Delhi Police ACP Manjulata: आज हम आपको दिल्ली पुसिल के एसीपी पद से रिटायर होने वाली मंजुलता के बारे में बताएंगे, जिन्होंने पिछले 10 सालों से किडनी फेल्योर होने के बावजूद, करीब 9 साल बिना डायलिसिस करवाए पूरी लगन और अनुशासन के साथ अपनी ड्यूटी निभाई.
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Delhi Police ACP Manjulata: दिल्ली पुलिस की एसीपी मंजूलता 41 साल 11 महीने और 25 दिन की सेवा के बाद मंगलवार को रिटायर हो गईं. इस करियर ने न सिर्फ मंजूलता को दो बार राष्ट्रपति पुरस्कार और दो आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिलाए, बल्कि उन्हें एक प्रेरणा का प्रतीक बना दिया. खास बात यह है कि पिछले 10 सालों से किडनी फेल्योर जैसी गंभीर बीमारी से जूझने के बावजूद उन्होंने अपनी ड्यूटी पूरी लगन और अनुशासन के साथ निभाई.
किडनी फेल्योर के बावजूद बिना डायलिसिस 9 साल का सफर
10 साल पहले, डॉक्टरों ने किडनी फेल्योर के कारण तुरंत डायलिसिस शुरू करने की सलाह दी थी. लेकिन मंजूलता ने संयमित जीवनशैली और आयुर्वेद चिकित्सा के माध्यम से 9 साल तक बिना डायलिसिस के इस चुनौती का सामना किया. उन्होंने खुद को सख्त परहेज में बांध लिया—दिनभर में केवल 1 लीटर पानी और उबली हुई लौकी और तोरई का सेवन. इस अनुशासन ने उन्हें बीमारी के साथ भी काम करने की ताकत दी. हालांकि, पिछले छह महीने से उन्हें डायलिसिस पर निर्भर रहना पड़ा है.
दिल्ली पुलिस की पहली महिला एथलीट
मंजूलता ने दिल्ली पुलिस में मिनिस्ट्रियल रैंक की पहली महिला एथलीट बनने का गौरव हासिल किया. वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उन्होंने शॉटपुट और डिस्क थ्रो में कई रिकॉर्ड बनाए. अमेरिका, यूरोप, फ्रांस, मलेशिया, चीन, थाईलैंड, ताइवान, फिनलैंड, ब्राजील, जापान सहित दुनिया के कई देशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया.
90 से अधिक पदक उनके नाम हैं, जिनमें दर्जनों स्वर्ण और रजत पदक शामिल हैं. इसके अलावा, 10 कमेंडेशन रोल, 15 कमेंडेशन सर्टिफिकेट, 80 कमेंडेशन कार्ड और कई नकद पुरस्कार उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन का प्रमाण हैं.
खेल में अनोखी उपलब्धियां
1986 में दिल्ली में आयोजित एक चैंपियनशिप के दौरान उन्होंने शॉटपुट, डिस्क थ्रो, हाई जंप, लॉन्ग जंप और रेस में लगातार सात बार पहला स्थान हासिल किया. इसके बाद उनका आत्मविश्वास बढ़ता गया. अपने सीनियर अफसरों के सहयोग और प्रोत्साहन से मंजूलता ने देश और विदेश में कई पदक जीते.
1986 और 1996 में, उन्हें एथलेटिक्स में उत्कृष्ट प्रदर्शन के कारण दो बार आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिला. हालांकि किडनी फेल्योर के बाद उनकी खेल गतिविधियों पर ब्रेक लग गया, लेकिन उनके संतुलित जीवनशैली और अनुशासन ने डॉक्टरों को भी हैरान कर दिया.
परिवार का सहारा बनीं
मंजूलता का जन्म एक पुलिस परिवार में हुआ. उनके पिता भोलाशंकर शर्मा दिल्ली पुलिस में थे, लेकिन उनकी आकस्मिक मृत्यु के बाद 1983 में मंजूलता को हेड कॉन्स्टेबल के तौर पर नियुक्ति मिली. अपने परिवार में उन्होंने बेटा बनकर जिम्मेदारियों को संभाला. उनके छोटे भाई, बहन, और सबसे छोटे भाई भी दिल्ली पुलिस में विभिन्न पदों पर हैं.
संघर्षों के बावजूद बनीं प्रेरणा
मंजूलता ने अपने पूरे जीवन में संघर्षों को सफलता में बदला. चाहे वह पुलिस सेवा में उत्कृष्ट प्रदर्शन हो या किडनी फेल्योर जैसी गंभीर बीमारी के साथ काम करना, उन्होंने हर मुश्किल का डटकर सामना किया. उनका मानना है कि सीनियर अफसरों के प्रोत्साहन ने उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी. मंजूलता की यह कहानी संघर्ष, अनुशासन, और सफलता की मिसाल है. उनका जीवन उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं.