिद पर अड़े रहे. उनके पिता ने कहा, "हमें नहीं पता था कि हम आर्थिक मदद कब तक कर पाएंगे, लेकिन बच्चों की जिद ने हमें हिम्मत दी."

कोरोना काल में भी नहीं टूटा हौसला
दिनेश का सफर आसान नहीं था. सीए इंटर परीक्षा के दौरान कोविड-19 महामारी के कारण उनकी तबीयत काफी खराब हो गई. उन्होंने ग्रुप 1 और ग्रुप 2 की परीक्षाएं अलग-अलग समय पर दीं. दिनेश ने कहा, "बीमारी के बावजूद मैंने खुद को संभाला. मैंने तय किया था कि चाहे जो हो, मैं पीछे नहीं हटूंगा." दिसंबर 2021 में सीए इंटर पास करने के बाद उन्होंने फाइनल परीक्षा की तैयारी शुरू की.

दिन-रात की मेहनत का मिला फल
दिनेश की मां एस. कुमारी ने बताया कि फाइनल परीक्षा की तैयारी के दौरान दिनेश रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक पढ़ाई करते थे. दिनेश ने बताया, "मैं हर दिन 12 से 14 घंटे पढ़ाई करता था. ये तनावपूर्ण था, लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी. मेरे माता-पिता, शिक्षकों और गुरुओं का सहयोग मेरे लिए प्रेरणा बना."

सपनों को साकार करने की जिद
दिनेश और उनकी बहन अपनी पीढ़ी में कॉलेज जाने वाले पहले सदस्य हैं. उनकी 24 वर्षीय बहन ने IIIT बसारा से ग्रेजुएशन कंप्लीट किया है और अब वह एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करती हैं, दिनेश बताते हैं कि उनकी बहन ने भी इस सफलता में बड़ा योगदान दिया. दिनेश कहते हैं, "मैं अपने माता-पिता और बहन को एक बेहतर जीवन देना चाहता हूं. उनके बलिदान और समर्थन ने ही मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया."

साई दिनेश की प्रेरणादायक कहानी
दिनेश की सफलता उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो कठिन परिस्थितियों में अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश करते हैं. राजमिस्त्री के बेटे ने साबित कर दिया कि अगर आपके अंदर मेहनत और समर्पण का जज्बा है, तो कोई भी मुश्किल आपका रास्ता नहीं रोक सकती.

 

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